भिलाई। 12 मई : अगर आपको लगता है कि आपने नर्सिंग का पेशा चुना है? पर, हकीकत यह है कि इस कार्य के लिए खुद ईश्वर ने आपको चुना है। नर्सें मरीज की न केवल सेवा करती है बल्कि उनमें जीने की उम्मीद भी जगाती हैं। उक्त बातें मालवांचल विश्वविद्यालय इंदौर की डीन रिसर्च डिपार्टमेंट, डॉ माया पाटलिया ने कहीं। वे एमजे कालेज आफ नर्सिंग में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रही थीं। मुख्य अतिथि की आसंदी से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा का पेशा चुनौतियों से भरा है और इसमें डाक्टर, नर्स तथा अन्य सपोर्टिंग स्टाफ एक संयुक्त परिवार की तरह काम करते हैं। चुनौतियां भी समान हैं और अवसर भी। गर्व करें कि आपको पीड़ितों की सेवा का अवसर मिला है। उन्होंने स्टूडेन्ट नर्सों का आह्वान किया कि वे अपने स्तर पर अपने समाज में लोगों को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करें। भिलाई की अपनी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि पीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में उनका लंबा कार्यकाल रहा है तथा वहां की कई यादें उनके जेहन में आज भी ताजा है।
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने अपने संबोधन में नर्सों को माँ, बहन और बेटी और पत्नी का ही एक रूप बताते हुए कहा कि चिकित्सा सेवा नर्सों के बिना अधूरा है। आरंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डैनियल तमिलसेलवन ने कोविड की चुनौतियों के बीच नर्सों समेत पूरी चिकित्सा बिरादरी की स्थिति का वर्णन किया और इस तरह की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का सभी से आव्हान किया। उप प्राचार्य सिजी थॉमस ने अपने संबोधन में नर्सिंग सेवा के वैश्विक परिदृश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में दुनिया को 9 मिलियन कुशल नर्सों की जरूरत होगी। अतः सभी विद्य्राथी पूर्ण मनोयोग के साथ इसकी तैयारी करें। वेबीनार को सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास एवं सहायक प्राध्यापक ममता साहू ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन ममता साहू ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक गीता साहू ने किया।
इस अवसर पर बच्चों द्वारा नर्सिंग दिवस के उपलक्ष्य में तैयार किये गए एक वीडियो का प्रदर्शन भी किया गया जिसे सभी ने सराहा। विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं की भी घोषणा की गई जिसमें प्रथम पुरस्कार भूमिका साव, द्वितीय पुरस्कार शिवा पटेल तथा तृतीय पुरस्कार गीतांजिल शेरपा को प्रदान किया गया। कला प्रतियोगिता का पुरस्कार संजूलता चौहान एवं चंद्रकांता तुरकाने को तथा स्लोगन प्रतियोगिता का पुरस्कार पूजा पटेल एवं हर्षा मण्डावी को प्रदान किया गया।