बस्तर । वर्ष 1967 में गरीब किसान एवं मजदूरों के हित की लड़ाई लड़ने के नाम पर पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव में जन्म हुई माओवादी आंदोलन इन 53 सालों में दिशाविहीन व नेतृत्वविहीन होकर मात्र एक संगठित लूटेरे गिरोह में तब्दील हो गई है। आदिवासियों के हितैषी होने का झूठा प्रचार-प्रसार कर जनता को गुमराह करने वाला नक्सल संगठन की असलीयत यह है कि विगत 20 वर्षों में 1769 निर्दोष आदिवासियों को पुलिस की मुखबिरी के शक में हत्या कर दी गई। इनमें कई नाबालिक बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजूर्ग व्यक्ति एवं दिव्यांग ग्रामीण लोग भी शामिल है। ये कैसा सिद्धांत है कि आदिवासियों के हित की लड़ाई बोलकर निर्दोष आदिवासियों को नक्सलियों द्वारा मारा जा रहा है?
माओवादियों की इस प्रकार के कार्यप्रणाली का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में माओवादी आंदोलन जनता द्वारा स्वेच्छा से समर्थन नहीं दी रही तथा भविष्यविहीन नक्सल आंदोलन के प्रति युवाओं का किसी भी प्रकार का आकर्षण नहीं रहा है। इस परिस्थिति में सिर्फ अपने वर्चस्व कायम रखने तथा शीर्ष नेतृत्व को खुश रखने के लिये नीचले स्तर की माओवादी कमाण्डर द्वारा टारगेट पूर्ति करना जैसा कार्य करते हुये किसी भी निर्दोष ग्रामीणों का हत्या करना, सड़कें, पुल-पुलियों को क्षतिग्रस्त करना, शासकीय भवनों को नुकसान पहुंचाना इत्यादि नकारात्मक एवं विनाशकारी कार्यों को अंजाम दे रहे है।
क्या सीपीआई माओवादी के महासचिव बसवराजू एवं सेन्ट्रल कमेटी में हिम्मत है तो बस्तरवासियों के इन 05 सवालों का जवाब दे सकते है। क्या माओवादियो के महासचिव एवं सेन्ट्रल कमेटी के निर्देश पर ही सैकड़ो बेगुनाह आदिवासियों की हत्या की गई?यदि उनकी निर्देश पर ही कर रहे तो किसी भी व्यक्ति का जान लेने का उन्हें कहां से अधिकार प्राप्त हुआ?माओवादी द्वारा हत्या की गई 1769 निर्दोष ग्रामीणों के कारण माओवादियों संगठन को क्या-क्या क्षति हुआ इसका व्यौरा दे सकता है क्या? क्या वर्तमान में जनता द्वारा माओवादी अत्याचार के विरूद्ध में उठाई जा रहे आवाज को कुचलने के लिए उनकी हत्या की जा रही है? माओवादी संगठन की असली चेहरा को पहचानने के बाद संगठन छोड़कर बड़ी संख्या में हो रही आत्मसमर्पण के बौखलाहट ही हिंसात्मक घटनाओं का कारण तो नही है।पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुंदरराज पी. ने कहा कि माओवादी की सेन्ट्रल कमेटी को इन 05 सवालों के माध्यम से खुली चेतावनी देते हुये बताया गया है कि बस्तर क्षेत्र की सर्वांगिण विकास एवं शांति स्थापित करने हेतु शासन-प्रशासन एवं सुरक्षाबल द्वारा समर्पित होकर कार्य किया जा रहा है। माओवादी आंदोलन एैसा पड़ाव में पहुंच गया है जहां से उनकी खात्मा अतिशीघ्र होगा।