RO No. 11734/ 85
चैत्र शुल्क पक्ष नवमी दिन रविवार को श्रीराम जन्मोत्सव (रामनवमी) मनाया जाएगा। भगवान श्रीराम भक्त हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की अपार उमड़ेगी। खास यह कि इस बार त्रिवेणी, रवि पुष्प, सुकर्मा और श्रीवस्त योग में रामनवमी की पूजा होगी। ऐसा संयोग काफी सालों बाद बना है। पूजा को लेकर मंदिरों की सफाई कर सतरंगी लरियों से सजाया-संवारा जा रहा है। मंदिरों में रामनवमी के दिन पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लगेंगी।
आज चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि है। इसी के साथ आज ही नवरात्रि के समापन की तिथि भी है। चैत्र नवमी शुक्ल पक्ष तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के मानने लोग हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान राम विष्णुजी के सातवें अवतार माने जाते हैं। राम नवमी के दिन भगवान राम, माता सीता और राम भक्त हनुमानजी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम की जो व्यक्ति सच्चे मन से उनकी पूजा-आराधना करता है उसे जीवन में मान-सम्मान और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। चैत्र नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्म दोपहर के प्रहर में हुआ था। ज्योतिष शास्त्र में दोपहर के अभिजीत मुहूर्त को सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है। भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न, अभिजीत मुहूर्त, सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह के विशेष योग में हुआ था। राम नवमी त्योहार के दिन पर ही नौ दिनों तक चलने वाले देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि खत्म हो जाता है। राम नवमी के अगले दिन नवरात्रि का पारण किया जाता है। आए जानते हैं रामनवमी पर्व पर पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि,आरती, कथा, मंत्र और महत्व….
राम जन्मोत्सव
चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन अयोध्या में राम जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन राम जी के छोटे भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान श्रीराम की उपासना करते हैं, भजन आदि करते हैं. इस दिन पूजा के बाद राम जी के मंत्रों का जाप किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन रामचरितमानस और रामायण का पाठ करने का भी विधान है।
रामनवमी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में धरती पर असुरों का उत्पात बढ़ गया था. असुर ऋषियों के यज्ञ को खंडित कर दिया करते थे. धरती पर आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीराम के रूप में अवतार लिया था. भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए पूरे जीवन अपार कष्टों को सहा और एक आदर्श नायक के रूप में स्वयं को स्थापित किया. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है. कठिन से कठिन परिस्थितियों में श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति का वरण किया. इस सब गुणों के चलते उन्हें उत्तम पुरुष की संज्ञा मिली और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया।
शुभ योग में रामनवमी
भगवान राम के जन्म के समय चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, कर्क लग्न ,पुनर्वसु नक्षत्र और मंगल, सूर्य,शनि और गुरु के उच्च भाव में रहते हुआ हुआ। इस वर्ष नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का पर्व बहुत ही शुभ योग में है। दरअसल रामनवमी के दिन पुष्ययोग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग के संयोग है। नवमी तिथि चैत्र नवरात्रि की आखिरी तिथि होती है। इस बार रामनवमी के मौके पर रवि-पुष्य योग बनेगा। ज्योतिषीय गणना के आधार पर इससे पहले इस तरह का शुभ संयोग साल 2012 को बना था। जब रवि पुष्य योग पर चैत्र नवरात्रि खत्म हुए थे। राम नवमी पर यानी 10 अप्रैल,रविवार को सूर्योदय के साथ पुष्य नक्षत्र शुरू होगा, जो अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा। ऐसे में इस दिन शुभ खरीदारी का अबूझ मुहूर्त बन रहा है। अबूझ मुहूर्त में शुभ कार्य करने और खरीदारी करने के बहुत ही अच्छा माना जाता है।
राम नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि का प्रारंभ- 10 अप्रैल देर रात 01 बजकर 32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक
राम जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त- 10 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक
पूजा का मुहूर्त – 10 अप्रैल सुबह 11 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक
सुकर्मा योग: दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक
चौघड़िया का मुहूर्त
चार- सुबह 07:38 से 09:13 तक फिर शाम 06:39 से पात 08:04 तक
लाभ- सुबह 09:13 से 10:47 तक फिर रात 08:04 से 09:30 तक
अमृत वार वेला- सुबह 10:47 से दोपहर 12:21 PM
शुभ- दोपहर 01:56 से 03:30 तक
इस साल नवमी तिथि का आरंभ 10 अप्रैल की रात्रि 1 बजकर 23 मिनट से हो रहा है, जो 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट तक है. इसका शुभ मुहूर्त दिन में सुबह 11 बजकर 06 मिनट पर शुरु हो रहा है, जो दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है। इस मुहूर्त में रामलला का जन्म होगा और मंदिरों में राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
पूजा सामग्री
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र और इसके साथ ही आभूषण, पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए।
श्रीराम को लगाए ये भोग
राम नवमी के दिन भगवान राम को खीर, केसर भात या फिर धनिए का भोग लगाएं. मिठाई में प्रभु राम को बर्फी, गुलाब जामुन या कलाकंद भोग पसंद है. तो भगवान को इन चीजों का भोग लगाना उत्तम होता है. पूजा समाप्त होने के बाद भोग लगाई गई चीजों में से प्रसाद का वितरण कर दें।
राम नवमी पूजा विधि
इस दिन पर सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर दैनिक क्रिया करते हुए स्नान करें और साफ-सुथरा पीले रंग के वस्त्र धारण करते हुए सबसे पहले सूर्यदेव को जल अर्पित करें। फिर इसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करते हुए सफाई करें। रामजी की पूजा में तुलसी और कमल का फूल अनिवार्य होगा। लकड़ी की एक चौकी लें, जिस पर लाल कपड़ा बिछा लें और उस पर राम दरबार की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करें।आप चाहें तो रामलाल की मूर्ति को पालने में झुला लें और राम आरती करें या फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद खीर, फल और मिष्ठान का भोग लगाएं। इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर पूजा और व्रत का संकल्प लें और भगवान राम की पूजा आराधना के आरंभ कर दें। पूजन में माला, फूल, फल, मिठाई, रोली, चंदन, धूप, दीपक, तुलसी के पत्ते से भगवान राम संग माता सीता की पूजा करें। पूजा के दौरान सभी जरूरी पूजन सामग्री को प्रयोग करने के बाद इच्छा और सामर्थ्य अनुसार रामचरितमानस, रामायण, रामरक्षास्तोत्र, बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के बाद भगवान राम की आरती करते हुए पूजन कार्यक्रम को समाप्त करते हुए भगवान राम, माता सीता और हनुमानजी से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करें।
1. ध्यानम
पूजा की शुरुआत भगवान राम के ध्यान से करनी चाहिए. ध्यान आपके सामने पहले से स्थापित भगवान राम की मूर्ति के सामने किया जाना चाहिए. भगवान श्री राम का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए.
