ज़िंदगी जीना बहुत आसान है लेकिन हम लोग गलतियां करके उसे मुश्किल बना देते हैं। हर कोई जीवन में खुश रहना चाहता है, सकारात्मक होना चाहता है, अधिक क्रिएटिव और प्रोडक्टिव होना चाहता है। भरपूर पैसा और समाज में सम्मान पाना सभी का लक्ष्य होता है। क्या आप जानते हैं कि अच्छा परिवार, बहुत से दोस्त, अच्छा स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा एक सुखी जीवन के लिए पर्याप्त है।
सुख इसे उस संतुष्टि के बीच संयोजन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति के निजी जीवन (परिवार, दंपति, काम) और मानसिक कल्याण के साथ होती है जो वे रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस करते हैं.
खुश रहने का मतलब है ख़ुशी से लेकर ख़ुशी तक, सकारात्मक भावनाओं से युक्त, अच्छी तरह से अपने आप को पा लेना। खुशी की अवधारणा विसरित है और इसका अर्थ अलग-अलग लोगों और संस्कृतियों के लिए अलग-अलग हो सकता है। संबंधित शब्द कल्याण, जीवन की गुणवत्ता, संतुष्टि और परिपूर्णता हैं.
क्या आपने कभी खुशी को परिभाषित करने की कोशिश की है या आपने इसकी परिभाषा डिक्शनरी में खोजी है? यदि उत्तर हाँ है, तो आपने देखा होगा कि इस अवधारणा की परिभाषा को खोजना कितना मुश्किल है जो एक ही शब्द के लिए एक पर्यायवाची को शामिल नहीं करता है। मामलों को बदतर बनाने के लिए, हम यह भी मापना लगभग असंभव समझते हैं कि कोई व्यक्ति कितना खुश है. कोई भी काम करने के पीछे हमारा वास्तविक उद्देश्य खुशी को प्राप्त करना होता है, सच्चाई यह है कि प्रत्येक उद्देश्य के पीछे भी हमारा असली उद्देश्य खुशी प्राप्त करना है।अधिकांश लोग मानते हैं प्रसन्नता, खुशी, सफलता, धन, संबंधों और अच्छे स्वास्थ्य से आते है, लेकिन यह सच नहीं है सफलता, संबंध और स्वास्थ्य हमारी खुशी के कारण हमारे जीवन में आते हैं।
खुशी क्यों जरूरी है।
जब हम खुश होते हैं तब हम अपने कार्यस्थल पर सही निर्णय लेते हैं जिससे हमें और अधिक सफलता मिलती है। हम अपने काम में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन देते हैं, जिससे हमें और अधिक पैसे मिलते हैं, हम सब के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, जिससे हमारे संबंध बेहतर होते हैं, और जब संबंध बेहतर होते हैं तब हम तनाव और चिंता से दूर रहते हैं, तो हमारा स्वास्थ्य भी अपने आप अच्छा हो जाता है। हर सफल व्यक्ति को खुश नहीं देखा गया लेकिन यह जरूर देखा गया कि जो लोग खुश होते हैं उन्हें हमेशा सफलता मिलती है।
खुश रहने से मिलती है ओर खुशियां ही खुशियां
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास क्या है, क्या नहीं। हम चाहे किसी भी स्थिति में हो सिर्फ खुशी महसूस करके अपने जीवन में हम परिवर्तन ला सकते हैं। इस तरह खुश रहने के दौरान हम देखते हैं कि अचानक हमारी मुलाकात सही लोगों से होने लगती है और हमारी कार्य योजनाएं भी अनुकूल होने लगती है। जब हम खुश होते हैं तो ऐसे लोगों, घटनाओं को आकर्षित करते हैं जो हमें और अधिक खुशियां देते हैं, इसलिए हम अधिक से अधिक खुश होने का प्रयास करें।
