दुर्ग। 15 फरवरी : राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आज राज्य का पहला अंतराज्यीय न्यायालयीन कथन विडियो कान्फेसिंग के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से लिया गया। डाॅ. ममता भोजवानी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वितीय फास्ट ट्रेक कोर्ट दुर्ग के लंबित न्यायालयीन प्रकरण की पीड़िता/अभियोक्त्री का साक्ष्य प्रकरण के निराकरण के लिए लिया जाना आवश्यक बताते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण से सहयोग चाहने पत्र प्रेषित किया गया । पत्र के माध्मय से सहयोग के संबंध मे राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के विचार किये जाने के उपरांत उनके निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला घोडासर निगम अहमदाबाद (गुजरात) से संपर्क किया गया। संबंधित प्रकरण की पीड़िता वर्तमान में संबंधित जिले में निवास होने से उनके संपर्क किया गया। वर्तमान में पीड़िता 08 माह के गर्भवती होने के कारण अत्यन्त दूरी पर निवासरत् होने के कारण को विशेष रूप से दृष्टिगत रखते हुए तथा प्रकरण के लंबित अवधि तथा साक्ष्य कथन लेखबद्व करने के की अत्यंत आवश्यकता को देखते हुए नवीन पद्वति विडियो कान्फेसिंग के माघ्यम से पीड़िता का साक्ष्य कथन संबंधित न्यायालय के द्वारा अंकित किया गया। पीड़िता का साक्ष्य कथन अंकित करवाये जाने के संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण घोडासर निगम अहमदाबाद के अधिकारियों से संपर्क किया गया उन्हें प्रकरण की वस्तुस्थिति एवं पीडिता के स्वास्थगत परिस्थितियों की जानकारी दी गई तथा पीडिता का नाम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायदृष्टांत निपुन सक्सेना एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य में पारित निर्णय का सतर्कतापूर्वक पालन करते हुए पीडिता की पहचान गोपनीय रखी गई। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिपीटेशन नंबर 224/2021 में अंतर राज्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के संबंध में एक निर्देश जारी की गई थी जिसके अनुसार आज का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित की गई थी। छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिला ही ऐसा जिला है जहां पर बालकों के संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) के प्रकरणों के त्वरित गति से निराकरण हेतु् चार विशेष न्यायालय का गठन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा किया है। दुर्ग में पाक्सो ले अधिक मामले है ऐसी परिस्थिति में न्यायालय द्वारा उठाया गया यह कदम न्यायालय में लंबित प्रकरणों का निराकरण के लिए एक सराहनीय पहल है।