भिलाई। 11 नवंबर : अगर डा. आम्बेडकर ना होते तो भारत मे महिलाऐ आज भी दोयम दर्जे का जीवन जी रही होती। संविधान के कारण महिलाओ का शैक्षणिक सामाजिक और राजनीतिक उत्थान हुआ है। चिता से उठाकर महिलाओ को जीने का अधिकार देकर संसद तक पहुंचाने वाले डा.आम्बेडकर का योगदान अतुलनीय है। उक्त बातें दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित संगोष्ठी आमंत्रित अतिथियों ने कही।
भारतीय महिलाओ के उत्थान और विकास मे डा. बाबासाहेब आम्बेडकर का योगदान कितना महत्वपूर्ण विषय पर दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया शाखा छ.ग. राज्य के प्रदेश महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी कार्यक्रम बुद्ध विहार सेक्टर 6 भिलाई मे अंजू साहू प्रमुख, पिछड़ा वर्ग समाज महिला विंग, छत्तीसगढ़ राज्य, रमा गोरती प्रमुख, ब्राह्मण समाज महिला विंग, भिलाई, फरजाना जी प्रमुख, अल्पसंख्यक समुदाय, महिला विंग भिलाई, सुलोचना बावरिया अधिवक्ता एवं प्रमुख, अनुसूचित जाति महिला विंग, दुर्ग, शीला सिंह ठाकुर प्रमुख आदिवासी समाज, महिला विंग, रिसाली के मुख्य उपस्थिति तथा भारती खांडेकर प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया छत्तीसगढ़ की अध्यक्षता मे संपन्न हुआ। संगोष्ठी मे विभिन्न क्षेत्रो से आयी अनेक महिलाऐ व सामाजिक सदस्यगण उपस्थित थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ मे अतिथियो द्वारा तथागत गौतम बुद्ध एवं डा.बाबासाहेब आम्बेडकर के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किये गये। संगोष्ठी के प्रारंभ मे प्रस्तावना और अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए भारती खांडेकर ने कहा कि डा. बाबासाहेब आम्बेडकर ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिनो मे संविधान का निर्माण कर पूरे देश की रक्षा की और राजा राम मोहन राय द्वारा सती प्रथा के विरोध के पश्चात डा.आम्बेडकर ने संविधान के जरिए महिलाओ का शैक्षणिक सामाजिक आर्थिक व मानसिक तथा राजनीतिक उत्थान किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अंजू साहू प्रमुख पिछड़ा वर्ग महिला विंग छत्तीसगढ़ ने कहा कि डा.आम्बेडकर ना होते हम महिलाओ का जीना दूभर हो जाता, उन्होने हमे शिक्षा और बराबरी का अधिकार देकर हम महिलाओ का अस्तित्व बनाया। उन्होने यह भी कहा कि बचपन के शौक और जिद ना भूले कही ना कही यही हमे आगे बढ़ाने मे सहायक सिद्ध होते है। रमा गोरती ने कहा कि आज भारत मे महिलाऐ अगर शिक्षा राजनीति और खेल सहित अन्य क्षेत्रो मे आगे बढ़कर स्थापित हुई है तो इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ डा.आम्बेडकर को जाता है, उन्होने नारी का सम्मान बढ़ाया है। फरजाना जी ने कहा कि बाबासाहेब आम्बेडकर द्वारा रचित संविधान मे मिले संवैधानिक अधिकार के कारण ही भारत मे महिलाऐ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक बन सकी है अन्यथा 1950 के पहले एक महिला सरपंच तक नही बन पाई थी। सुलोचना बावरिया ने कहा कि विधान और न्यायालय के जरिये बाबासाहेब ने पीड़ित लोगो को न्याय दिलाने का महती काम भी किया। शीला सिंह ठाकुर ने कहा कि डा.आम्बेडकर ने सिर्फ दलितो आदिवासियो और पिछड़ो के लिए ही नही वरन पूरे देश और पशु पक्षियो तक की चिन्ता कर उनके संरक्षण का प्रावधान संविधान मे रखा है। रजनी बेनर्जी ने कहा कि डा.आम्बेडकर ने नारी को धन संचय का अधिकार दिया वर्ना पहले नारी को सिर्फ उपयोग की वस्तु समझा जाता था। संगोष्ठी का संचालन जयश्री बौद्ध महासचिव ने तथा आभार प्रदर्शन नीतू डोंगरे सचिव ने किया। कार्यक्रम के अंत मे डा.बाबासाहेब आम्बेडकर के सुविचारो से सुसज्जित छायाचित्र स्मृति चिन्ह के रूप मे भेंट कर सभी अतिथियो को महिला प्रकोष्ठ द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बुद्ध विहार मे निर्मला गजभिये, वंदना बौद्ध, संगीता खोब्रागडे, अल्का बौद्ध, कल्पना गजभिये, सरोज बौद्ध, वीणा मरकाम, बबीता नागवंशी, शवेता वासनिक, गोदावरी कुर्रे, सरिता रात्रे, सरला कामले, लीना वैद्य, सुजाता रामटेके, हंसा मेश्राम, श्रद्धा गडपायले, अनिल मेश्राम, सुधेश रामटेके, गौतम खोब्रागडे, युवराज गजभिये सहित अन्य लोग उपस्थित थे।