आयुर्वेद अक्सर कई ऐसी सामग्रियों और फल फूल या पेड़ पौधों के फायदों से रूबरू कराता है, जिसके बारे में हम जानते ही नहीं है। ऐसा ही एक प्लांट है SBL रॉवोल्फिया सर्पेन्टिना या भारतीय सर्पगन्धा। आयुर्वेद के मुताबिक यह सेहत के साथ – साथ कई समस्याओं से राहत दिला सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
सेहत की बात हो या स्वास्थ्य संबंधित बीमारियों की, आज के समय में लोगों ने आयुर्वेद का रुख करना शुरू कर दिया है। लोग न केवल आयुर्वेदिक चीजों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना रहे हैं। बल्कि आयुर्वेद के मुताबिक बताए गए बहुत से उपाय को रोजाना अपना रहे हैं। आज हम आपके सामने एक ऐसे ही पौधे के फायदे लेकर आएं है जिसका महत्व आयुर्वेद में बहुत अधिक माना जाता है। हम बात कर रहे हैं रावोल्फिया सर्पेंटिना या भारतीय स्नेकरूट या सर्पगंधा की। यह भारतीय उपमहाद्वीप और पूर्वी एशिया में पाया जाता है। आमतौर पर यह समुद्र तल से 4000 फीट की ऊंचाई पर नमी वाले जंगल या छायादार इलाके में होता है। इस पौधे पर गुलाबी और सफेद फूल पाए जाते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक पौधे की जड़ों का उपयोग कई खतरनाक रोगों के उपचार के लिए भी किया जाता है। आइए जानते हैं इसी भारतीय स्नेक रूट के बारे में।
सर्पगन्धा का परिचय
कहते हैं कि साँप अगर काट ले तो जहर से पहले आदमी डर से ही मर जाता है, लेकिन यदि आप सर्पगंधा के उपयोग के बारे में जानते हों तो आप न तो डर से मरेंगे और न ही जहर से। सर्पगन्धा की जड़ी साँप के विष को उतारने की एक अच्छी दवा है। सर्पगन्धा के बारे में अनेक रोचक कथाएं प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए कहा जाता है कि कोबरा से लड़ने से पहले नेवला सर्पगन्धा की पत्तियों का रस चूस कर जाता है। पहले इसे पागलों की दवा भी कहा जाता था क्योंकि सर्पगंधा के प्रयोग से पागलपन भी ठीक होता है। यह कफ और वात को शान्त करता है, पित्त को बढ़ाता है और भोजन में रुचि पैदा करता है। यह दर्द को खत्म करता है, नींद लाता है और कामभावना को शान्त करता है। सर्पगन्धा घाव को भरता है और पेट के कीड़े को नष्ट करता है। यह अनेक प्रकार चूहे, साँप, छिपकिली आदि पशुओं के विष, गरविष (खाए जाने वाले जहर का एक प्रकार जो धीरे-धीरे असर करता है) को खत्म करता है। वात के कारण होने वाले रोग, दर्द, बुखार आदि को समाप्त करता है। इसकी जड़ अत्यंत तीखी तथा कड़वी, हल्की रेचक यानी मल को निकालने वाली और गर्मी पैदा करने वाली होती है।
सर्पगन्धा क्या है?
पारंपरिक औषधियों में सर्पगन्धा एक प्रमुख औषधि है। भारत में तो इसके प्रयोग का इतिहास 3000 साल पुराना है। सर्पगन्धा स्वाद में कड़ुआ, तीखा, कसैला और पेट के लिए रूखा तथा गर्म होता है। सर्पगंधा एक छोटा चमकीला, सदाबहार, बहुवर्षीय झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी जड़े मिट्टी में गहराई तक जाती हैं। जड़े टेढ़ी-मेढ़ी तथा करीब 18-20 इंच लम्बी होती है। जड़ की छाल भूरे-पीले रंग की होती है। जड़ गंधहीन और काफी तीखी तथा कड़वी होती है। पौधे की छाल का रंग पीला होता है। इसकी पत्तियां गुच्छेदार, 3-7 इंच लम्बी, लेन्स की आकार की तथा डन्ठलयुक्त होती हैं। पत्तियां ऊपर की ओर गाढ़े हरे रंग की तथा नीचे हल्के रंग की होती है। इसमें आमतौर से नवंबर-दिसंबर माह में फूल लगते हैं। फल छोटे, मांसल तथा एक या दो-दो में जुड़े हुए होते हैं। हरे फल पकने पर बैंगनी-काले रंग के हो जाते हैं। सर्पगन्धा की जड़ का प्रयोग रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। सर्पगन्धा की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त और भी दो प्रजातियाँ होती हैं जिनका दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनमें से एक है वन्य सर्पगन्धा। यह एक छोटा झाड़ीदार पौधा होता है। इसकी पत्तियां एक साथ चार-चार की संख्या में लगी हुयी होती हैं। फूल गुच्छों में लगते हैं और हरे-सफेद रंग के होते हैं। फल गोलाकार, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर जामुनी-गुलाबी रंग के हो जाते हैं। इसकी जड़ लम्बी तथा भूरे-सफेद रंग की होती है। सर्पगन्धा की जड़ में इसकी मिलावट की जाती है।
