बच्चे बड़े होकर कैसे बनेंगे, ये काफी हद तक पैरेंट्स पर निर्भर करता है। आप बच्चे को क्या सिखाते हैं, उसे कैसे रखते हैं और उसकी परवरिश किस तरह करते हैं, इन सब बातों से बच्चों का फ्यूचर सही या खराब हो सकता है। कुछ ऐसे गुण होते हैं जो मां-बाप को अपने बच्चों को जरूर सिखाने चाहिए। यदि आपका बच्चा ज्यादा चुप रहता है, अपनी भावनाओं को एक्सप्रेस नहीं कर पाता है, तो उसे सिखाना होगा। ये टिप्स आपके लिए इसे ज्यादा सुविधाजनक बना सकते हैं।
आप दिनभर में बच्चे के दिमाग में जो कुछ भी डालते हैं, उसे बच्चा पूरी जिंदगी अपने साथ रखता है। इस सबका बच्चे की जिंदगी और फ्यूचर पर बहुत असर पड़ता है। यह सच है कि कुछ बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। वे जरूरी बातों के बारे में भी नहीं बता पाते हैं। उनकी इस आदत से पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चा यह आदत घर और उसके माहौल से ही डेवलप करता है। यदि उसे हर बात के लिए पेरेंट्स से डांट मिलती है या उसे हर बात के लिए रोका-टोका जाता है, तो वह चुप रहना शुरू कर देता है। वह अपनी बातों को एक्स्प्रेस करना छोड़ देता है। उसे अपनी बात कहना व्यर्थ लगने लगता है। यदि आपको भी लगता है कि आपका बच्चा अपनी बातों को एक्स्प्रेस नहीं कर पा रहा है, तो आपको उसे सिखाना पड़ेगा। बच्चे के पर्सनेलिटी डेवलपमेंट के लिए यह जरूरी है। बच्चे को एक्सप्रेस करना सिखाने के लिए क्या- क्या करना चाहिए, आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय …
सिखाने से पहले खुद सीखें
‘किसी भी गलत काम के लिए जब आप बच्चे को टोकने जाते हैं, तो सबसे पहले यह जांच लें कि कहीं यह गलती आप भी तो नहीं कर रहे हैं। यदि आप या आपके पार्टनर उस गलती को करते हैं, जैसे कि तेज आवाज में जवाब देना, किसी बाहरी व्यक्ति को देखकर उससे कट कर चले आना आदि, तो आपका बच्चा भी वैसा ही करेगा। पेरेंट्स जो करते हैं, बच्चा वही सीखता है। किसी गलती पर तुरंत डांटने की बजाय स्थिर होकर बच्चे की बात सुनने की कोशिश करें, उसे समझाने का प्रयास करें। जब आप उनकी बात सुनेंगे, तो वे भी अपनी तरफ से कुछ कह पाएंगे। अपनी भावनाओं को शेयर कर पाएंगे।
अपने बच्चों को फैमिली बॉन्डिंग का एहसास कराएं
‘यदि आप अपने काम में लगी रहेंगे तो बच्चा इग्नोर फील करने लगता है। उसे लगता है कि अपने घर में उसका कोई महत्व नहीं है। यह एहसास उसे अपनी बात शेयर करने से रोकने लगता है। वह चाहकर भी अपनी बातें शेयर नहीं कर पाता है।’ ध्यान रखें कि यह फीलिंग बच्चे को भावनात्मक तौर पर कमजोर कर देती है। वह अपनी गलतियां छुपाने लग जाता है। आप उसे यह बताएं और समझाएं कि परिवार के हर सदस्य को एक-दूसरे की जरूरत होती है। सभी को एक दूसरे के सुख- दुख में साथ देना चाहिए। एक दूसरे को बात बताने और एक-दूसरे की बात सुनने से भी फैमिली बॉन्डिंग मज़बूत होती है।
रिश्तेदार, पड़ोसी और समाज की जरूरत
बच्चे को यह बताएं कि जिस तरह पेरेंट्स जरूरी हैं, उसी तरह रिश्तेदार, पड़ोसी या समाज के अंजाने लोग भी बेहद जरूरी हैं। किसी एक की कमी से संतुलन बिगड़ सकता है। यदि वे उनसे घुलमिल नहीं पाएंगे, उनके बीच स्वयं को अभिव्यक्त नहीं कर पाएंगे तो भविष्य में उन्हें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
प्यार है जरूरी
लग्जरी से ज्यादा प्यार जरूरी होता है। ‘प्यार के बिना कोई मानवता नहीं है। अपने बच्चे को सिखाएं कि इस दुनिया में कोई भी चीज प्यार को हरा नहीं सकती है। हर इंसान को उसके धर्म, लिंग, उम्र, रंग के भेद के बिना प्यार करना चाहिए। प्यार की कोई भाषा नहीं होती है और हर इंसान एक बराबर है। बच्चे के सामने ऐसी कोई बात न करें जो उसे यह संकेत दे कि प्यार सबके लिए एक बराबर नहीं है।
समझें बच्चे का स्वभाव
कई बार बच्चे का स्वभाव भी शर्मीला होता है। वह लोगों से बहुत अधिक घुलना-मिलना और उंनसे बातचीत नहीं कर पाता है। कई बार इसके लिए जीन भी जिम्मेदार होती है। यदि आपका बच्चा भी इस श्रेणी में है, तो उस पर बहुत अधिक दवाब न बनाएं। बड़े होने पर वह अपने-आप चीजों को समझना शुरू कर देगा। जहां स्वयं को अभिव्यक्त करना जरूरी होगा, वह कर पायेगा।
बच्चे के लिए उसकी पहली टीचर और शिक्षक पैरेंट्स होते हैं। स्कूल जाने से पहले बच्चा अपने पैरेंट्स को देखकर काफी कुछ सीख लेता है। ‘अंत में बच्चे की सफलता में पैरेंट्स की पॉजिटिव इंवॉल्वमेंट शामिल होती है।’