घरेलू बाजार में सोने की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। अगस्त 2020 को सोना 56200 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन आज इसकी कीमत उच्चतम स्तर से करीब 11 हजार रुपये कम है। दो मार्च को सोने की वायदा कीमत 44,760 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थी। यानी यह सात महीनों में 11,500 रुपये सस्ता हुआ है। आज सोना वायदा 45,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। एक जनवरी 2021 को सोने की कीमत 50,300 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। इस साल एक जनवरी से लेकर अब तक सोना 5,540 रुपये टूट चुका है। यानी सिर्फ दो महीनों में ही पीली धातु करीब 11 फीसदी कम हुई है। चांदी की बात करें, तो घरेलू बाजार में चांदी महंगी हुई है। इसमें करीब 2260 रुपये का इजाफा हुआ है। एक जनवरी को चांदी वायदा 66,950 रुपये पर थी, जो अब 67,073 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब है।
सरकार ने एक फरवरी 2021 को सोने और चांदी पर आयात शुल्क में कटौती की घोषणा की थी। इस कदम से घरेलू बाजार में इन मूल्यवान धातुओं की कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी तथा रत्न एवं आभूषण निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा कि, ‘वर्तमान में सोना और चांदी पर 12.5 फीसदी सीमा शुल्क लगाया जाता है। चूंकि, जुलाई 2019 में शुल्क 10 फीसदी से बढ़ा दिया गया था, इसलिए कीमती धातुओं के मूल्य में तेजी से वृद्धि हुई, इसे पिछले स्तर के करीब लाने के लिए हम सोना और चांदी पर सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बना रहे हैं।’
सोना और चांदी पर सीमा शुल्क कम कर 7.5 फीसदी किया गया है। इसके अलावा सोने की मिश्र धातु (गोल्ड डोर बार) पर शुल्क 11.85 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी और चांदी की मिश्र धातु (सिल्वर डोर बार) पर 11 फीसदी से कम कर 6.1 फीसदी किया गया है। प्लैटिनम पर शुल्क 12.5 फीसदी से कम कर 10 फीसदी, सोना व चांदी के फाइंडिंग्स पर 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी और मूल्यवान धातु के सिक्कों पर 12.5 फीसदी से कम कर 10 फीसदी किया गया है। हालांकि, सोना और चांदी, सोने के मिश्र धातु, चांदी के मिश्र धातु पर 2.5 फीसदी कृषि बुनियादी ढांचा और विकास उपकर लगेगा। कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा राजकोषीय उपायों ने पिछले साल कुल मिलाकर सोने की कीमतों में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि आई थी, जबकि चांदी लगभग 50 फीसदी बढ़ गई थी। सोने को मुद्रास्फीति और मुद्रा में आई गिरावट के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है। हाल के महीनों में सोना लगातार सस्ता हो रहा है। देश की सोने की मांग बीते साल यानी 2020 में 35 फीसदी से अधिक घटकर 446.4 टन रह गई। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। डब्ल्यूजीसी की 2020 की सोने की मांग के रुख पर रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन और बहुमूल्य धातुओं के दाम अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बीच सोने की मांग में गिरावट आई। हालांकि, इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि अब स्थिति सामान्य हो रही है और साथ ही सतत सुधारों से उद्योग मजबूत हुआ है। ऐसे में इस साल 2021 में सोने की मांग में सुधार की उम्मीद है।