विभिन्न भाषाओं में सर्पगन्धा के नाम
* सर्पगन्धा का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम रौवोल्फिया सर्पेन्टाइना है। यूरोपवासियों को इसकी जानकारी वर्ष 1582 में लियोनार्ड रौल्फ ने लगाया था। उसके नाम पर ही इसे रौवोल्फिया कहते हैं। यह एपोसाइनेसी कुल का पौधा है और इसका अंग्रेजी नाम सर्पेन्टाइन रूट, जावा डेविल पिप्पर है। इसका अन्य भारतीय भाषाओं में नाम निम्नानुसार हैः-
* Hindi – नकुलकन्द, सर्पगन्धा, धवलबरुआ, नाकुलीकन्द, हरकाई चन्द्रा, रास्नाभेद
* Sanskrit – सर्पगन्धा, धवलविटप, चद्रमार, गन्ध नाकुली
* Oriya – धनबरुआ, सनोचेडो, पातालगरुर
* Konkani – पातालगरुड
* Kannada – चन्द्राके, सर्पगन्धी, शिवरोकिबल्ला
* Tamil – चीवनमेलपोडी, कोवन्नामीलपूरी
* Telugu – पालालागानी, पातालगंधि, डुमपासन
*.Bengali – छोटा चाँद, चन्दरा
* Nepali – चांदमरुवा
* Marathi – हरकी, अडकई, हरकय
*.Malayalam – तूलून्नी, चुवन्ना अविलपूरी
*.Persian – छोटाचान्दा
सर्पगन्धा के औषधीय गुण
आयुर्वेद के मुताबिक सर्पगन्धा का यह पौधा वात और कफ दोष को संतुलित करने का कार्य करता है। आपको बता दें कि पौधे के अंदर कई रसायनिक घटक है जैसे रेसेरप्राइन, अजमालिन, अजमेलिसिन, इंडोबाइन, सर्पेंटाइन, योहिम्बाइन, योहिम्बाइन, रेस्किनामाइन आदि। इसके अलावा यह पौधा अपने एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी हाइपरटेंसिव गुणों के लिए भी जाना जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके सेहत पर होने वाले फायदों के बारे में।
सर्पगन्धा के फायदे
इसका प्रयोग मैनिया, ब्लडप्रेशर (रक्तचाप) आदि रोगों में किया जाता है। यह मासिक धर्म को ठीक करता है, पेशाब संबंधी रोगों को दूर करता है। सर्पगन्धा बुखार को ठीक करता है। रोगानुसार इसके लाभ और प्रयोग की विधि नीचे दिए जा रहे हैं।
कुक्कुरखाँसी (काली खांसी)
कुक्कुर खांसी को काली खांसी भी कहते हैं। बच्चों में होने वाली यह एक संक्रामक बीमारी है। ज्यादातर 5 से 15 वर्ष आयु तक के बच्चों को होती है। कुक्कुर खांसी होने पर काफी तेज तथा लगातार खांसी उठती है। लगातार खांसने से रोगी घबरा जाता है। अंत में उसे उलटी हो जाती है।
सर्पगन्धा के प्रयोग से इसे ठीक किया जा सकता है। 250-500 मि.ग्राम सर्पगन्धा चूर्ण को शहद के साथ सेवन कराने से कुक्कुर खाँसी या काली खांसी में लाभ होता है।
सांस उखड़ने पर
दौड़ने से दम फूलना यानी सांसों का तेज चलने लगना एक सामान्य बात है, लेकिन यदि चलने से भी दम फूलने लगे तो यह एक बीमारी है। दम फूलने या सांस उखड़ने की परेशानी में एक ग्राम सर्पगन्धा चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें। अवश्य लाभ होगा।
अस्थमा में
अस्थमा जैसे रोग में सर्पगन्धा पौधे की जड़ों का उपयोग बहुत फायदेमंद माना जाता है। दक्षिण भारत में दमा की समस्या से निपटने के लिए इसकी जड़ों से बना जूस या फिर इसकी जड़ों को सुखाकर तैयार किया गया पाउडर उपयोग में लिया जाता है।
हैजा में
पतले दस्त और उल्टी यानी हैजा होने पर 3-5 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा यानि विसूचिका में निश्चित लाभ होता है।
पेचिश में
10-30 मिली कुटज की जड़ के काढ़े में 500 मि.ग्राम सर्पगन्धा चूर्ण मिला लें। इसे पिलाने से खूनी पेचिश यानी पतले दस्त के साथ खून जाने की बीमारी में लाभ होता है।
पेट दर्द मिटाए
सर्पगन्धा अपच और कब्ज को दूर करता है। यह गैस को समाप्त करता है। इन कारणों से होने वाले पेट के दर्द में सर्पगन्धा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पीएं। अवश्य लाभ होगा।
