दुर्ग (सीजी संदेश) 21 जुलाई। कभी-कभी पढ़ाई भी काम नहीं आती, अनपढ़ आदमी भी वह कर जाता है। जो अच्छे-अच्छे पढ़े लिखे वैज्ञानिक पद्धति से काम करने वाले योग्य भी धरे धरे रह जाते हैं। आज हम उन लोगों की बात कर रहे हैं जिसे मछुआरा कहा जाता है। 3 दिन से एनडीआरएफ की टीम और एसडीआरएफ जो नहीं कर पाया वह मछुआरा समुदाय ने 10 मिनट के भीतर कर दिखाएं है।उन लोगों को आज एक सामाजिक संगठन के द्वारा सम्मानित किया गया।जन समर्पण सेवा संस्था, दुर्ग द्वारा सबसे पहले पहल करते हुए उन मछुआरों एवं एकमात्र चश्मदीद गवाह का सम्मान किया गया। जोकि दुर्ग जिले की शिवनाथ नदी में लगातार 70 घंटों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के सबसे बड़ा हिस्सा रहे। और जिनके द्वारा इस रेस्क्यू ऑपरेशन को सफलता मिली। पिछले 4 दिनों से पूरे प्रदेश के नागरिकों की नजर दुर्ग शिवनाथ नदी में डूबी गाड़ी पर थी, सबके मन मे प्रश्न था गाड़ी में कौन है, कितने लोग है, गाड़ी कब निकलेगी, कौन निकालेगा, इन सभी बातों का हल कल दिनाँक 20 जुलाई 2022 को निकला, जिसमें शासन, प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम ने खूब मेहनत की, हर तरह की कोशिश एवं प्रयास किया जो कि सरहानीय रहा। परन्तु इस कार्य मे सफलता हमारे शहर के मछुवारों के हाथ से मिली, ये मछुवारे हमारे वो सहयोगी है जो नवरात्र, गणेश, एवं अन्य पर्वों पर पूरे जिले में स्थापित माता जी, गणेश जी एवं अन्य विशाल, बड़ी बड़ी मूर्तियों का विसर्जन कराने में अपना योगदान देते है। जिससे मूर्ति विसर्जन में किसी प्रकार की कोई असुविधा नही होती, इसके साथ साथ बिना किसी प्रचार के कभी कभी नदी में गिरे लोगों की मदद करके उनको सुरक्षित बाहर निकालते है।शिवनाथ नदी के अंदर से गाड़ी खोज करके हमारे शहर के इन मछुआरों ने कर दिखाया कि वे भी देश के सिपाही है जो जनता की मदद के लिए सदैव ततपर रहते है।जन समर्पण सेवा संस्था के अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि 4 दिन से शासन प्रशासन स्तर पर शिवनाथ नदी में डूबी गाड़ी को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया गया, इस प्रयास के बीच शहर के मछुवारों द्वारा बस कुछ ही देरी में जाल फेंककर गाड़ी का पता भी लगाया एवं गाड़ी को बाहर निकालने में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दिया।इसके साथ साथ एक मछुवारा साथी श्याम कुमार ढीमर जो कि बिना किसी दबाव में आये सत्य का साथ देते हुए अपनी बात पर अडिग रहकर गाड़ी नदी में गिरने की जानकारी दी और गाड़ी नदी से निकालने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।इस सभी योद्धाओं का सम्मान आज जन समर्पण सेवा संस्था दुर्ग द्वारा किया गया। जिले में सबसे पहले इन मछुआरों का सम्मान करते हुए संस्था द्वारा मछुआरों को उनकी जरूरत की साम्रगी मछली पकड़ने का जाल 800 मीटर का दिया गया है।जिससे पूरी नदी को एक ओर से ओर दूसरे ओर तक फैलाया जा सकता है। इसके साथ साथ इस कार्य मे सहयोग एवं अपना योगदान देने वाले 15 मछुआरों साथियों को किसान गमछा, बनियान सम्मान स्वरूप भेंट किया गया। मछुवारों में श्याम ढीमर, दुर्गा ढीमर, बंशी ढीमर, सुदर्शन निषाद, कृष्णा ढीमर, रामकुमार ढीमर, बलदु ढीमर, बलराम ढीमर, शंभु ढीमर, अमन ढीमर, शेखर ढीमर, उत्तम ढीमर, तोरण ढीमर, बुधेश्वर ढीमर, रामेश्वर नेताम, महिपाल ढीमर, टीकम ढीमर, दिलीप ढीमर, धरम ढीमर है। सम्मान पाने वाले मछुवारों ने यह पहला सम्मान पाकर अपनी खुशी जाहिर करते हुए जन समर्पण सेवा संस्था को सम्मान हेतु धन्यवाद देते हुए कहा कि शहर की यह पहली संस्था है, जिन्होंने हमारा सम्मान किया है।इस संस्था द्वारा हमें अपनी जिंदगी का यह पहला सम्मान मिला है जिसके लिए सभी का आभार प्रकट करते हैं। संस्था द्वारा इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन का सबसे बड़ा हिस्सा रहे श्याम कुमार ढीमर का सम्मान संस्था द्वारा प्रतीक चिन्ह मोमेंटो देकर किया। यह सम्मान पाकर श्याम कुमार ढीमर की आखों से आशु छलक पड़े क्योकि यह उसकी जिंदगी का सबसे पहला सम्मान है जिसे पाकर वह बहुत खुश है। दुर्ग जिला पुलिस,जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और लोकल मछुआरों की एकजुटता का ही परिणाम है की असंभव कार्य को संभव कर दिखाया।सम्मान कार्यक्रम में संस्था के शिशु शुक्ला, आशीष मेश्राम, दद्दू ढीमर, शब्बीर पाकीजा, संजय सेन, सुजल शर्मा, राजेन्द्र ताम्रकार, शुभम सेन, हरीश ढीमर, समीर खान, मृदुल गुप्ता, भगवान दास, बिट्टू खान, अर्जित शुक्ला, प्रकाश कश्यप, हर्ष जैन, पवन अग्रवाल,मोहित पुरोहित, रिषी गुप्ता, चिंटू शर्मा एवं अन्य शहर वासी और मित्रगण शामिल है।
स्थानीय सरकार और पुलिस प्रशासन नहीं आए सामने : सामाजिक संगठन ने किया मछुआरों का मछली जाल देकर सम्मान,,,,, पहली बार सम्मान पाकर मछुआरा समुदाय का छलक उठा आंसू
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