दुनिया भर में पीड़ितों व असहाय लोगों का दुख-दर्द दूर करने के लिए सदैव तैयार रहने वाली रेडक्रास संस्थाओं के इतिहास में आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है। 8 मई का दिन रेडक्रास के संस्थापक हैनरी डयूना के जन्मदिन की याद में विश्व रेडक्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस को मनाने के लिए रेडक्रास की अंतरराष्ट्रीय कमेटी आफ रेडक्रास, इंटरनेशनल फेडरेशन व रेड क्रीसेंट सोसायटीज की ओर से थीम “साथ में हम अजय हैं” चुना गया है।
विश्व रेडक्रॉस दिवस
“विश्व रेडक्रॉस दिवस” 8 मई को हर साल जीन हेनरी ड्यूनेंट के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है। 1901 में वो शांति के लिए प्रथम नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति थे। वह “अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी” के संस्थापक थे जिन्होंने बहुत से लोगों की जान बचाई थी। यह संस्था आपातकालीन स्थिति जैसे युद्ध और प्राकृतिक आपदा में पीढ़ित लोगों की मदद करती है। इस पर्व को हर साल धूमधाम से मनाया जाता है।
यह संस्था पिछले 150 सालों से गरीब और असहाय लोगों की मदद कर रही है। भारत में रेड क्रॉस सोसायटी की स्थापना 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के अनुसार की गई थी। विश्व के 210 देश रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़े हुए हैं। ‘Find the Volunteer in side you’ (अपने अन्दर के स्वयं सेवक को पहचानें) इसका नारा है।
एक भयावह युद्ध से आया रेड क्रॉस का आइडिया
स्विटजरलैंड के एक उद्यमी थे जॉन हेनरी डिनैंट। 1859 में वह फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय की तलाश में गए थे। उन दिनों अल्जीरिया पर फ्रांस का कब्जा था। डिनैंट को उम्मीद थी कि अल्जीरिया में व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने में नेपोलियन उनकी मदद करेंगे। लेकिन डिनैंट को सम्राट नेपोलियन से मिलने का मौका नहीं मिला। इसीबीच वह इटली गए जहां उन्होंने सोल्फेरिनो का युद्ध देखा। एक ही दिन में उस युद्ध में 40,000 से ज्यादा सैनिक मारे गए और घायल हुए। किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए चिकित्सा कोर नहीं थी। डिनैंट ने स्वंयसेवकों के एक समूह को संगठित किया। उनलोगों ने घायलों तक खाना और पानी पहुंचाया। घायलों का उपचार किया और उनके परिवार के लोगों को पत्र लिखा। इस घटना के 3 साल बाद डिनैंट ने अपने इस दुखद अनुभव को एक किताब के रूप में प्रकाशित किया। किताब का नाम था ‘अ मेमरी ऑफ सोल्फेरिनो’। उन्होंने युद्ध के भयावह दृश्य के बारे में पुस्तक में लिखा था। उन्होंने बताया कि कैसे युद्ध में अपने अंगों को गंवाने वाले लोग कराह रहे थे। उनको मरने के लिए छोड़ दिया गया था। पुस्तक के अंत में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया था। ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके। ऐसी सोसायटी जो हर नागरिकता के लोगों के लिए काम करे। उनके इस सुझाव पर अगले ही साल अमल किया गया।
रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना
फरवरी, 1863 में जिनीवा पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने एक कमिटी का गठन किया। उस कमिटी में स्विटजरलैंड के पांच नागरिक शामिल थे। कमिटी को हेनरी डिनैंट के सुझावों पर गौर करना था। कमिटी के पांच सदस्यों का नाम इस तरह से है, जनरल ग्यूमे हेनरी दुफूर, गुस्तावे मोयनियर, लुई ऐपिया, थिओडोर मॉनोइर और हेनरी डिनैंट खुद। ग्यूमे हेनरी दुफूर स्विटजरलैंड की सेना के जनरल थे। एक साल के लिए वह कमिटी के अध्यक्ष रहे और बाद में मानद अध्यक्ष। गुस्तावे युवा वकील थे और पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष थे। उसके बाद से उन्होंने अपने जीवन को रेड क्रॉस कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। लुई और थिओडोर चिकित्सक थे।
हेनरी डयूनेन्ट ने 9 फरवरी 1863 को इस संस्था की स्थापना स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में पांच लोगों की कमेटी बनाकर की थी। उन्होंने इसका नाम “इंटरनेशनल कमिटी फॉर रिलीफ टू द वाउंडेड” रखा था। उस वर्ष जिनेवा में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें 18 देशों ने इस संस्था में हिस्सा लिया। उसके बाद रेडक्रास सोसायटी को कानूनी रूप प्रदान किया गया।
सफेद पट्टी पर लाल रंग का क्रॉस का चिन्ह इस संस्था का निशान है। रेड क्रॉस संस्था ने विश्व का पहला ब्लड बैंक अमेरिका में 1937 को खोला था। थैलेसीमिया, कैंसर, एनीमिया, एड्स जैसी घातक बीमारियों के रोगियों की यह संस्था मदद करती है।
8 मई को ही क्यों?