स्ट्रेस और एंग्जायटी से राहत
क्या आप उन लोगों में से एक हैं जो स्ट्रेस और एंग्जायटी की समस्या से परेशान हैं। अगर हां तो आपको बता दें कि सर्पगन्धा नाम के इस पौधे की जड़ो को चूसने से आपको काफी लाभ हो सकता है। आपको बता दें कि इसके अंदर हाइपरटेंसिव गुण होते हैं जो स्ट्रेस और एंग्जायटी को कम करने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा वह लोग जो इंसोमेनिया की समस्या से पीड़ित हैं। वह लोग भी इस पौधे को आजमा सकते हैं।
पेट से जुड़ी समस्याओं में
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याएं हो या फिर पेट से जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे कब्ज, डायरिया आदि। इन सभी से राहत पाने के लिए सर्पगन्धा के पौधे को उपयोगी माना जाता है। आपको बता दें कि इस पौधे के जरिए न केवल पेट साफ हो जाता है, बल्कि पाचन से जुड़ी और पेट से जुड़ी प्रक्रिया को बेहतर करता है।
हृदय के लिए
यह पौधा हृदय की समस्या से भी राहत दिलाने और उनसे बचाए रखने में कारगर माना जाता है। आज के समय में खराब जीवन शैली और बेकार के खानपान के चलते हृदय रोग बेहद आम हो गए हैं। ऐसे में इस पौधे का उपयोग हृदय रोग से बचने के लिए किया जा सकता है। आपको बता दें कि इसके अंदर मौजूद गुण हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। जिससे हृदय रोग होने का खतरा भी कम हो जाता है।
स्किन से जुड़ी समस्या में
ऐसे लोग जो स्किन से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं। उन लोगों के लिए भी यह पौधा बेहद फायदेमंद माना जाता है। अगर आप भी कील मुंहासे, फोड़े और खुजली की समस्या से परेशान हैं तो इस पौधे का उपयोग कर सकते हैं। ज्ञात हो कि इसके अंदर एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो स्किन से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने का काम करते हैं।
सामान्य प्रसव के लिए
आजकल प्रसव होने में थोड़ी सी भी कठिनाई होने पर सिजेरियन यानी ऑपरेशन से प्रसव कराया जा रहा है। यह डॉक्टरों के लिए अच्छी आय का साधन भी बन जाता है लेकिन इससे स्त्री के स्वास्थ्य को जीवन भर के लिए नुकसान होता है। ऐसे में अगर आप सर्पगन्धा का प्रयोग करेंगे तो प्रसव आसानी से होता है। यदि प्रसव के दौरान दर्द हो रहा हो और प्रसव नहीं हो रहा तो सर्पगन्धा की जड़ के काढ़े का सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भाशय में संकोचन होना प्रारंभ हो जाता है जिससे प्रसव होने में आसानी हो जाती है। 2-3 ग्राम सर्पगन्धा की जड़ के चूर्ण में बराबार भाग शक्कर मिला लें। इसे शहद के साथ सेवन कराने से भी सामान्य प्रसव में सहायता मिलती है।
मासिक धर्म में
सर्पगन्धा के सूखे फल के चूर्ण को काली मिर्च तथा अदरक के साथ पीस लें। इसे खाने से मासिक धर्म नियमित होने लगता है। इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द होना, कम या अधिक स्राव होना आदि आर्तव विकार भी ठीक होता है।
गर्भपात की समस्या में
गर्भावस्था के शुरुआती 3-4 महीनों में भ्रूण का विकास पूरी तरह नहीं होता है। इस अवस्था में यदि किसी कारण से गर्भपात हो जाए केवल खून ही गिरता है। इसे ही गर्भस्राव कहते हैं। गर्भस्राव होने के बाद यदि दर्द तथा खून का निकलना बंद न हो तो 2-4 ग्राम सर्पगन्धा की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें। अवश्य लाभ होगा।
मैनिया तथा मिर्गी में
मैनिया या उन्माद और मिर्गी दोनों ही मस्तिष्क से जुड़े हुए रोग हैं। सर्पगन्धा इन जोनों ही बीमारियों में लाभकारी है। 1-2 ग्राम सर्पगन्धा की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से उन्माद या मैनिया तथा मिर्गी में लाभ होता है। 2-4 ग्राम सर्पगन्धा की जड़ के चूर्ण को गुलाब जल के साथ सेवन कराने से उन्माद में लाभ होता है।
ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) में
