उपभोक्ता वह होता है जो भुगतान करते हुए वस्तुओं या सेवाओं को खरीदता है| विश्व भर में उपभोक्ताओं के अधिकारों के सम्मान और उसकी रक्षा के लिए साल में एक दिन कंज्यूमर इंटरनेशनल द्वारा “विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस” के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है. कैसे यह राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस से अलग है और क्या है इस साल का विषय।
दुनिया में हर कोई किसी न किसी रूप में एक उपभोक्ता होता है| लगभग 60 साल पहले वर्ष 1960 में अंतर्राष्ट्रीय निगमों के प्रभुत्व वाले वैश्विक बाजार में उपभोक्ताओं के लिए एक निष्पक्ष, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य के लिए लड़ने के लक्ष्य के साथ कंज्यूमर इंटरनेशनल की स्थापना की गई थी| आज कंज्यूमर इंटरनेशनल के 100 देशों में फैले हुए 200 से अधिक सदस्य हैं| यह नीति-निर्माण मंचों और वैश्विक बाजार में उपभोक्ताओं के लिए एक आवाज बनने के अपने मिशन के साथ आगे बढ़ रहा है| राजनीतिक दलों के बाहर काम करते हुए ये अपनी स्वतंत्रता बनाए रखते हैं ताकि उपभोक्ताओं के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित किया जा सके। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की शुरुआत 1983 में उपभोक्ता अधिकारों के लिए नागरिक कार्रवाई को प्रेरित करने के लिए हुई थी| नागरिक कार्रवाई समूह बाजार में परिवर्तन लाने का एक बड़ा हिस्सा रहे हैं| उन्होंने सुरक्षित उत्पादों और हानिकारक प्रथाओं और उत्पादों से सुरक्षा के लिए पैरवी की है| हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है| विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी से प्रेरित था, जिन्होंने इसी दिन 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को एक विशेष संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित किया था| उन्होनें कहा था कि उपभोक्ताओं में हम सभी शामिल हैं| उपभोक्ता सबसे बड़े आर्थिक समूह हैं, जो लगभग हर सार्वजनिक और निजी आर्थिक निर्णय से प्रभावित होते हैं, फिर भी वे एकमात्र महत्वपूर्ण समूह हैं जिनके विचार अक्सर नहीं सुने जाते| ऐसा करने वाले वह पहले विश्व नेता थे| उस समय उपभोक्ता इंटरनेशनल के लिए काम करने वाले उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता “अनवर फजल” ने बाद में उस तारीख को चिह्नित करने वाले ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ के पालन का प्रस्ताव रखा, और 15 मार्च 1983 को उपभोक्ता संगठनों ने उस तारीख को उपभोक्ताओं के बुनियादी अधिकारों को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में मनाना शुरू कर दिया| विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है जो अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता आंदोलन में उत्सव और एकजुटता को दर्शाती है| यह मांग करता है कि, उपभोक्ता अधिकारों का सम्मान और रक्षा की जानी चाहिए| यह दिन बाजार के दुरुपयोग और सामाजिक अन्यायों के खिलाफ विरोध करने का भी मौका देती है जो उपभोक्ता अधिकारों को कमजोर करते हैं|
क्यों विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस?
