भिलाई। दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया भिलाई और महिला प्रकोष्ठ के संयुक्त संचालन मे जारी पूज्य भंते डा.जीवक के वर्षावास का 79 वां दिवस तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण व बुद्ध वंदना के साथ प्रारंभ हुआ। त्रैमासिक वर्षावास का समापन 21 अक्टूबर को संध्या 4 बजे बुद्ध विहार सेक्टर 6 मे आयोजित किये जाने का निर्णय सभी पदाधिकारियो द्वारा लिया गया।बुद्ध विहार मे उपस्थित बौद्ध उपासक उपासिकाओ को धम्म देशना देते हुए भंते जीवक ने कहा कि शरीर के विकार से ज्यादा पीड़ादायी मन के विकार होते है इसलिए मनोविकार पर नियंत्रण अति आवश्यक है, उन्होने आगे कहा कि मन आधारित मनुष्य के जीने के लिए आवश्यक वायु दस प्रकार की होती है। आन, अपान, व्यान, उदान, समान, देवदत्त, धनंजय, नाग, कुर्म और त्रिकल। जिसे भीतर लेते है उसे आन कहते है जिसे बाहर छोड़ते है उसे अपान कहते है, धनंजय वायु मष्तिष्क के बीचो-बीच विद्यमान होती है, इस प्राणदायी वायु का मनुष्य के शरीर मे 24 घंटे मे 84000 बार आगम – निर्गम होता है। शुद्ध वातावरण मे वायु ग्रहण करने से मानव जीवन स्वस्थ व उत्तम होता है। धम्म देशना के उपरांत भंतेजी को धम्मदान दिया गया। अंत मे भिलाई शाखा और महिला प्रकोष्ठ के पदाधिकारियो द्वारा दिनांक 21-10-21 को वर्षावास समापन समारोह आयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया जिसमे गुरूवार को संध्या 4 बजे पूज्य भंते जीवक द्वारा परित्राण पाठ किया जायेगा, इसके पश्चात भंतेजी को चीवरदान, फलदान, धम्मदान और उपस्थित उपासको को सामूहिक भोजनदान दिया जायेगा। इस दौरान दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया छ.ग के प्रदेश अध्यक्ष अनिल मेश्राम, सुधेश रामटेके, गौतम खोब्रागड़े, ठाणेन्द्र कामडे, खरेन्द्र मेश्राम, अरूण श्यामकुवर, अजय रामटेके, योगेश सहारे, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष भारती खांडेकर, गीताकिरण श्यामकुवर, नीतू डोंगरे, वंदना बौद्ध, निर्मला गजभिये, वंदना पानतवने, आदि उपस्थित थे।
शारीरिक स्वस्थता हेतु मन के विकार दूर करना बहुत जरूरी : भंते जीवक ,,,,,वर्षावास का 79 वां दिवस,,,,, समापन समारोह 21 अक्टूबर को

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