रायपुर। स्कूल ऑफ कॉमर्स मैनेजमेंट एंड रिसर्च आईटीएम यूनिवर्सिटी में जूम प्लेटफॉम से बिहेवियरल फाइनेंस-ए कर्टेन रेज़र कर्टेन रेज़र पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। उद्घाटन सत्र में एससीएमआर के हेड एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. डॉ यासीन शेख ने छात्रों और कॉर्पोरेट घरानों के लिए इस वेबिनार के महत्व को रेखांकित किया । उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस प्रकार के वेबिनार से छात्रों को व्यवसाय की भूमिका की परिकल्पना करने और कॉर्पोरेट समाधान प्रदान करने का अनुभव मिलता हैं। आईटीएम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विकास सिंह ने विषय की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस उभरते हुए विषय के बारे में ज्ञान हासिल करने के लिए छात्रों, संकाय सदस्यों और अन्य कार्यरत अधिकारियों को भी प्रेरित किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस वर्तमान युग में व्यवहार वित्त ने इसके उपयोग के कारण महत्व प्राप्त कर लिया है और कहा कि आईटीएम विश्वविद्यालय हमेशा प्रत्येक व्यक्ति के ज्ञान को उन्नत करने के लिए इस तरह के वेबिनार पर ध्यान केंद्रित करता है, इस विश्वविद्यालय के छात्र हमेशा ऐसे विषयों को सीखने के लिए प्रेरित होते हैं ताकि उन्हें दुनिया के साथ परिचित कराएं और उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करें। वेबिनार के पहले वक्ता आईआईटी इलाहाबाद के डॉ. रंजीत सिंह थे। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और 15 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। कविता के प्रति झुकाव से उन्होंने मेरी पहचान अभी बाकी है नामक एक कविता पुस्तक प्रकाशित की है। वेबिनार में दूसरे वक्ता डॉ. अमलेश भोवाल असम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं जो एक उत्साही शोधकर्ता हैं और उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। विशेषज्ञ वक्ताओं ने विषय की उपयोगिताओं पर चर्चा की और प्रतिभागियों को इसके बारे में अधिक जानने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विषय के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान की और उसकी व्यावहारिकता और भविष्य के दायरे को समझाया। वेबिनार जूम प्लेटफॉर्म में आयोजित किया गया था और पूरे भारत से 300 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया था। वेबिनार में भाग लेने वाले प्रतिभागी बांग्लादेश, फिलीपींस, भूटान, नेपाल जैसे अन्य एशियाई देशों से भी थे। वेबिनार के सह संयोजक प्रबंधन विभाग से डॉ साधना बागची थी जबकि प्रो शिंकी कात्यानी पांडे और प्रो नम्रता केडिया ने समन्वयन किया।