कोमलक्षम विशालाक्षमिंद्रनिला सम्प्रभम।
दक्षिणंगे दशरथं पुत्रवेक्षनतत्परम्॥
पृष्टतो लक्ष्मणम् देवं सच्छत्रम् कनकप्रभम।
पार्श्व भरत शत्रुघ्नौ तलावृंतकरवुभौ।
अग्रव्यग्राम हनुमंतम रामानुग्रह कंक्षीणम
ओम श्री रामचंद्राय नमः।
ध्यानत ध्यानं समरपयामी
2. आवाहनं : भगवान राम के ध्यान के बाद, मूर्ति के सामने आवाहन मुद्रा दिखाकर (दोनों हथेलियों को जोड़कर और दोनों अंगूठों को अंदर की ओर मोड़कर आवाहन मुद्रा बनती है). आवाहन करें.
3. आसनम : भगवान राम का आह्वान करने के बाद, अंजलि (दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर) में पांच फूल लें और उन्हें मूर्ति के सामने छोड़ दें. श्री राम को आसन अर्पित करें.
4. पद्य : भगवान राम को आसन अर्पित करने के बाद उनके पैर धोने के लिए जल अर्पित करें.
5. अर्घ्य : पद्य-अर्पण के बाद श्री राम का सिर अभिषेक करते हुए जल अर्पित करें.
6. अचमनीयम : अर्घ्य के बाद अचमन के लिए श्री राम को जल अर्पित करें.
7. मधुपर्क : आचमन के बाद श्री राम को शहद और दूध का भोग लगाएं.
8. स्नानम : मधुपर्क अर्पण के बाद श्री राम को स्नान के लिए जल अर्पित करें.
9. पंचामृत स्नान : स्नानम के बाद अब श्री राम को पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी और चीनी के मिश्रण से स्नान कराएं.
10. वस्त्र : अब श्री राम को नए वस्त्र के रूप में मोली (मोली) अर्पित करें.
11. यज्ञोपवीत : वस्त्रार्पण के बाद श्री राम को यज्ञोपवीत अर्पित करें.
12. गंध : यज्ञोपवीत चढ़ाने के बाद श्री राम को सुगंध अर्पित करें.
13. पुष्पनी : गंधा चढ़ाने के बाद, भगवान राम को फूल चढ़ाएं.
14. अथा अंगपूजा : अब उन देवताओं की पूजा करें जो स्वयं श्री राम के अंग हैं. उसके लिए बाएं हाथ में गंध, अक्षत और पुष्पा लें और उन्हें दाहिने हाथ से भगवान राम मूर्ति के पास छोड़ दें.
15. धूपम : अंग पूजा के बाद श्री राम को धूप अर्पित करें.
16. दीपम : धूपदान के बाद श्री राम को दीप अर्पित करें.
श्रीरामजी की आरती
आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।
सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भागवैदेहीराजैं ।।
कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।
शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।
नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं
भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।
खेल खेल महु सिंधु बधाये। लोक सकल अनुपम यश छाये ।।
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।
कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।
देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।
आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।
कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।
धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।
राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।
हवन सामग्री
रामनवमी पर हवन सामग्री में नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि को शामिल करना चाहिए।
हवन विधि
राम नवमी के दिन व्रती को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड का निर्माण कर करना चाहिए। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। हवन समाप्त होने के बाद भगवान राम और माता सीता की आरती उतारनी चाहिए।
इन मंत्रों से हवन करें
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं गौरये नम: स्वाहा
ऊं वरुणाय नम: स्वाहा
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ऊं हनुमते नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं स्थान देवताय नम: स्वाहा
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहाऊं जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा
श्री राम के इन मंत्रों का करें जाप
‘रां रामाय नम:’
भगवान श्रीराम का यह मंत्र बेहद ही प्रभावशाली होता है. इस मंत्र को श्रीराम पूजा में 108 बार जपें. इस मंत्र को सच्चे मन से जपने से भक्तगणों की सारी विपदाएं नष्ट हो जाती हैं. आरोग्य जीवन के लिए भी यह राम मंत्र कारगर है.
राम नवमी 2022 के ज्योतिष उपाय
राम नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में प्रभु श्रीराम की पूजा करें. पूजा के दौरान दौरान ”श्री राम चंद्र कृपालु भजमन….” आरती जरूर पढ़ें. ऐसा करने से व्यक्ति के दुख और कष्ट दूर होते हैं।
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”