रक्तभार और रक्तदाब दो लगभग समान लेकिन खून से जुड़ी दो थोड़ी भिन्न समस्याएं हैं। रक्तभार के बढ़ जाने से मस्तिष्क को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है, जिससे ब्रेन हैमरेज तक होने का खतरा होता है। उच्च रक्तचाप से हृदय में समस्या होती है। सर्पगंधा दोनों को ही ठीक करने में लाभकारी है। सर्पगन्धा हमारे हृदय की गति को नियमित करता है। इसकी जड़ों का अर्क उच्च रक्तचाप यानी हाई बल्ड प्रेशर की एक अच्छी दवा है। यह धमनियों को सख्त होने से रोकता है।सर्पगन्धा से बनी वटी का सेवन करने से उच्च रक्तभार ठीक होता है। 1-2 सर्पगन्धा घन वटी का सेवन करने से उच्चरक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर ठीक होता है।
नींद ना आने में
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद का आना जरूरी है। यदि आपको अच्छी नींद नहीं आती हो तो सर्पगंधा आपके लिए काफी लाभकारी हो सकती है। यह तनाव को दूर करके मांसपेशियों को आराम दिलाने में सहायता करता है। इससे अच्छी नींद आती है।।अच्छी नींद के लिए 1-3 ग्राम सर्पगन्धा की जड़ के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें। दो ग्राम सर्पगन्धा की जड़ के चूर्ण में दो ग्राम खुरासानी अजवायन का चूर्ण और बराबर मात्रा में शक्कर मिला लें। इसे रात को सोने से पहले सामान्य जल के साथ सेवन करने से भी नींद अच्छी आती है।
विष का प्रभाव दूर करे
सर्पगन्धा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विषों को समाप्त करने के लिए भी किया जाता है।
* साँप के काटने पर सर्पगंधा की जड़ को पानी में घिस कर 10-20 ग्राम पिलाने से लाभ होता है।
* साँप के काटे हुए स्थान पर इसकी जड़ के चूर्ण को लगाना भी चाहिए।
* सर्पगन्धा की ताजी पत्तियों को कुचल कर पाँव के तलुओं में लगाने से भी साँप के काटने में आराम मिलता है।
*.सर्पगन्धा, चोरक, सप्तला, पुनर्नवा आदि द्रव्यों का एकल या मिश्रित प्रयोग करने से विभिन्न प्रकार के विष के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।
सर्पगन्धा के उपयोगी हिस्से
* फल
* जड़ का चूर्ण
* पत्ते
सर्पगन्धा के सेवन की मात्रा और सेवन विधि
* चूर्ण 3-5 ग्राम
* काढ़ा – 10-30 मिली
अधिक लाभ के लिए सर्पगंधा का इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।
कैसे करें सर्पगन्धा का सेवन
आप इस पौधे से बना पाउडर या टेबलेट बाजार से आसानी से खरीद सकते हैं। लेकिन अगर आप किसी तरह की दवाएं या इलाज प्रक्रिया में हैं तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
सर्पगन्धा के नुकसान
सर्पगंधा के अधिक इस्तेमाल से ये नुकसान हो सकते हैंः-
*.सर्पगन्धा का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से घबराहट, हृदय में भारीपन, ब्लड प्रेशर का कम होना आदि समस्याएं पैदा होती हैं।
* कई बार इससे पेट में जलन या हाइपर एसिडिटी की समस्या भी पैदा होती है।
* इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में और चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।
किसे सर्पगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए
इन लोगों को सर्पगंधा का सेवन नहीं करना चाहिएः-
* स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती स्त्रियों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
* बच्चों को इसका सेवन कराने से भी बचना चाहिए।
* शराबी को भी इसका सेवन नहीं कराना चाहिए।
सर्पगन्धा कहाँ पाया या उगाया जाता है?
दुनिया भर में सर्पगंधा की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। भारतवर्ष में समतल एवं पर्वतीय प्रदेशों में इसकी खेती होती है। पश्चिम बंगाल एवं बांग्लादेश में सभी जगह स्वाभाविक रूप से सर्पगन्धा के पौधे उगते हैं। समस्त भारत में लगभग 1200 मीटर की ऊचाईं तक इसकी खेती की जाती हैं।
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।