भिलाई। 22 मार्च : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी जी की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन सेक्टर-7 स्थित अन्तरदिशा भवन के पीस ऑडिटोरयम में किया गया। भिलाई सेवाकेन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने दादी के जीवन की बातों को बताते हुए कहा कि दादीजी 9 वर्ष की आयु में ही संस्था से जुड़ी। दादीजी को दिव्य दृष्टी का वरदान प्राप्त था।
दादीजी निरसंकल्पर देवता थी। निर्माण, अथक, निद्रजीत होकर सम्पूर्ण जीवन समर्पण किया। दादीजी पाँचो कर्मइन्द्रियों एवं पाँचो तत्वों से बने भौतिक आवरण शरीर से न्यारी और प्यारी थी।
छोटे से कमरे में रहकर दादीजी ने गहन तपस्या की। निरंहकरिता की प्रतिमूर्ति थी। दादीजी बहुत थोड़े शब्द में सार की बात कहती थी । शब्द कम सरल साधारण परंतु शक्तिशाली होते थे।
दादी का भिलाई आगमन का स्मरण सुनाते हुए आशा दीदी ने बताया कि दादीजी बिजनेस विंग के कार्यक्रम में 26 जनवरी 1992 इस्पात नगरी भिलाई आयी थी।भिलाई भाग्यवान स्थान है जहां पर दादीजी का आगमन हुआ। दादी अंतरमुखता, एकाग्रता और सहनशीलता जैसी असिमशक्तियो की पुंज थी। दादी की विशेष एक बात जो दादी कहती थी एक बात सदा हमारे हाथ मे है, कलयुग में दुख देने वाला कोई न कोई तो होगा ही दुख देने वाला दे। पर आप न लो दुख, दुसरो के ऊपर दोष देते है की वो हमें दुख देते है, फील होना माना आपने दुख ले लिया। दुख लेना नही,सदा मुस्कुराते रहना। ब्रह्माकुमार पोषण ने न भूल पाएंगे दादीजी तेरा रूहानी प्यार गीत द्वारा भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी ब्रह्मावतसो ने दादीजी की शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प किया।