भिलाई। 04 जुलाई : नगरीय निकाय जनवादी सफाई कामगार यूनियन छग मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) ने बयान जारी कर बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत नियमित कामगारों के लम्बे समय से अटके पड़े वेज रिवीजन,14 श्रमवीरों का संस्पेड आदेश वापस लेने, कोरोनावायरस काल में मारें गए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों को अनुकम्पा नियुक्ति देने की मांगों को लेकर की गई ऐतिहासिक हड़ताल की बधाई देते हुए बीएसपी प्रंबधक और शासन के इशारे पर कामगारों के ऊपर अंधेरे में की गई लाठीचार्ज की यूनियन ने कड़ी निन्दा किया है तथा शांतिपूर्वक संवैधानिक प्राप्त आंदोलन को साजिश तरीक़े से बदनाम करने वालों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने की भी मांग यूनियन ने किया है।
संयूक्त यूनियन के द्वारा की गई हड़ताल का दोषी श्रमिक नही अपितु इसका दोषी सेल मंत्रालय और मोदी सरकार का बेलागम निवेशकरण , निजीकरण तथा स्थानीय प्रंबधक का अड़ियल रवैया है। जो चार सालों से अधिक समय तक मजदूरों का वेतन समझौता को टालता रहा और समय गुजरता गया, मजदूर अपने स्तर पर धरना प्रदर्शन कर लगातार ध्यान दिलाते रहे प्रंबधक और केंद्रीय नेताओं को, फिर भी परिणाम बेनतीजा रहा ।
ऐतिहासिक हड़ताल के पहले भी श्रमवीरों ने सेल चेयरमैन को हल्ला बोल के माध्यम से और अंत में भूख हड़ताल करके निर्णय लेने का अवसर भी प्रंबधक को दिया गया लेकिन चारों तरफ से कामगारों के हाथ निराशा ही लगीं और संयूक्त यूनियन, साथ ही नव यूवा कामगारों के बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के कारण इस्पात संयंत्र में ऐतिहासिक हड़ताल को अंजाम तक पहुंचाया गया जिसका श्रेय संयुक्त केंद्रीय श्रमिक नेताओं और स्थानीय मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों के मार्ग दर्शन में सफल हड़ताल हो पाया।
80-90 की दशक में इसी प्रकार छग मुक्ति मोर्चा का संस्थापक कामरेड शहीद शंकर गुहा नियोगी के द्वारा मजदूर अधिकारों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन को कुचलने प्रंबधक, सरकार और सरकारों के पाले ठेकेदार माफियाओं ने मिलकर नियोगी जी का हत्या किया गया तथा 17 औद्योगिक मजदूरों पर गोलियां चलवाकर आंदोलन को कमजोर करने का नाकाम प्रयास किया गया था , एक बार फिर 4 दशकों के बाद औद्योगिक मजदूरों का इतिहास दोहराने करवटें बदल रहे है।
जून 2018 भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भिलाई इस्पात संयंत्र का आधुनिकीकरण करने,7500 उत्पादन क्षमता बढ़ाने अनेकों घोषणा के बावजूद संयंत्र के बदहाली से अनेक श्रमिक लगातार गैस रिसाव के कारण असमय मौत के मुंह में समा गया,वो श्रमवीर जिसने देश दुनिया को रेल की पटरियां दिये जिसपर धड़धड़ाती दौड़ती बुलेट ट्रेनें चलती है, पनडुब्बियां, बड़ी बड़ी स्टेच्यू मूर्तियां अपने फौलादी हाथों और श्रम के योगदान का परचम का झंडा फहराने वाले, प्रधानमंत्री अवार्ड प्राप्त, श्रमवीरों को जर्जर आवासों में रहने, गंदे पानी पीने और बदहाल सफाई व्यवस्थाओं में रहने को मजबुर हैं।
मिनी इंडिया के नाम से मशहूर भिलाई इस्पात संयंत्र में कभी 50-60 हजार से अधिक नियमित वर्कर्स आज 20से25 हजार की संख्या में सिमट गई है, असंगठित ठेका मजदूरों की भरमार है जिसे भारत सरकार द्वारा जारी केन्द्रीय न्यूनतम वेतन तो दुर की बात छग शासन का न्यूनतम वेतन नहीं मिल पाता है, सरकारों के पाले गोदी ठेकेदार का आंतक के आगे श्रमिक पस्त है।
वंही मिनी इंडिया में राज्य सभा सांसद, लोकसभा सांसद, और राज्य सरकार के विधायक, केबिनेट मंत्री होने के बावजूद श्रमिकों को पे-रिवीजन के लिए पीठ पर लाठी और साजिश का शिकार होना पड़ रहा है जोकि श्रमिकों का अपमान है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के डैनेज, सिवरेज, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में कार्यरत ठेका सफाई कामगारों के श्रम के अलावा अन्य निकायों एवं कारखाने में नियोजित मजदूरों के हालात पहले से और ज्यादा बदतर हो रहे है जो लगातार अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन कर रहे कोरोनावायरस की महामारी में भी प्रबंधक, शासन प्रशासन कामगारों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम है आये दिन कामगारों की छंटनी, वेतन में कटौती,पीएफ ईएसआईसी में घपले बाजी बदस्तूर जारी है, भिलाई संयंत्र, माइंस की ऐतिहासिक हड़तालें निश्चित रूप से अलग-अलग चल रहे आंदोलन को बल देंगे और पहले से ज्यादा मजदूर अपने अधिकारों को लेकर संगठित होकर शोषण के खिलाफ आगे आयेंगे।
संयुक्त यूनियन का सांझा संघर्ष विरासत के साथ एकजुटता क़ायम करते हुए नगरीय निकाय जनवादी सफाई कामगार यूनियन छग मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति ) ठेका मजदूरों के मांगों को लेकर सांझा संघर्ष करने प्रतिबद्ध है और एक बड़ा आंदोलन का आगाज करने का घोषणा करेंगे।