हर वर्ष 15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय या विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं को जमाखोरी, मिलावट, नापतोल में गड़बड़ी, कालाबाजारी, मनमाने दाम वसूलना, बगैर मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, सामान की बिक्री के बाद गारंटी न देने के प्रति लोगों को जागरूक करना है। अधिकतर देशों में इस दिवस के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष जगह-जगह पर कैम्प लगाये जाते है। लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष एक थीम जारी की जाती है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
आपको बता दे इस तारीख का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह वही दिन है जब 1962 में अमेरिकी संसद कांग्रेस में उपभोक्ता अधिकार विधेयक पेश किया गया था। अपने भाषण में राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने कहा था, “ यदि उपभोक्ता को घटिया सामान दिया जाता है, यदि कीमतें बहुत अधिक है, यदि दवाएं असुरक्षित और बेकार हैं, यदि उपभोक्ता सूचना के आधार पर उत्पाद चुनने में असमर्थ है तो उसका डालर बर्बाद चला जाता है, उसकी सेहत और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है एवं इससेराष्ट्रीय हित का भी नुकसान होता है”। राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने अपने व्यक्तव्य में निम्न उपभोक्ता अधिकार की चर्चा की थी: “सुरक्षा का अधिकार, सूचित करने का अधिकार, चुनने का अधिकार और सुने जाने का अधिकार।” उपभोक्ता अंतर्राष्ट्रीय (Consumer International-CI), जो पहले अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता यूनियन संगठन (आईओसीयू) के नाम से जाना जाता था, ने अमेरिकी विधेयक में संलग्न उपभोक्ता अधिकार के घोषणापत्र के तत्वों को बढा क़र आठ कर दिया जो इस प्रकार है- 1.मूल जरूरत 2.सुरक्षा, 3. सूचना, 4. विकल्प-पसंद 5. अभ्यावेदन 6. निवारण 7. उपभोक्ता शिक्षण और 8. अच्छा माहौल। आपको बता दे सीआई, उपभोक्ता अधिकारों में काम करने वाला एक बहुत बड़ा संगठन है और इससे 100 से अधिक देशों के 240 संगठन जुड़े हुए हैं। इस घोषणापत्र का सार्वभौमिक महत्व है क्योंकि यह गरीबों और सुविधाहीनों की आकांक्षाओं का प्रतीक है। इसके आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने अप्रैल, 1985 को उपभोक्ता संरक्षण के लिए दिशानिर्देश से संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया था।
भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास
भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में महाराष्ट्र से हुई थी। वर्ष 1974 में पूणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना की गयी। जिसके बाद धीरे-धीरे पूरे भारत में यह आंदोलन बढ़ने लगा। तब भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 9 दिसम्बर 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया। और 9 दिसम्बर, 1987 में यह विधेयक पारित हुआ और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अधिनियम बन गया। तभी से भारत में हर वर्ष 9 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2022 की थीम
हर साल, विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हाइलाइट करने के लिए एक विषय को अपनाता है। इस साल वर्ष 2022 में वर्ल्ड कंज्यूमर राइट्स डे का विषय “फेयर डिजिटल फाइनेंस” है। वर्ष 2021 में इस दिवस का विषय “प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना” / Tackling Plastic Pollution था|
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2022 थीम: “फेयर डिजिटल फाइनेंस”
डिजिटल प्रौद्योगिकियां लगातार भुगतान, उधार, बीमा, धन प्रबंधन आदि को हर जगह एक नया आकार दे रही हैं जो वित्तीय सेवाओं के लिए उपभोक्ताओं का काम आसान तो करती हैं, लेकिन डिजिटल वित्तीय सेवाओं ने पारंपरिक जोखिमों को बढ़ाने के साथ-साथ नए जोखिम पैदा किए हैं जो उपभोक्ताओं के लिए अनुचित परिणामों का कारण बन सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो तेजी से नकदी रहित समाज में कमजोर हैं| सभी के लिए उचित डिजिटल वित्त प्राप्त करने के लिए एक वैश्विक, सहयोगी और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है| विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2022 उपभोक्ता दृष्टि से उचित डिजिटल वित्त (Fair Digital Finance) पर वैश्विक बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगा|