खुश रहने से क्या होता है।
खुश रहने से हम और अधिक खुशी को आकर्षित करते हैं। हमारा मन प्रफुल्लित होता है और हम अपने इर्द-गिर्द हर वस्तु के प्रति सकारात्मकता और अच्छी भावना प्रकट करते हैं। खुश रहने से हमारा आत्मविश्वास खूब बढा हुआ होता है, हम अपने आप को शक्तिशाली मानने लगते हैं, और अपने मन में नई ऊर्जा शक्ति का निर्माण कर पाते हैं, जिससे हमें सफलता समृद्धि वैभव और खुशियां मिलती है।
खुश रहने से मिलती है प्रचुरता
जब हम खुशी महसूस करते हैं जब हम किसी को प्यार करते हैं किसी की देखभाल करते हैं किसी जरूरतमंद की सहायता करते हैं, हंसते हैं, किसी के साथ अपनी मुस्कान बांटते हैं, जब कोई हमारी प्रशंसा करता है, जब हम जीत हासिल करते हैं, इसलिए हम प्रत्येक कार्य में अपना सर्वश्रेष्ठ दें, प्रसन्न रहें। प्रसन्न रहने से प्रचुरता स्वत: ही हमारे जीवन में आती है।
खुशी चिपकु होती है।
जब हम खुश होते हैं तो हर वो चीज जो हमको खुशी देती है हम से चिपकने लगती है। चाहे वह कोई संबंध हो, सफलता हो या अच्छा स्वास्थ्य हो। इन सबको बदलने के लिए जरूरी है हम अपनी सोच पर काम करें अच्छी, सकारात्मक बातें और, जो हम जीवन में देखना चाहते हो, उसे ही सोचें इस बात को सीखना जरूरी है, जबकि वास्तविकता में हम उन बातों को सोचते हैं जो हम नहीं चाहते इसलिए हम ब्रह्मांड में अधिक से अधिक उन सोच को भेजें। खुशी ही सफलता का शॉर्टकट भी है।
खुशी से प्रचुरता और शांति
खुश होने का मतलब जीवन में किसी चीज की भी कमी नहीं होना भी है। जब हमारे जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होती,। तब हमारा मन मस्त रहता है और इस समय हमारा मन अतीत और भविष्य की नहीं सोचता ऐसी स्थिति में हमारा मन निश्चित और बिल्कुल शांत होता है, इसे भी हम खुशी की अवस्था कहते हैं। जितना हम वर्तमान में होते हैं, उतनी हम खुशी महसूस करते हैं।
दुख या सुख स्थायी नहीं
अब तक जितने भी अध्ययन हुए हैं, उनमें एक बात जो उभरकर सामने आई है, वह वाकई दिलचस्प है कि हमारी जीत या हार का प्रभाव बहुत दिनों तक हमारी खुशियों पर नहीं रहता। बात चाहे चुनाव जीतने या हारने की हो, मनपसंद जीवनसाथी मिलने या नहीं मिलने की हो, नौकरी में तरक्की पाने या न पाने की हो या फिर परीक्षा में पास या फेल होने का मसला हो, इन चीजों को लेकर हम लंबे समय तक सुखी या दुखी नहीं रह सकते। मैं इसे इस तरह समझना चाहिए। जब हमें किसी क्षेत्र में जीत हासिल होती है, तो हम तुरंत खुश हो जाते हैं, पर कुछ समय बाद हमारी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। हम और ज्यादा पाने की चाहत में चिंतित हो जाते हैं। मनचाही मुराद पूरी न होने पर हम तुरंत दुखी होते हैं, लेकिन कुछ समय बाद हम सहज हो जाते हैं और आगे के बारे सोचने लगते हैं।
जिंदगी में खुशी पाने के लिए यह जानना जरूरी है।
