कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी दुनिया को अवसाद में डाल दिया है।लोगों की मौत की ख़बरें, लॉकडाउन, तेज़ी से फैलता संक्रमण, मास्क पहने लोगों की तस्वीरें. सब मिलाकर एक भयावाह मंज़र पेश कर रहे हैं। ये महामारी, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आई है। लोगों की रोज़ की ज़िंदगी में बदलाव आया है, उसका असर भी मानसिक सेहत पर पड़ा है. लोगों की नौकरियां चली गईं हैं, अस्थिरता का माहौल है, वर्क फ्रॉम होम की वजह से घर में अलग तरह की डिमांड बढ़ गई है जिसमें बच्चों, बुज़ुर्गों की देखरेख करने के साथ-साथ घर संभालना शामिल है. लोग आपस में मिल नहीं पा रहे हैं, बाहर जाकर रिलेक्स करने या मनोरंजन के ज़रिए बंद हो गए हैं, हालांकि अब अनलॉक हुआ है चीज़ें खुली हैं लेकिन फिर भी लोगों में डर है और ऐसे में मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के लिए एक माहौल बन रहा है.”
भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान इस बीमारी से पीड़ित 30 फ़ीसद लोग अवसाद या डिप्रेशन का शिकार हुए हैं।।स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना महामारी की वजह से तनाव के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिशानिर्देश जारी किए हैं. दिशानिर्देश कई शोध रिपोर्ट के आधार पर तैयार किए गए हैं। कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया भर में लोगों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाला है। इस बीमारी ने स्वास्थ्य सेवाओं पर ज़बरदस्त दबाव तो डाला ही है साथ ही मेंटल हेल्थ केयर व्यवस्था के सामने गंभीर चुनौतियां पेश की हैं। ऐसे तनाव भरे और डिप्रेशन देने वाले हालात में ख़ुद को ज़हनी तौर पर सेहतमंद बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। दुनिया भर के मनोचिकित्सकों ने कुछ टिप्स तैयार किए हैं, जो इस मुश्किल दौर में आप को ख़ुश रखने में मदद कर सकते हैं।
अपना ध्यान बंटाएं
जो मुद्दा आप को तनाव देता है, उस पर बार-बार ग़ौर करना आसान है। लेकिन, इसी विषय पर लगातार मंथन करने से भला नहीं होने वाला।अपना ध्यान बँटाने के लिए कुछ और कीजिए. इससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में काफ़ी मदद मिलती है।
ध्यान लगाना सबके लिए कारगर नुस्खा नहीं है
ऐसे तनाव भरे माहौल में अक्सर लोग ध्यान या मेडिटेशन करने लगते हैं। लेकिन, कई लोगों के लिए ध्यान लगाना असरदार नहीं साबित होता।
अगर आप दिमाग़ को स्थिर करेंगे, तो शायद आप फिर उसी मुद्दे पर मंथन करने लगें, जो बात आपको परेशान कर रही थी। अपना ज़हन साफ़ करने के चक्कर में तनाव देने वाले विषय से ध्यान हटाना मुश्किल होता है। यही वजह है कि अब तक के अध्ययन ये बताते हैं कि मेडिटेशन, सबके लिए मददगार नहीं होता। ऐसे लोगों का ध्यान बंटाने का, ध्यान करने से अलग कोई अन्य नुस्खा चाहिए होता है।
