भिलाई। 11 जनवरी : श्री राधाकृष्ण मंदिर प्रांगण, नेहरू नगर में दुर्लभ सत्संग के आठवें दिन सांसद विजय बघेल ने भी सत्संग का लाभ लिया।
ऋषिकेश, उत्तराखंड से पधारे प्रवचनकर्ता स्वामी विजयानन्द गिरी ने कहा कि इस जीवन में किसी से उलझना छोड़कर अपने कल्याण में लग जाइए। सच्चे मन से ईश्वर से मिलने की लगन लगा लें, मानव कितना भी बड़ा पापी क्यों ना हो, इससे ईश्वर का मिलना तय है। मीरा बाई कहती थी कि उसे दिन में चैन नहीं आता, रात को नींद नहीं आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसने अपना मन श्रीकृष्ण के चरणों में लगा दिया और रात-दिन उनसे मिलने हेतु उनके ध्यान में लगा दिया। विषय, भोग, गंध, मास जैसे सांसरिक सुखों से आकर्षण का त्याग करें, कल्याण निश्चित है।
संतों का स्वभाव कुम्हार की भांति ही होता है। उनकी डांट-फटकार में कल्याण की भावना निहित होती है। संतों के चिंतन का विषय ही मानव मात्र को सुख-शांति प्रदान की होती है। सच्चे गुरू की नजर सदैव शिष्य की तरफ ही होती है। जो अपने शिष्य को परमात्मा से मिला दे, वही गुरू श्रेष्ठ है। बिना भक्ति के इंसान, इंसान के रूप में पशु जैसा है। परमात्मा कहते हैं कि दुराचारी से दुराचारी व्यक्ति क्षमा प्रार्थनाा कर पूर्व कर्मो को छोड़कर उनके की शरण में चला जाएगा, वह साधु के सामान हो जाएगा। पूरी धरा पर एक भी प्राणी ऐसा नहीं होगा जिसने कभी पाप नहीं किया हो, भगवान को माफ करना ही होता है। ईश्वर की नजर गलती पर नहीं, मन की भावना पर होती है। जिस प्रकार मैले से मैले कपड़ों को साफ कर स्वच्छ बनाने में धोबी को अधिक आनंद आता है वैसे ही ईश्वर को भी पापी-पापी से पापी मानव को भक्त बनाने में बड़ा आनंद आता है। इसलिए अपने पूर्व कर्मो को छोड़कर आज से ही भक्ति मार्ग अपना ले। माता-पिता जैसा परोपकारी कोई दुनिया में नहीं हो सकता और जो संतान अपने माता-पिता की सेवा कर लें, उसका जीवन निहाल हो जाएगा। मां के कर्ज से कभी मुक्त नहीं हो सकता संतान, इतना अधिक उपकार माता का संतान पर होता है। जीवन में डेढ़ पाप और डेढ़ पुण्य है। दुराचार को स्थान देना आधा पाप, भगवान से विमुख हो जाना पूरा पाप है। इसके विपरीत सदाचार को स्थान देना आधा पुण्य है और भगवान के सम्मुख हो जाना पूरा पुण्य है। मनुष्य का कल्याण ईश्वर के कृपा से संभव है, हमें केवल प्रयास करना है। समापन श्रीकृष्ण की आरती के साथ हुआ। तत्पश्चात् प्रसाद वितरण किया गया। आयोजक समिति के प्रमुख बृजमोहन उपाध्याय ने कथा स्थल पर गीता प्रेस के स्टाॅल में उपलब्ध धार्मिक साहित्यों के लाभ लेने की अपील की है।