कोरोना की कुछ वैक्सीन की दो ख़ुराक भी हमें ओमिक्रॉन के संक्रमण से नहीं बचा सकती है. हालांकि इस वैक्सीन ने गंभीर रूप से बीमार होने और अस्पताल में भर्ती होने के ख़तरे को कम ज़रूर किया है.जो भी वैक्सीन बनी हैं वो दो साल पहले सामने आए वायरस के पहले रूप से लड़ने के लिए विकसित की गई थीं.अब सवाल यह उठता है कि उन असली वैक्सीन के तीसरे या ‘बूस्टर’ डोज़ से सुरक्षा मिल सकती है या ओमिक्रॉन ने पहले ही वैक्सीन की सुरक्षा को तोड़ दिया है. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि बूस्टर डोज़ हमारे इम्यून सिस्टम के लिए पहले वाली स्थिति की तरह ही नहीं है. हालांकि बूस्टर के लिए वैक्सीन की मात्रा समान हो सकती है.बूस्टर डोज़ के बाद आपको ऐसी सुरक्षा मिलती है जो काफ़ी विस्तृत होती है और इस तरह की सुरक्षा पहले नहीं रही होगी.
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रान के प्रसार के बीच दुनिया के 35 मुल्क वैक्सीन की बूस्टर डोज दे रहे हैं। दुनिया की प्रमुख वैक्सीन कंपनियां ओमिक्रान के खिलाफ 70 से 80 फीसद तक कारगर होने का दावा कर रही हैं। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया है कि 10 जनवरी से देश के हेल्थ वर्कर्स समेत करीब तीन करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रिकाशन डोज दिया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि बूस्टर डोज कितनी प्रभावशाली है और इस मामले में दुनिया के प्रमुख देशों की वैक्सीन कंपनियों की क्या राय है ?
क्या होता है बूस्टर या बूस्ट शॉट
बूस्टर मुख्य रूप से वैक्सीन की तय एक या दो डोज के बाद एक अंतराल पर दी जाने वाली अगली डोज होती है जो हमारे शरीर में मौजूद मेमोरी सेल्स को एक्टिवेट करती है और एंटीबॉडी को फिर से वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता प्रदान करती है. यह वैक्सीन को अपग्रेड करता है. वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद साल या दो साल के अंतराल पर बूस्टर डोज दी जाती है.
बूस्टर डोज की जरूरत क्यों
कोरोना वायरस वैक्सीन का छह महीनों में दूसरी डोज का असर समाप्त हो जाता है या कम होने लगता है। डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रान तीन गुना ज्यादा संक्रामक है। कोरोना संक्रमित होने की सबसे ज्यादा आशंका वालों को दिए जाने वाले बूस्टर डोज को प्रिकाशन डोज कहते हैं। दूसरे डोज और प्रिकाशनरी डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप रह सकता है। महामारी की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने कहा था कि वैक्सीन की वजह से अगर पूरी सुरक्षा न भी मिल पाए तब भी कोरोना फ्लू जैसी एक मामूली बीमारी बनकर रह जाएगी। लेकिन ब्रिटेन में हुई स्टडी बताती है कि समय बीतने के साथ वैक्सीन अपनी धार खो रही है। कोरोना वैक्सीन गंभीर रूप से बीमार होने या अस्पताल में भर्ती होने की आशंका को खत्म करती है लेकिन समय बीतने के साथ उसकी इस क्षमता में भी कमी देखने को मिल रही है। कोरोना वैक्सीन से गंभीर रूप से बीमार होने और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका शुरुआत में 95 प्रतिशत खत्म हो जाती है लेकिन समय बीतने के साथ यह आंकड़ा धीरे-धीरे गिरकर 77 प्रतिशत पहुंच गया है। इसी तरह, इजरायल के आंकड़े बताते हैं कि 60 साल से ऊपर के वे लोग जिन्होंने 5 महीने या उससे भी ज्यादा पहले दूसरी खुराक ली थी, उनके संक्रमित होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा है जिन्होंने हाल में दूसरी खुराक ली है। लेकिन तीसरी खुराक के दो हफ्ते बाद उनके संक्रमित होने की आशंका 11.3 गुना कम हो जाती है।
ओमिक्रान पर कितना प्रभावकारी है बूस्टर डोज
जहां तक सवाल इस बूस्टर डोज के प्रभाव का है तो प्रत्येक देश में इसकी अलग-अलग राय है। अमेरिका में ओमिक्रान वैरिएंट पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर फाइजर और माडर्ना ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रान के खिलाफ भी प्रभावशाली है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबाडी लेवल में कमी आने लगती है। इंग्लैंड में फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर कहना है कि दूसरा डोज लगवाने के दो हफ्ते तक वैक्सीन इन्फेक्शन को रोकने में 90 फीसद कारगर है, लेकिन पांच महीने बाद केवल 70 फीसद ही कारगर रह जाती है। माडर्ना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी समय के साथ कम होती गई थी। ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के अनुसार कोरोना की बूस्टर डोज ओमिक्रान वैरिएंट के सिम्प्टोमेटिक इन्फेक्शन के खिलाफ 70 से 75 फीसद तक सुरक्षा प्रदान करता है। बूस्टर डोज देने की शुरुआत इजरायल से हुई थी। यहां अगस्त से ही नागरिकों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है। अक्टूबर में इजरायल की सबसे बड़ी हेल्थ मेंटेनेंस आर्गेनाइजेशन क्लालिट हेल्थ सर्विस ने स्टडी कराई थी। इसमें बूस्टर डोज लेने वाले 7.28 लाख लोगों का अध्ययन किया गया था। इसमें सामने आया दो डोज की तुलना में गंभीर संक्रमणों से बचाव में बूस्टर डोज 92 फीसद प्रभावी है। चीन की बायोटेक कंपनी सीनोवैक ने बूस्टर डोज को लेकर एक स्टडी पब्लिश की है। इसमें सामने आया कि ओमिक्रान के खिलाफ तीसरा वैक्सीन डोज 94 फीसद प्रभावशाली है। कंपनी ने कुल 68 लोगों पर स्टडी की थी, जिसमें से 20 ने सिर्फ दो डोज लिए थे, जबकि 48 ने तीन डोज लिए थे। पहले समूह के सात लोगों में और दूसरे समूह के 45 लोगों में ओमिक्रान के खिलाफ एंटीबाडी डेवलप हुई। अमेरिका में ओमिक्रान वैरिएंट पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर फाइजर और माडर्ना ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रान के खिलाफ भी प्रभावशाली है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबाडी लेवल में कमी आने लगती है।
कैसे पता चलेगा कि किसी को वास्तव में बूस्टर की आवश्यकता है
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर आप बूस्टर डोज के लिए पात्र हैं, लेकिन आश्वस्त नहीं हैं कि आपको एक और खुराक की आवश्यकता है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। वह आपके व्यक्तिगत लाभों और अतिरिक्त खुराक प्राप्त करने के जोखिमों के आधार पर फैसला लेने में आपकी मदद कर सकता है। इसके लिए आपका डॉक्टर आपके एंटीबॉडी लेवल की जांच कर सकता है, जिसे एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट (antibody titers test) भी कहा जाता है। प्रतिरक्षा के कई घटक हैं जिसमें एंटीबॉडी एक महत्वपूर्ण है – खासकर संक्रमण के शुरुआती चरणों में। यदि आपके टाइटर्स बहुत कम हैं, तो बूस्टर शॉट की सिफारिश की जा सकती है।
कितने टाइम बाद लग सकती है बूस्टर डोज?
अगर आपको कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज 9 महीने पहले लगी है, तो आप तीसरी डोज के लिए अप्लाई कर सकते हैं. अगर 9 महीने से कम हुआ है तो बूस्टर डोज अभी नहीं लगेगी.
कौन सी वैक्सीन लगेगी?
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी लोग बूस्टर डोज लगवाने जा रहे हैं, उन्हें वहीं वैक्सीन दी जाएगी जिसकी पहली दो खुराक उन्हें मिल चुकी है. मतलब अगर आपको कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं तो बूस्टर भी कोविशील्ड की ही लगने वाली है.
रेजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा क्या?
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि बूस्टर डोज या फिर प्रीकॉशन डोज लगवाने वाले लोगों को दोबारा रेजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उनके पास दो ऑप्शन रहने वाले हैं. पहला तो ये कि वे Cowin ऐप पर अप्वाइंटमेंट ले सकते हैं. ऐप पर अब थर्ड डोज को लेकर एक अलग फीचर भी जोड़ दिया गया है, ऐसे में आसानी से अप्वाइंटमेंट लिया जा सकता है. दूसरा ऑप्शन ये है कि आप सीधे वैक्सीनेशन सेंटर जाकर भी टीका लगवा सकते हैं. वहां भी दोबारा रेजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ने वाली है.
वैक्सीनेशन सेंटर पर कौन से कागज ले जाने होंगे?
अगर बूस्टर डोज लगवाने जा रहे हैं तो अपने साथ वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस में से कोई एक पहचान पत्र जरूर साथ लेकर जाएं. उसी के आधार पर आपको वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जाएगी
किन प्रमुख देशों में दिया जा रहा है बूस्टर डोज
आवर वर्ल्ड इन डाटा के अनुसार दुनियाभर के 35 से भी ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। अलग-अलग देशों में अलग-अलग फैक्टर को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है। इसकी शुरुआत अगस्त में इजरायल से हुई थी। इसमें अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रिया, ब्रिटेन, चेक रिपब्लिक, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, आयरलैंड, इटली, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, इजरायल, बेल्जियम, बुल्गारिया, डेनमार्क, फिनलैंड, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, तुर्की, चिली, चीन, दक्षिण कोरिया शामिल है। 10 जनवरी को भारत भी इस सूची में शामिल हो जाएगा।
बूस्टर डोज के मामले में चिली सबसे आगे
आवर वर्ल्ड इन डाटा के मुताबिक बूस्टर शाट के मामले में चिली सबसे आगे हैं। चिली में 53 फीसद से अधिक लोगों को बूस्टर डोज दिया जा चुका है। इस मामले में ब्रिटेन दूसरे स्थान पर है। ब्रिटेन में 47 फीसद से अधिक लोगों को यह डोज दी जा चुकी है। बूस्टर डोज के मामले में तीसरे नंबर पर जर्मनी और चौथे नंबर पर फ्रांस है। जर्मनी में करीब 35 फीसद और फ्रांस में 29 फीसद को यह डोज दी जा चुकी है। इटली में 27 फीसद से अधिक लोगों को बूस्टर डोज दिया जा चुका है। वह छठे स्थान पर है। अमेरिका में 19 फीसद से अधिक लोगों को यह डोज मिल चुकी है। चीन में आठ फीसद और रूस में चार फीसद लोगों को यह डोज दी जा चुकी है। दुनिया में महज छह फीसद लोगों को बूस्टर डोज दी गई है।