भिलाई । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी मातेश्वरी जी की 56 वीं पुण्यतिथि पर 24 जून को भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़ , भारत समेत विश्व भर के सभी सेवाकेन्द्रों में विशेष आयोजन किया गया है।इस दिन प्रात:कालीन ब्रह्ममुहर्त अमृतवेले से ब्रह्माकुमारी संस्थान के सदस्य मौन रहकर संगठित योग साधना के द्वारा विश्व में शान्ति के प्रकम्पन फैलाएंगे। इस अवसर पर मातेश्वरी जी के व्यक्तित्व से सम्बन्धित संस्मरण शिक्षाओं को ऑन लाइन यूट्यूब चैनेल ब्रह्माकुमारिस भिलाई पर आशा दीदी द्वारा सुनाया जाएगा । प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रह्माकुमारी ओमराधे ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही मानव मात्र के कल्याण हेतु अपना समूचा जीवन ब्रह्माकुमारी संस्थान में समर्पित कर दिया था। सेवा की लगन, ईश्वर के प्रति समर्पण और योग तपस्या में गहन रूचि होने के परिणामस्वरूप वह न सिर्फ पुरूषार्थ में ही अग्रणी रहीं अपितु ब्रह्माकुमारी संगठन की प्रथम मुख्य प्रशासिका बनने का सौभाग्य भी उन्हें मिला। वह वात्सल्य और ममता की प्रतिमुर्ति थीं। इसीलिए छोटे-बड़े सभी उन्हें माँ कहकर पुकारते थे। वर्ष 1936 में उनके द्वारा रोपित ब्रह्माकुमारी संगठन का पौधा आज पल्लवित होकर दुनिया के पाँचों महाद्वीपों में स्थित एक सौ उन्तालीस (139) देशों में आठ हजार से भी अधिक सेवाकेन्द्रों के माध्यम से लोगों को मानसिक शान्ति और आध्यात्मिक सुख प्रदान कर रहा है। ब्रह्माकुमारी ओमराधे ने 24 जून 1965 को सम्पूर्ण स्वरूप को प्राप्त करने के उपरान्त अपने नश्वर शरीर का त्याग किया था।उनका मुख्य स्लोगन था जीवन में हर घड़ी अंतिम घड़ी इसी महामंत्र से मातेश्वरी जी तीव्र पुरषार्थ द्वारा लाखों लोगों को इस ईश्वरीय महायज्ञ में अपना जीवन समर्पण कराने के निम्मित बनी |
गौरतलब है कि आज इस आध्यात्मिक संगठन ने सारे संसार में अपनी एक अलग ही पहचान बनायी है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे अशासकीय संस्थान के रूप में अपनी सदस्यता प्रदान करने के साथ ही युनिसेफ (UNICEF) और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) का सलाहकार सदस्य बनाया है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा कोस्टारिका में संचालित पीस युनिवर्सिटी (PEACE UNIVERCITY) में भी यह संस्थान सहयोगी है।
ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जी की 56 वीं पुण्यतिथि 24 को
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