कम से कम खबरें पढ़ें
कोरोना वायरस जैसी महामारी की जानकारी होनी जरूरी है लेकिन इससे जुड़ी हुई सारी खबरें पढ़ने से आपको पैनिक अटैक भी पड़ सकता है. एक के बाद एक खबरें पढ़ते जाने से आपके मन में सिर्फ नाकारात्मक विचार आएंगे. आपको कुछ बेचैनी जैसी भी महसूस हो सकती है. आप खुद को और अपने आस-पास के लोगों को लेकर बेवजह भी परेशान हो सकते हैं. इसलिए ज्यादा खबरें पढ़ने से बचें।
हालात के बारे में नए सिरे से सोचें
हम अपने जज़्बात को कैसे महसूस करते हैं, वो इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस दिशा में सोच रहे हैं।
डेरेन ब्राउन अपनी किताब ‘हैप्पी’ में लिखते हैं, “अगर कोई खिलाड़ी ये सोचते हुए खेल के मैदान में उतरता है कि उसे जीतना ही है, तो हार को पचा पाने में मुश्किल होती है. ऐसे खिलाड़ियों को गहरा सदमा लगता है.” तो, हर हाल में अपनी जीत देखने के बजाय ये सोचें कि आप अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे। ऐसे में नतीजा आपने मुताबिक़ न भी आए, तो उसे स्वीकार कर पाना आसान होता है. अगर ये सोचेंगे कि आप बीमार नहीं पड़ेंगे, तो मुश्किल होगी।तो, ये सोचिए कि आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। अपनी साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखेंगे। लॉकडाउन के दौरान घर में रहेंगे। तो, हालात आपके मुफ़ीद होंगे। आप जिन चीज़ों को नियंत्रित नहीं कर सकते, उन्हें लेकर अपने ऊपर बोझ न डालें।
लोगों के साथ जुड़े रहें
लॉकडाउन की वजह से इस समय हर कोई अपने घरों में कैद है. सेल्फ आइसोलेशन में जाने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में लोगों से फोन करके उनका हाल-चाल पूछते रहें और उन्हें यह एहसास कराते रहें कि इस मुश्किल घड़ी में आप उनके साथ हैं. इस तरह दूर रह कर भी आप खुद को अकेला नहीं महसूस करेंगे. वीडियो कॉल करके अपने रिश्तेदारों से जुड़ें रहें।
हमेशा ख़ुश रहने या सकारात्मक रहने की ज़िद न पालें
हमेशा ख़ुश रहने का ख़याल ज़िंदगी हमारे लिए बोझिल बना देगा। जब हम सिर्फ़ अपनी ख़ुशी के बारे में ही सोचते हैं, तो हम अपने आस-पास के लोगों की ख़ुशी के बारे में नहीं सोच पाते. इस वजह से आप दूसरों से कट सकते हैं। हर वक़्त ख़ुशी तलाशने की सनक में आप अलग थलग पड़ सकते हैं, और ख़ुशी के साझा लम्हे आपके हाथ से निकल जाते हैं।
छोटी-छोटी बातों को तवज्जो दें
हर इंसान को अपनी ज़िंदगी के छोटे बड़े तजुर्बात डायरी की शक्ल में दर्ज करने चाहिए। इन छह सवालों का जवाब खोजते हुए हर इंसान अपनी ख़ुशी तलाश सकता है-
1.किन छोटी छोटी बातों से आपको आनंद मिला?
2.आपको अपने काम के लिए कैसी तारीफ़ या प्रतिक्रिया मिली?
3.अच्छी क़िस्मत के कौन से लम्हे आपके जीवन में आए?
4.आपकी छोटी बड़ी उपलब्धियां क्या रहीं?
5.किन बातों ने आपको शुक्रगुज़ार बनाया?
6.आपने अपनी नेकी को कैसे ज़ाहिर किया?