वर्ल्ड कंज्यूमर राइट्स डे की पिछले कुछ सालों की थीम्स
2022: न्यायसंगत डिजिटल फाइनेंस (Fair Digital Finance)
2021: प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना (Tackling Plastic Pollution)
2020: सतत उपभोक्ता (The Sustainable Consumer)
2019: विश्वसनीय स्मार्ट उत्पाद (Trusted Smart Products)
2018: डिजिटल मार्केटप्लेस को उचित बनाना (Making digital marketplaces fairer)
2017: बेहतर डिजिटल दुनिया (Better Digital World)
2016: एंटीबायोटिक्स मेनू बंद (Antibiotics Off The Menu)
2015: स्वस्थ आहार (Healthy Diets)
2014: हमारे फोन अधिकार ठीक करें (Fix Our Phone Rights)
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस
भारत में “राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस” जिसे राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के नाम से भी जाना जाता है “विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस” के समान उद्देश्य के साथ 24 दिसंबर मनाया जाता है| इसकी शुरुआत 24 दिसंबर, 1986 को हुई थी| इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई थी| राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना है| उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं को छह बुनियादी अधिकारों की गारंटी देता है:
* उत्पाद चुनने का अधिकार;
* सभी प्रकार के खतरनाक सामानों से सुरक्षा का अधिकार;
* सभी उत्पादों के प्रदर्शन और गुणवत्ता के बारे में सूचित होने का अधिकार;
* उपभोक्ता हितों से संबंधित सभी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सुनवाई का अधिकार;
* जब भी उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन किया गया हो, निवारण की मांग करने का अधिकार;
* उपभोक्ता शिक्षा को पूरा करने का अधिकार;
भारत में उपभोक्ता के अधिकार
भारत में समय पर उपभोक्ता संरक्षण अधिकार कानून में परिवर्तन होते रहे। जिसके बाद ग्राहकों के पास और कई अधिकार आते रहे है। इस बदलाव से निजी कंपनियों का जवाबदेही बढ़ती रही है।
* उपभोक्ता अब कहीं भी अपनी शिकायत करा सकता है। लेकिन पहले शिकायत वहीं होती थी, जहाँ की कंपनी होती है। लेकिन अब किसी स्थान से आप शिकायत दर्ज करा सकते है।
* अब किसी भी प्राइवेट कंपनी अपने विज्ञापन में काम करने वाले सेलीब्रिटी विज्ञापन का जवाबदेही होगा। इसलिए कोई भी सेलीब्रिटी अपने विज्ञापन अपनी जिम्मेदारी पर करें। बड़ी हस्तियों और सेलीब्रिटी को सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है।
*.उपभोक्ता कानून के बदलाव के तहत, ई-कॉमर्स कंपनियों (ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों) को उपभोक्ता फोरम के तहत लाया गया। जिससे ग्राहकों को सुरक्षा की गारंटी देता है।
* भारत में अपने ग्राहकों से यदि कोई कंपनी धोखाधड़ी करती है तो उसे 10 लाख तक का जुर्माना और 3 वर्ष की सज़ा हो सकती है।
भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून
* संयुक्त राष्ट्र ने अप्रैल, 1985 को उपभोक्ता संरक्षण के लिए दिशानिर्देश से संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया था। भारत ने इस प्रस्ताव के हस्ताक्षरकर्ता देश के तौर पर इसके दायित्व को पूरा करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 बनाया।
* संसद ने दिसंबर, 1986 को यह कानून बनाया जो 15 अप्रैल, 1987 से लागू हो गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करना था। इसके तहत उपभोक्ता विवादों के निवारण के लिए उपभोक्ता परिषदों और अन्य प्राधिकरणों की स्थापना का प्रावधान था।
* सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को प्रतिस्थापित करते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 को पारित किया जोकि भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों का शीर्ष कानून है।
* उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की निम्न विशेषता है-
1. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना-
* उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और संस्थान की शिकायतों की जांच करना
* असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेना
* अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना
* भ्रामक विज्ञापनों के निर्माता / समर्थक/ प्रकाशक पर जुर्माना लगाना
2. सरलीकृत विवाद समाधान प्रक्रिया
i) आर्थिक क्षेत्राधिकार को बढ़ाया गया है-
* जिला आयोग -1 करोड़ रुपये तक
* राज्य आयोग- 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक
* राष्ट्रीय आयोग -10 करोड़ रुपये से अधिक
ii) दाखिल करने के 21 दिनों के बाद शिकायत की स्वत: स्वीकार्यता
iii) उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने आदेशों को लागू कराने का अधिकार
iv) दूसरे चरण के बाद केवल कानून के सवाल पर अपील का अधिकार
v) आयोग से उपभोक्ता द्वारा संपर्क की आसान प्रक्रिया
* निवास स्थान से फाइलिंग की सुविधा
* ई फाइलिंग
*.सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा
3. मध्यस्थता
* एक वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र
* उपभोक्ता फोरम द्वारा मध्यस्थता का विकल्प देना जहां भी शुरु में ही समाधान की गुंजाइश है और दोनों पक्ष इसके लिए सहमत हैं।
*.मध्यस्थता केंद्रों को उपभोक्ता फोरम से जोड़ा जाना
* मध्यस्थता के माध्यम से होने वाले समाधान में अपील की सुविधा नहीं
4. उत्पाद की जिम्मेदारी
यदि कोई उत्पाद या सेवा में दोष पाया जाता हैं तो उत्पाद निर्माता/विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिए जिम्मेदार माना जाएगा
*.दोषपूर्ण उत्पाद का आधार:
*.निर्माण में खराबी
*.डिजाइन में दोष
*.वास्तविक उत्पाद, उत्पाद की घोषित विशेषताओं से अलग है
* प्रदान की जाने वाली सेवाएँ दोषपूर्ण हैं
नये विधेयक- उपभोक्ताओं को लाभ
इससे पहले न्याय के लिए उपभोक्ता के पास एक ही विकल्प था, जिसमें काफी समय लगता है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के माध्यम से त्वरित न्याय की व्यवस्था की गई है।
*.भ्रामक विज्ञापनों और उत्पादों में मिलावट की रोकथाम के लिए कठोर सजा का प्रावधान
*.दोषपूर्ण उत्पादों या सेवाओं को रोकने के लिए निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं पर जिम्मेदारी का प्रावधान
*.उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी और प्रक्रिया का सरलीकरण
*.मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के शीघ्र निपटान की गुंजाइश
*.नए युग के उपभोक्ता मुद्दों- ई कॉमर्स और सीधी बिक्री के लिए नियमों का प्रावधान
भारतीय कानून के तहत सज़ा
अब दुकानदार इस कानून के दायरे में आ गये। यदि कोई दुकानदार एमआरपी से अधिक मूल्य पर समान बचता है तो उस तीन वर्ष की सज़ा का प्रावधान है।
* खाने-पीने के समान में मिलावट होने पर कंपनी मालिक को जुर्माना और जेल का प्रावधान है। मिलावट पर 6 माह की जेल, जबकि ग्राहक की मृत्यु होने पर उम्रकैद की सज़ा का प्रावधान है।
* यदि कोई प्रोडक्ट खराब निकलता है तो उसका हर्जाना दुकानदार को ग्राहक को देना पड़ता है।
कैसे मनाते है उपभोक्ता अधिकार दिवस?
* विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर ग्राहकों को अपनी जिम्मेदारियों एवं अधिकारों के बारे में बताने और जागरूक करने के लिए इस दिन विश्व स्तर पर कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। और स्कूलों और कॉलेजों में भी इस दिन इस विषय को लेकर कई कार्यक्रम और इवेंट्स का आयोजन किया जाता है।
* इस साल 14 मार्च 2022 से कंज्यूमर इंटरनेशनल एक सप्ताह तक चलने वाले फेयर डिजिटल फाइनेंस फोरम की मेजबानी कर रहा है। जो निष्पक्ष डिजिटल वित्त की दिशा में तेजी से प्रगति लाने के लिए हितधारकों को प्रेरित करने के लिए घटनाओं की एक अनूठी और दूरदर्शी श्रृंखला पेश करेगा।
* इस मौके पर लोगों को उपभोक्ता अधिकारों एवं कानूनों के बारे में भी विस्तार से समझाया जाता है और कंजूमर फोरम में शिकायत करने के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
*.यदि एक उपभोक्ता के तौर पर आपके अधिकारों का हनन होता दिखाई दे रहा है तो आप अपनी इच्छा के अनुसार उपभोक्ता आयोग में कार्यवाही कर सकते हैं।
*.इसमें कालाबाजारी, जमाखोरी, मिलावट, नाप-तोल में गड़बड़ी, बिल ना देना, वस्तुओं का अधिक मूल्य लेना तथा इसी तरह के दूसरे गुनाह इन कानूनों के अंतर्गत आते हैं।