खुशी आती कहां से है और जाती कहां है इस बारे में अनेक मनोवैज्ञानिक व समाज शास्त्रियों ने लंबा शोधन किया है और वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे, खुशी जहां से आती है वहीं चली भी जाती है खुशियों का संबंध हमारी भावनाओं से है और हमारी भावनाएं हर पल बदलती रहती है। उन्हीं भावनाओं के के अनुसार खुशी भी बढ़ती और घटती रहती है। किसी भी व्यक्ति का पूरे सप्ताह में समान रूप से खुश रह पाना संभव नहीं, इस बात को भी जानने की जरूरत है। जिस प्रकार खुशी के पल स्थाई नहीं रहते उसी तरह दुख भी स्थाई नहीं होते, यह आते और जाते रहते हैं, इसलिए इस में समान और शांति से रहना ही,खुश रहना है।
हंसना जरूरी है।
मनुष्य का मूड हर पल बदलता रहता है मूड के तेजी से बदलने को मूड डिसऑर्डर कहते हैं मुस्कुराहट और हंसी भी हमारे मुड को सुधार सकती हैं। हंसते और मुस्कुराते रहने से इस खुशी की महक को हम अपने इर्द गिर्द भी महकाते हैं जिससे लोग हमारे संग रहना पसंद करते हैं।
खुश रहने के विचार
खुश रहने के लिए अपने मस्तिष्क को हम कुछ सकारात्मक विचारों के द्वारा अपनी वाणी से कुछ सुझाव जरूर दें। इसके लिए प्रातः काल का समय जब हम उठे तो अपने मुंह से यह बात बोले मैं खुश हूं, मैं सकारात्मक विचारों से घिरा रहता हूं, मेरा आत्मविश्वास भरपूर है, प्रतिदिन बढ़ता है, बढ़ रहा है मैं भाग्यशाली हूं, मैं हमेशा हर परिस्थिति में खुशी का अनुभव करता हूं। ऐसा निरंतर सिर्फ खुशी के विचार बोलने मात्र से हम खुश रहने लगते हैं।
हमेशा खुशी और ऊर्जा देते हैं हमारे शब्द
हमारे द्वारा बोले गए शब्द हमारे जीवन में हमको स्वयं को तो खुशी देते ही हैं और जिसके समक्ष हम अपने शब्दों का प्रयोग करते हैं उन्हें भी खुशी मिलती है। जब इन शब्दों के द्वारा हम सकारात्मक शब्दों का प्रयोग कर अपने मन की भावना को ब्रह्मांड में भेजते हैं तब उसके प्रभाव से हमें नए-नए खुशी ब्रह्मांड द्वारा भी तोहफे स्वरूप दी जाती है, जो हमारी खुशी को और बढ़ाती है।
खुश रहने का सबसे आसान तरीका
खुश रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है खुशी को जानना सीखना और इसे भी शिक्षा के साथ-साथ पढ़ना कि खुशी कहां कहां मिल सकती है खुश रहने के लिए हमें क्या-क्या करना है और यह सारी खुशियां आपको ब्रह्मांड सारे अनमोल दूसरों को समेट कर देती है खुश रहने के लिए पढ़ना बहुत जरूरी है कुछ न कुछ ज्ञान की चीजें अगर हम पढ़ ना सके तो जरूर सुने।
हमेशा खुश कैसे रहें।
हमेशा खुश रहने के लिए सबसे अधिक जरूरी कि हम सब उसी काम को करें जो हमको खुशी देता हो, क्योंकि हमारा काम में लगा रहना ही हमें हमेशा खुश रख सकता है। इसलिए हम अपने काम से प्यार करें, अपने काम की नई नई तकनीक को अधिक से अधिक सीखें और उसे अपनाएं। अपने काम में नए लोगों को जोड़ें और अपनी टीम बनाने का प्रयास करें इससे हम हमेशा खुश रह सकते हैं।
खुश रहने का राज
खुश रहने के लिए हमारे जीवन में हमारा स्वास्थ्य, हमारे रिश्ते और आदतें इन पर काम करना कदम कदम पर हमें नई नई खुशियां देता है जब हम अपनी अच्छी आदतों बनाने लगते हैं तो ब्रह्मांड हमें परिणाम स्वरूप खुशी के नए नए अवसर प्रदान करता है।
अकेले खुश रहने का राज
