आज भाई दूज का त्योहार है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। रक्षाबंधन की तरह ही यह त्योहार भी भाई-बहन के लिए बेहद खास है। भाई दूज पर बहन भाई का टीका करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। ये प्रथा सदियों पुरानी है। इस दिन बहन भाई को अपने घर बुलाती हैं और उन्हें अपने घर भोजन कराती हैं। इसके बाद उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहनों के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है।
भाई दूज का पर्व इस बार 6 नवंबर को मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग अनुसार ये पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को घी का टीका लगाती हैं और उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भााई अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार भेंट करते हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। क्योंकि इस पर्व की कहानी मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी है। जानिए भाई दूज पर टीका करने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और इस पर्व का महत्व।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज के दिन बहने अपने भाई को तिलक करती हैं। मान्याताओं के अनुसार भाई दूज के दिन सूर्य देव की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमदेव को अपने घर भोजन के लिए बुलाया था। जिससे उससे दिन नरक के जीवों को यातनाओं से मुक्ति मिल सके। अपने पापों से मुक्त होकर वे लोग सभी बंधनों से मुक्त हो गए। इसके बाद उन सभी ने मिलकर एक पर्व का शुभआरंभ किया। जिससे यमलोक के राज्य को सुख पहुंच सके। इस तिथि जो यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। जो तीनों लोकों में विख्यात है। इसी तिथि के दिन यमुना ने अपने भाई को भोजन कराया था। जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के हाथ का भोजन करता है तो उसके घर में कभी भी अन्न की कभी कमी नहीं होती और साथ ही धन की प्राप्ति भी होती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को सूर्योदय से पहले यमदेव की पूजा करने के बाद यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से उस मनुष्य को यमलोक की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
भाई दूज 2021 मुहूर्त
भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:10 PM से 03:21 PM तक रहेगा।
भाई दूज का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
द्वितीया तिथि की शुरुआत 05 नवम्बर को 11:14 PM बजे पर हो जाएगी।
द्वितीया तिथि की समाप्ति 06 नवम्बर को 07:44 PM पर होगी।
भाई दूज पूजा थाली ऐसे करें तैयार
थाली में सिंदूर, फूल, साबुत चावल के कुछ दाने, चांदी का सिक्का, पान का पत्ता, सूखा नारियल यानी गोला, फूल माला, कलावा, मिठाई, दूब घास और केला रखें।
इस तरह करें पूजा
बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान विष्णु और गणेश जी की अराधना करें। इस दिन भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाया जाता है। उसके बाद भाई के हाथों में पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखा जाता है। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है। बहन कलावा बांधते हुए भाई की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए मंत्र पढ़ती है। कहीं कहीं बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं। फिर इसके बाद कलावा बांधती हैं। मिठाई या माखन मिश्री से भाई का मुंह मीठा किया जाता है। कई जगह इस दिन शादीशुदा बहन के घर भाई जाकर भोजन करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।
भाई दूज की पूजा विधि…
– सबसे पहले अगर बहने शादीशुदा है तो उन्हें अपनी भाई को भाई दूज के दिन भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। भाई दूज के दिन सबसे पहले बहनों को सुबह जल्दी उठना चाहिए।
-उसके बाद स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए।
-भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
-फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
-चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।
-फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
-तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।
-फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।
भाई दूज मंत्र
भाई दूज के दिन टीका करते समय बहन को भाई के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।
ऐसे करें भाई को तिलक
भाई दूज के दिन तिलक से पहले आटा या गोबर से चौक बना लें. चौक बनाते समय ध्यान रखें कि वे उत्तर-पूर्व दिशा में बनाएं. इस चौक पर भाई को बैठाएं. भाई के माथे पर तिलक लगाने के बाद हाथ में कलावा बांधें. इसके बाद दीपक जलाकर भाई की आरती उतारें और उसकी लंबी आयु की कामना करें।
तिलक लगवाते समय करें इस दिशा की ओर मुख
तिलक लगते समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। भाई को अपनी बहन के घर पर भोजन करना चाहिए।
बहन को क्यों खिलाना चाहिए अपने भाई को खाना…
भाई दूज के दिन भाई को अपने हाथ से बना खाना खिलाना चाहिए। क्योंकि मृत्यु के देवता यम ने भी इस दिन अपने बहन के घर गए थे।
भाई दूज क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक मान्यताओं अनुसार यमुना के अनेकों बार अपने घर बुलाने के बाद यमराज इस दिन उनके घर गए थे। अपने भाई के आने की खुशी में यमुना ने यमराज को तरह-तरह के पकवानों का भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा तो ऐसे में यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आना और जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा। कहते हैं तभी से भाई दूज की शुरुआत हुई।
भाई दूज से जुड़ी भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी।
भाई दूज पर बहनें रखती हैं व्रत
भाई दूज के दिन जो बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं उन्हें तिलक से पहले भोजन नहीं करना चाहिए. तिलक लगाने के बाद भाई के साथ भोजन ग्रहण करें।
बिहार में भाई दूज पर्व
बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं. दरअसल यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है. इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”