नई दिल्ली। किसानों के विरोध की हिंसक परेड मामला। गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली ने हिंसक रूप ले लिया क्योंकि प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिया और राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में प्रवेश किया । उन्होंने लाल किले पर जाकर भारत का तीरंगा हट कर खालिस्तान का झंडा लगाया। इस प्रकार से उन्हें विरोध की अनुमति नहीं थी। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं जिसमें कई लोग घायल हो गए और वाहन पलट गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया और आंसूगैस के गोले दागे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। किसान नेता जो दिल्ली के बाहरी इलाके में दो महीने पुराने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और सरकार के साथ बातचीत में लगे हुए हैं, उन्होंने हिंसा से खुद को दूर कर लिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के संबंध में अब तक 22 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि एफआईआर में कई किसान नेताओं के नाम सामने आयी हैं। हिंसा में 100 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया और पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था।
शांति से रैली निकालने की दी गयी थी मंजूरी
अतिरिक्त पीआरओ (दिल्ली पुलिस) अनिल मित्तल ने बताया कि मंगलवार को हुई हिंसा के मामले में अभी तक 22 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। उन्होंने बताया कि हिंसा में 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर रैली का प्रस्ताव पेश किया गया था। ट्रैक्टर परेड के संबंध में मोर्चा के साथ दिल्ली पुलिस की कई दौर की बैठक हुयी थी।
पुलिस ने बताया कि किसानों ने चार मार्गों पर शांतिपूर्ण परेड निकालने का पुलिस को आश्वासन दिया था लेकिन मंगलवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे छह से सात हजार ट्रैक्टर सिंघू बॉर्डर पर एकत्र हो गए और पहले से निर्धारित रास्तों पर जाने के बदले मध्य दिल्ली की ओर जाने पर जोर देने लगे। उन्होंने बताया कि बार-बार समझाने के बावजूद निहंगों की अगुवाई में किसानों ने पुलिस पर हमला किया और पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया।
गाजीपुर एवं टीकरी बॉर्डर से भी इसी तरह की घटना की खबरें आईं। इसके बाद आइटीओ पर गाजीपुर एवं सिंघू बॉर्डर से आये किसानों के एक बड़े समूह ने लुटियन जोन की तरफ जाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका तो किसानों का एक वर्ग हिंसक हो गया, उन्होंने अवरोधक तोड़ दिये तथा वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को कुचलने का प्रयास किया। हालांकि बाद में पुलिस ने हिंसक भीड़ को नियंत्रित कर लिया। इस विषय पर किसान यूनियन की बैठक से पहले किसान मजदूर संघर्ष समिति का पंजाब गुट आज 11:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने हिंसा का ठीकरा भजपा सरकार के उपर फोृड़ दिया है। अभिनेता दीप सिद्धू के खिलाफ भी पुलिस में मामला दर्ज किया गया है। इस बारे में डकैट ने कहा, “दीप सिद्धू सिख नहीं हैं। वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं। पीएम के साथ उनकी एक तस्वीर है। यह किसानों का आंदोलन है और आगे भी रहेगा।”
नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हिंसा की निंदा करते हुए, किसान नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया है कि यह “कुछ तत्वों द्वारा” योजना बनाई गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि वह उस तबाही की ज़िम्मेदारी उठाते हैं जो दिल्ली में फैलाया गयी, क्योंकि किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान ट्रैक्टर रैली निर्धारित मार्ग से चली गई और पुलिस से भिड़ गई। आपको बता दे कि सोशल मीडिया पर राकेश डकैत का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह अपने आंदोलनकारियों से रैली में लाठी-डंडे ले जारी की बात कहते हुए दिखाई दे रहे हैं।