अकेले खुश रहने के लिए हमें कुछ न कुछ पढ़ते रहने की आदत जीवन में बनानी चाहिए इस आदत से हम अपने आपको जीवन में कभी भी अकेला महसूस नहीं करते हम हर समय जिसको पढ़ते हैं उसके साथ होते हैं उसके जीवन को हम समझ पाते हैं और हमें दुखी होना नहीं पड़ता।
खुद को कैसे खुश रख सकते हैं।
खुद को खुश रखने के लिए जरूरी है चेहरे पर मुस्कान बना कर रखना, इमानदारी से अपने काम को करना, किसी भी चुनौती की स्थिति में धैर्य धारण रखना, बोलते समय विनम्रता और शिष्टता का ध्यान रखना,अपने समय की कद्र, और मित्रता रखना, खुद को कभी किसी से कम ना आंकना, अपने अंदरूनी मन की स्थिति पर निरंतर काम करना,अपने मन को सजाना, अपने मन को सुंदर बनाने के लिए निरंतर सकारात्मक लोगों के संग रहना, और अपने बीते हुए दिन को कागज पर लिखा कर देखना कि हम जो कर रहे हैं वह हमें खुशी दे रहा है, और आगे भी इस तरह काम से खुशी मिलती रहेगी या नहीं। समाज और रिश्तो को हमेशा महत्व देना, अपना भरोसा और अपनी जिम्मेवारी को निभाना, अधिक सुनना कम बोलना, अपनी गलती पर माफी मांगने से पीछे ना हटना, प्रत्येक घटित घटना के लिए शुक्रगुजार होना, ये सब जीवन में संतुलन और खुशी बनाए रखते हैं।
दिन भर खुश रहने का तरीका
दिन भर खुश रहने के लिए सबसे पहले हमें इस बात को जानना जरूरी है कि किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए एक योजना का लिखित रूप में होना जरूरी है। इसके तहत हमें हर समय खुश रहने के लिए अपने दिन भर के योजनाओं को लिखित रूप से रखना चाहिए। हम दिन भर में क्या-क्या करेंगे और किस समय करेंगे, तभी हम दिन भर खुश रह सकते हैं। इसके लिए हमारा दिनभर करने का काम सुनियोजित तरीके से लिखित रूप से हमारे पास होना चाहिए। इससे हमें आलस्य करने का समय नहीं मिलता और ना ही हमें यह सोचना पड़ता है कि अगले पल हम क्या करेंगे और हम आसानी से खुश रह पाते हैं।
खुश रहने का मूल मंत्र क्या है।
खुश रहने का सबसे मूलमंत्र यही है हम खुशी को जाने। खुश रहने के तरीकों को सीखें। प्रतिकूलता और चुनौती को भी जाने। जीवन के लचीलेपन की शक्ति को समझें। अपने मित्रों का चयन बुद्धिमता से करें, अपनी गलत आदतों पर लगाम लगाएं। अपने जीवन का एक दिलचस्प उद्देश्य बनाएं। हमेशा अपने जीवन में प्राप्त वस्तु के लिए कृतज्ञ बने। माता-पिता की बातों को प्रत्यक्ष देव दूत की वाणी की तरह अपने जीवन में महत्व दें। अपने स्वास्थ्य रूपी अनमोल खजाने की देखभाल करें। अपने दिल की बात सुने, और और जीवन में सदैव खुश रहने के लिए अपने काम से प्यार करें।
खुशी कैसे मिलेगी
खुश रहने के लिए हमें अपने जीवन को ऐसे लोगों के साथ बिताना बहुत जरूरी है जो खुश रहते हैं। जो जीवन में खुश दिखाई देते हैं उनके जीवन में वे क्या करते हैं इस बात को जानना सीखना और अपने जीवन में उसे पालन करना हमें खुशी देता है। अगर हम ऐसे लोगों से कुछ सीख पाते हैं तो हमें दुखी होना नहीं पड़ता क्योंकि हम उन लोगों से उन बातों को पहले ही जान जाते हैं जो बातें हमें दुख देती है।
जो बस में नहीं, उसके लिए दुख क्यों