रेडक्रॉस के जनक जॉन हेनरी डिनैंट का जन्म 8 मई, 1828 को हुआ था। उनके जन्मदिन को ही विश्व रेडक्रॉस दिवस के तौर पर मनाया जाता है। साल 1901 में हेनरी डिनैंट को उनके मानव सेवा के कार्यों के लिए पहला नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
रेड क्रॉस सोसायटी के प्रमुख सिद्धांत
रेड क्रॉस सोसाइटी के मुख्या सिद्धांत इस प्रकार हैं –
मानवता: इसका प्रमुख सिद्धांत मानवता की सेवा करना है। विश्व में कहीं भी युद्ध चल रहा हो, वहां के घायल सिपाहियों, सैनिकों की यह संस्था निस्वार्थ भाव से सेवा करती है।
निष्पक्षता: यह जाति, धर्म, वर्ग, राजनीति, देश के नाम पर भेदभाव नहीं करती है। यह संस्था सभी पीड़ितों की मदद निष्पक्ष रुप से करती है।
तटस्थता: रेड क्रॉस सोसायटी एक तटस्थ संस्था है। यह किसी भी देश या सरकार का पक्ष नहीं लेती है। यह सभी की एक समान भाव से मदद करती है।
स्वतंत्रता: यह एक स्वतंत्र संस्था है। यह किसी देश की सरकार के दबाव में काम नहीं करती है।
स्वैच्छिक सेवा: यह संस्था किसी भी स्वार्थ के लिए मानव सेवा का काम नहीं करती है। रेड क्रॉस सोसाइटी का अभियान पूरी तरह से निस्वार्थ होता है।
एकता: यह अपनी समाज सेवा और मानव कार्यों से संपूर्ण विश्व में एकता लाना चाहती है। इस संस्था का उद्देश्य सभी देशों के बीच प्रेम शांति बनाए रखना है। युद्ध को रोकना इसका उद्देश्य है।
सार्वभौमिकता: यह एक सार्वभौमिक संस्था है। यह विश्व के सभी देशों में उपलब्ध है और अपनी सेवाएं देती है।
रेडक्रॉस सोसायटी का उद्देश्य और कार्य
इस संस्था का मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की मदद और चिकित्सा करना है। रेड क्रॉस आंदोलन को अधिक से अधिक देशों में फैलाना है। बंदी शिविर में सैनिकों की देखरेख करना, युद्ध बंदियों का इलाज करना प्रमुख उद्देश्य है।
शांति और युद्ध के समय यह विभिन्न देशों की सरकार के बीच समन्वय का कार्य करती है। महामारी बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा में पीड़ितों की सहायता करती है। मानव सेवा का कार्य करती है।
युद्ध में सैकड़ों सिपाही विकलांग हो जाते हैं। अनेक सिपाहियों की जान चली जाती है। आम नागरिक की हालत बेहद दयनीय हो जाती है। संस्था बिना भेदभाव के लोगों की सेवा करती है।
भारत में इसकी स्थापना
दुनिया के लगभग 210 देश इस संस्था से जुड़े हुए हैं। भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी की स्थापना साल 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के अनुसार की गई। भारत में रेडक्रॉस सोसाइटी की 700 से भी अधिक शाखाएं हैं। रेड क्रॉस सोसाइटी के सिद्धांतों को मान्यता साल 1934 में 15वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मिली, जिसके बाद इसे दुनियाभर में लागू किया गया।
साल 1948 में मनाया गया पहला रेड क्रॉस दिवस
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस सोसाइटी (IFRC) ने हर वर्ष इस दिवस को मनाए जाने की मांग की। जिसके बाद हर साल वर्ल्ड रेड क्रॉस डे मनाने की शुरुआत हुई। आठ मई 1948 को पहला वर्ल्ड रेड क्रॉस डे मनाया गया। साल 1984 में आधिकारिक रूप से इसका नाम वर्ल्ड रेड क्रॉस डे और रेड क्रेसेंट डे रखा गया।
रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य
रेड क्रॉस सोसाइटी के उल्लेखनीय कार्य और मदद –
इस संस्था ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बहुत से घायलों का प्राथमिक उपचार किया। द्वितीय विश्व युद्ध में अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में हजारों लोग मारे गए। सैकड़ों घायल हुए। इन घायलों की सेवा रेडक्रास सोसायटी ने की थी। पहले विश्व के अनेक देशों में रेडक्रास सोसायटी पर प्रतिबंध था। परंतु अब विश्व के लगभग सभी देशों में इसकी शाखाएं खुल गई हैं और यह मानव सेवा करने का काम सभी देशों में कर रही है।
विश्व के 186 देशों में रेड क्रॉस सोसायटी काम कर रही है। यह रक्तदान शिविरों का आयोजन करती है। जगह-जगह ब्लड बैंकों की स्थापना की है। रक्तदान जागरूकता अभियान भी चलाती है। जानलेवा बीमारियों जैसे कैंसर, एनीमिया थैलीसीमिया से बचाव के तरीके लोगों को बताती है। संस्था के सदस्य निस्वार्थ भाव से मानव सेवा का काम करते हैं। रोगियों घायलों सैनिकों की मदद करते हैं। भारत के गांव और शहरों में यह एंबुलेंस दवाइयां पहुंचाने का काम करती है।
रेड क्रॉस चिन्ह का गलत इस्तेमाल करने पर 500 रूपये जुर्माना लगाया जाता है और उस व्यक्ति की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। बहुत सी संस्थाएं, क्लीनिक और अस्पताल रेड क्रॉस चिन्ह का प्रयोग करते हैं। बहुत ऐसे डॉक्टरों को इस चिन्ह का अर्थ भी नहीं पता है, फिर भी वे इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं।
रेड क्रॉस सोसायटी के लिए चुनौतियां
मानव सेवा का काम करना बहुत मुश्किल है। विश्व के अनेक देशो में अधिक से अधिक परमाणु हथियार बनाने की होड़ लगी हुई है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, इराक, ईरान जैसे देश आतंकवाद से जूझ रहे हैं। वर्तमान में आतंकवाद एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर प्रकट हुआ है। आतंकवादी अक्सर रेड क्रॉस सोसायटी के सदस्यों का अपहरण कर लेते हैं और उनकी हत्या कर देते हैं। पर तब भी यह रेडक्रॉस सोसाइटी और इसके कार्यकर्ता हर जगह दृढ़ता और मेहनत से अपना काम कर रहे हैं।
कोरोना काल में रेड क्रॉस की भूमिका
इस सोसाइटी का नारा है- अपने अन्दर के स्वयं सेवक को पहचानें। मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता और एकता जैसे सिद्धांतों पर कार्यरत इस संस्था की भूमिका कोरोना संकट के दौर में और भी जयादा महत्वपूर्ण हो गई है।
हजारों तरह की राहत सामग्री के साथ क्वारंटीन सेंटर सेवा
भोजन उपलब्ध कराना और लोगों को परिवार से मिलाना
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना
ब्लड बैंकों के जरिए खून की कमी दूर करना
इस सोसाइटी के लाखों स्वयंसेवी इस महामारी के दौर में समाजसेवा में लगे हैं।
(जैसा की रेड क्रॉस सोसाइटी की अधिकारिक वेबसाइट के दावों के मुताबिक)