इस तरह के सवालों के जवाब रोज़ डायरी में दर्ज करने के दो फ़ायदे होते हैं. जब हम इन्हें लिखते हैं, तो हमें ख़ुशी देने वाली छोटी छोटी बातें याद आती हैं। इससे हमारे पास उन छोटी से छोटी बातों का भी रिकॉर्ड तैयार होता है, जिनसे हमें ख़ुशियां हासिल हुईं. हम इन्हें बाद में भी याद करके ख़ुश हो सकते हैं।
किताबें पढ़ें
सोशल मीडिया पर इधर-उधर की चीजें पढ़ने की बजाय अपना समय अच्छी किताबें पढ़ने में लगाएं. अच्छी किताबें पढ़ने से आपको सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होगा और आपके मन में किसी तरह का डर नहीं रहेगा।
हमेशा अपना ख्याल रखें
इस महामारी के दौरान सबसे पहले अपना ख्याल रखें। एक सही रूटीन मेंटेन करें। सही समय पर सोएं और जागें। एक्सरसाइज करें। हेल्दी डाइट लें। हर समय कोरोना की चिंता में पड़े रहने की जगह घर के लोगों से बातचीत करें। कोई अच्छी किताब पढ़ें। बच्चों के साथ इनडोर गेम खेलें। म्यूजिक सुनें। बच्चों से बातचीत करें। घर में किसी चीज की कमी हो तो उसे लेकर ज्यादा परेशान मत रहें। यही सोचें कि एक से विपत्तियां आईं और गईं, कोरोना भी जाएगा।
साफ़ सफ़ाई भी एक विकल्प है
ज़िंदगी की आपाधापी में हम अक्सर अपने घर की साफ सफाई नहीं कर पाते हैं. पूरा घर बिखरा, बेतरतीब रहा आता है. ख़ाली वक़्त में घर को संवारा जा सकता है। अगर आप घर से काम कर रहे हैं, तो आप पहले अपने बेडरूम या लिविंग रूम के उन कोनों में भी झांक सकते हैं, जहां आम तौर पर आपकी नज़र नहीं जाती। फ्रिज या किचन साफ़ कर सकते हैं. किचन की अनदेखी से अक्सर हमारा हाथ ऐसी चीज़ों की तरफ़ बढ़ता है, जिनसे सेहत का भला नहीं होता, जैसे कि जंक फूड।अगर किचन और घर को आप नए सिरे से संवारेंगे, तो बहुत सी बेकार हुई चीज़ों से भी निजात मिलेगी और घर भी निखरेगा।
सोशल मीडिया का संतुलित इस्तेमाल करें
इन दिनों सोशल मीडिया में आपको बुरी ख़बरों की बाढ़ ही दिखेगी. लेकिन, कई लोगों के लिए सोशल मीडिया से लगातार जुड़े रहना ज़रूरी होता है। कुछ के लिए ये पेशे की मजबूरी है. तो कई लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दोस्तों, परिजनों से जुड़े रहते हैं। इस मुश्किल का हल ये हो सकता है कि बेडरूम में फ़ोन की एंट्री बंद कर दें. या मोबाइल से कब दूर रहना है, ये तय करके उसका सख़्ती से पालन करें।
दूसरों की मदद करें
यह ऐसा समय है जब बहुत से लोगों को मदद की जरूरत है। आपसे अगर किसी की मदद संभव है तो यह करें। इस समय आप जरूरतमंद लोगों की कई तरह से मदद कर सकते हैं। आप कुछ लोगों के लिए खाने का इंतजाम कर सकते हैं। उनके लिए दवाइयों की व्यवस्था कर सकते हैं। महामारी फैलने पर कई तरह की अफवाहें भी फैलती हैं और इससे असामाजिक तत्व फायदा उठाते हैं। इनसे संभव हो तो लोगों को सचेत करें। जो लोग गरीब हैं, उन्हें मदद की बहुत जरूरत है। अगर संभव हो तो उनकी मदद करें। इससे आपको बेहतर महसूस होगा।
शहर से बाहर निकल जाएं
अगर आप शहर में रहते हैं, तो उस शहर से कहीं और जाने के विकल्प पर भी ग़ौर किया जा सकता है। आप सुरक्षित सोशल डिस्टेंसिंग और अपनी व दूसरों की सेहत का ध्यान रखते हुए दूसरे शहर जा सकते हैं।शहरों में रहने वालों में मूड स्विंग की शिकायत ज़्यादा होती है. ऐसे में झरने, झीलों, नीला आसमान या दूर तक फैले पानी का नज़ारा दिल को सुकून देने वाला होता है। इससे लोगों में निराशा का भाव ख़त्म होता है। मज़े की बात ये है कि अगर आप ये सोचें कि पहाड़ और हरियाली आपको राहत देगी, तो रिसर्च इसकी तस्दीक़ नहीं करती। ऐसे में समंदर किनारे के किसी इलाक़े में जाने का विकल्प बेहतर होगा।
तो, अगर आप दुनियावी हालात से परेशान हैं, तो हमारी इन टिप्स की मदद से अपने मूड को बेहतर बनाने की कोशिश कर सकते हैं।