जो चीजें आपके बस में नहीं हैं, उन्हें लेकर आपको दुखी नहीं होना चाहिए। जिसे आप नहीं बदल सकते, उसे स्वीकार करना ही बेहतर है। जब हम वाकई जिंदगी की उलझन में फंस जाते हैं, तो मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता बहुत काम आती है। जैसे आप समझते हैं कि डेटिंग और शादी में बहुत अंतर है। अगर डेटिंग के दौरान आपको लड़की की कोई आदत पसंद न आए, तो आप रिश्ता तोड़ सकते हैं, लेकिन शादी हो जाए, तो निभाना ही होगा। ऐसे में हमें उसकी गलत आदतों को भी हंसकर टालना होगा।
खुशी का मनोविज्ञान
खुशी को परिभाषित करने के लिए एक अच्छी शुरुआत उस चीज से शुरू हो सकती है जिसे हम जानते हैं कि वह नहीं है। कई लोगों के लिए एक पार्टी में दोस्तों के साथ मस्ती करने या यहां तक कि एक अच्छे भोजन का आनंद लेने या उस व्यक्ति के साथ आनंद होता है जिसे आप प्यार करते हैं। ये अद्भुत अनुभव हैं जो हमें बहुत अच्छा महसूस कराते हैं लेकिन यह वास्तव में हमें अवधारणा की परिभाषा ही नहीं देता है, यह देखते हुए कि वे परिभाषित करते हैं कि आनंद क्या है। इसलिए, अगर सुख ही सुख नहीं है, तो सुख क्या है??. खुशी है जब हमारा जीवन हमारी आवश्यकताओं को पूरी तरह से संतुष्ट करता है. यही है, यह तब आता है जब हम संतुष्ट और पूर्ण महसूस करते हैं। यह संतुष्टि की भावना है, जिसमें हम सोचते हैं कि जीवन जैसा है वैसा ही होना चाहिए। पूर्ण आनंद, आत्मज्ञान, तब आता है जब हमारी सभी आवश्यकताएं पूरी तरह से कवर हो जाती हैं. “खुशी, संतुष्टि या सकारात्मक भलाई का अनुभव, एक भावना के साथ संयुक्त है कि किसी का जीवन अच्छा, सार्थक और सार्थक है”।
सुख और मस्तिष्क
बेशक, न्यूरोनल कनेक्शन, न्यूरोट्रांसमीटर और मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली मूलभूत महत्व के होते हैं जब यह खुशी को समझ में आता है. इस अर्थ में, सेरोटोनिन, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में संश्लेषित एक न्यूरोट्रांसमीटर, जो कल्याण और भावनात्मक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण महत्व का कार्य करता है, मौलिक महत्व का है। इस पदार्थ की वृद्धि भलाई की लगभग स्वचालित सनसनी पैदा करती है, आत्मसम्मान की वृद्धि, विश्राम और एकाग्रता. सेरोटोनिन की कमी अवसाद, आत्महत्या के विचारों, जुनूनी-बाध्यकारी विकार, अनिद्रा और आक्रामक स्थितियों से जुड़ी होती है।
याद रखें ज़िंदगी एक बार मिलती है इसलिए जब भी कोई लक्ष्य निर्धारित करें तो उसे प्राप्त करने के लिए इमानदारी से पूरी कोशिश करें और अंत में क्या होगा इसकी चिंता किए बिना प्रयास करें। अपने लक्ष्य को पा लेने के बाद आप संतुष्टि और आनंद का अनुभव करेंगे। कई लोगों को भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत-सी होती है। ऐसा करने से वे वर्तमान का महत्व कम कर देते हैं। ऐसा लगातार करने से वे नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं और दुखी होते रहते हैं। अगर याद ही करना है तो अतीत की सुखद घटनाओं को याद करें जो आपको खुशी दे। भविष्य तब ही सुनहरा होगा जब आप वर्तमान में कुछ उद्देश्यपूर्ण काम करेंगे। आपके आज के ही कामों से आपका भविष्य सुरक्षित होगा।