रायपुर, 30 सितम्बर । छत्तीसगढ़ राज्य महात्मा गांधी के विचारों का ही अनुसरण करते हुए आगे बढ़ रहा है। हम आर्थिक रूप से लचीले जिस भारत की कल्पना कर रहे हैं, उसका अर्थ ऐसे भारत का निर्माण है, जिसकी अर्थव्यवस्था हर तरह की आपदा का सामना करने में सक्षम हो। कोरोना-काल ने हमें बता दिया है कि विकास में संतुलन कितना जरूरी है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज पीएचडी चेम्बर ऑफ कामर्स के कार्यक्रम को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मैं आज इस मंच के माध्यम से इसी संतुलित विकास की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। यह कोई एकदम नया विचार नहीं है। इसी विचार को महात्मा गांधी ने भी व्यक्त किया था। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि पूरे संकट के दौरान छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से अच्छी बनी रही। हमारे यहां न केवल एग्रीकल्चर सेक्टर, बल्कि ऑटोमोबाइल सहित दूसरे बहुत से सेक्टरों में ग्रोथ होता रहा। बेरोजगारी दर लगातार नियंत्रित रही। इस समय भी छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर केवल 3.8 प्रतिशत है। यह राष्ट्रीय औसत 7.6 प्रतिशत से आधी है। हमने जीएसटी कलेक्शन में भी पूरे देश में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। हमें यह उपलब्धि इसलिए भी मिली क्योंकि हमने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम कोरोना संकट शुरु होने से बहुत पहले शुरु कर दिया था। दिसंबर 2018 में जब हमारी सरकार बनी तब सबसे पहला निर्णय किसानों को कर्ज मुक्त करने, उन्हें उनके पसीने की सही कीमत दिलाने तथा उन्हें उनके अधिकार दिलाने का लिया। इसके फलस्वरूप हमारे गांव मजबूत बने रहे, संकट काल में भी हमारे किसानों के पास पैसा था इसलिए बाजार में न तो मांग में कमी थी और न खरीददारों की। कोरोना काल में भी छत्तीसगढ़ में रौनक बनी रही।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि इसके बाद राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरु करके फसलों पर इनपुट सब्सिडी की व्यवस्था की गई। कर्ज मुक्ति से किसानों में नया आत्मविश्वास आया और इनपुट सब्सिडी ने उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करके खर्च की चिंता किए बिना अच्छी खेती के लिए प्रेरित किया। बीते तीन वर्षों में हर साल किसानों की संख्या बढ़ी है, खेती का रकबा बढ़ा है, उत्पादन बढ़ा है। पिछले साल हम लोगों ने 22 लाख किसानों से 92 लाख मिटरिक टन धान खरीदा था, इस साल यह आंकड़ा एक करोड़ टन तक पहुंच सकता है। खरीफ सत्र 2019-20 के लिए हमने पिछले साल 18 लाख किसानों को 5628 करोड़ रुपए की इनपुट सब्सिडी दी थी। खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए इस साल 22 लाख किसानों को 5702 करोड़ रुपए की इनपुट सब्सिडी दे रहे हैं। खरीफ 2021 राजीव गांधी किसान न्याय योजना का दायरा और बड़ा करते हुए इसमें खरीफ की सभी फसलों, लघु धान्य फसलों उद्यानिकी फसलों और वृक्षारोपण को भी शामिल कर लिया है। अगली बार इनपुट सब्सिडी प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या और भी ज्यादा होगी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोरोना-संकट के समय हमने एक और महत्वपूर्ण योजना गोधन न्याय योजना शुरु की। इस योजना में किसानों और पशुपालकों से 2 रुपए किलो में गोबर खरीदकर उससे वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट बनाई जाती है। छत्तीसगढ़ के लगभग 20 हजार गांवों में से लगभग हर गांव के दर्जनों लोग इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं। इनमें महिलाएं सबसे ज्यादा हैं। इस तरह ग्रामीणों को आय और रोजगार का नया जरिया मिला है। योजना 20 जुलाई 2020 को शुरु हुई। अभी तक हम 102 करोड़ रुपए से अधिक का गोबर खरीद चुके हैं। हम केवल किसानों और ग्रामीणों के रोजगार और आय के लिए तात्कालिक व्यवस्था नहीं कर रहे हैं, बल्कि सुराजी गांव योजना के माध्यम से गांवों के अर्थतंत्र को मजबूती देते हुए एक स्थायी व्यवस्था का निर्माण भी कर रहे हैं। इस योजना में नरवा-गरवा-घुरवा और बाड़ी कार्यक्रम के माध्यम से सिंचाई, पशुधन, रोजगार, जैविक खेती और पोषण के बढ़ावा देने की प्राचीन पद्धतियों को पुनर्जीवित किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि इसी योजना के तहत पूरे छत्तीसगढ़ में 10 हजार से ज्यादा गोठान बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 6000 से ज्यादा गोठानों का निर्माण पूरा गया है। इन गोठानों को रूरल इडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करके ग्रामीणों को उत्पादन और उद्यमिता के नये क्षेत्रों से जोड़ा जा रहा है। आज हमारे गांव नये उत्पादन केंद्र बनकर उभरे हैं। छत्तीसगढ़ में खनिज संसाधनों की कई कमी नहीं है। खनिज आधारित उद्योगों की प्रचुर संभावनाएं हमेशा रही हैं, लेकिन कृषि और वन संसाधनों के मामले में भी इतने ही संपन्न होने के बावजूद अब तक इन सेक्टरों की ओर ध्यान ही नहीं दिया था। हमारी सरकार ने यह संतुलन स्थापित किया है। आज हमने जो नयी उद्योग नीति तैयार की है, उसमें कृषि और वन आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। कृषि और वन उत्पादों का स्थानीय स्तर पर ही वैल्यू एडीशन कर रहे हैं। लघु वनोपजों की खरीदी व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में 52 प्रकार के लघु वनोपज समर्थन मूल्य पर खरीद रहे हैं। इससे वन क्षेत्रों में भी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
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