भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी मातेश्वरी की 55 वीं पुण्य तिथि श्रद्घापूर्वक मनाई गई। भिलाई सेवाकेन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने मातेश्वरी दीदी की शिक्षाओं के बारे में बताया कि जब हम मन से पूर्ण स्वच्छ बनेंगे तब यह संसार सुखदाई,स्वच्छ, स्वस्थ बनेगा। मनुष्यात्माओं के दुखों का मूल कारण 5 विकारों के वशीभूत होकर किये गए कर्म ही है। हमको विकारों ने बुरा बनाया है, जिसके कारण दुखी हुए है। तन और मन की हाईएस्ट डिग्री देवताओं की है। जिसका वर्णन सर्व गुण संपन्न, संपूर्ण निर्विकारी के रूप में करते है। मातेश्वरी की मुख्य शिक्षा सुनो देखो कम, कर्म की करणी धारणाओं पर ज्यादा ध्यान दो। परमात्मा तो दाता सर्वसमर्थ है, मनुष्यों में ही अंहकार के कारण उनसे शक्ति लेने की ताकत नहीं है।
रोज सोने के पूर्व 5 से 10 मीनट तक अपने दिन भर में किये कर्मो का पोतामेल चेक करो। उन्होंने एक माँ की तरह से ब्रह्मावत्सों की पालना की। उनके जीवन में अपनाए गए सिद्घान्त आज संस्था के लिए प्रमुख सूत्र बन चुके हैं। जिसके आधार पर संस्था का संचालन किया जाता है। मातेश्वरी दीदी के चित्र पर फूल चढ़ाकर ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, गीता दीदी, प्राची दीदी, स्वर्णा दीदी, रामचंद्र भाई, और रेवादास भाई ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। तथा भिलाई, दुर्ग स्थित सभी ब्रह्मावत्तसो ने प्रातः काल से ही मौन में रहकर इस कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण देख कर मातेश्वरी दीदी के शिक्षाओं को आत्मसात कर विश्व में योग के प्रकम्पन फैलाये।