दुर्ग ।आस्ट्रेलियन प्रजाति के केंचुआ के उत्पादन के साथ ही मिनी राइस मिल में धान से चावल निकलते हुए और बाड़ी में इलाहाबादी अमरूदों को देखने के साथ आज सुकमा के गौठान समिति के सदस्यों की यात्रा मुकम्मल हुई। यह दल जिले में गौठानों में चल रहे नवाचार देखने आया। उन्होंने गौठानों के साथ ही बाड़ी योजना एवं अन्य नवाचार भी देखे। वे स्थानीय स्व-सहायता समूहों एवं गौठान समिति के सदस्यों से मिले। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के अनुभवों को साझा किये और अपने यहाँ के नवाचारों को बताया। इस दौरान जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री अशोक साहू भी उपस्थित रहे और उन्होंने तथा जिला पंचायत एवं कृषि विभाग के अधिकारियों ने जिले के गौठानों में चल रहे नवाचारों को विस्तृत रूप से साझा किया। दल सबसे पहले सिकोला के गौठान पहुँचा। यहाँ दल ने स्व-सहायता समूहों से वर्मी कंपोस्ट पर बातचीत की। दल ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार सिकोला के गौठान में गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन हो रहा है और किस तरह से वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन में तकनीकी पक्षों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। वे सिकोला के साथ ही बोरेंदा, केसरा की बाड़ियों में पहुँचे। कौही गये और सिकोला में मिनी राइस मिल का निरीक्षण किया।
*वर्मी कंपोस्ट के बारे में बताया-* गोधन न्याय योजना पर विशेष रूप से दल का फोकस रहा। इसमें गोबर खरीदी से लेकर कंपोस्ट बनाये जाने एवं इसके विपणन के पूरे कार्य की जानकारी दी गई। समय-समय पर गौठान समिति ने किस प्रकार गौठान को आगे बढ़ाने के बारे में निर्णय लिये, इसकी भी दिलचस्प जानकारी दी। कुर्मीगुंडरा में दल ने देखा कि किस प्रकार आस्ट्रेलियन प्रजाति के केंचुआ का उत्पादन किया जा रहा है। सिकोला में हो रहे मुर्गीपालन में भी दल ने विशेष दिलचस्पी ली। सुकमा से आये श्री सोयम ने बताया कि वे अपने जिले के सभी गौठानों के लिए इस तरह के नवाचार को अधिकाधिक बढ़ाने की सलाह देंगे क्योंकि बस्तर में मुर्गीपालन और इसके लाभों को लेकर दिलचस्प संभावना है।
*केसरा की बाड़ी में देखा इलाहाबादी अमरूद-* सुकमा के दल ने केसरा की बाड़ी में इलाहाबादी अमरूद देखा। एक साल पहले यह बाड़ी वीरान थी। इसमें 14 एकड़ में सब्जी और फल रोपे गये। शुरूआती दो एकड़ में इलाहाबादी अमरूद रोपे गये हैं। इनमें पहले साल ही फ्रूटिंग आ गई है। पीछे भाजी की सब्जी लहलहा रही थी और इसके पीछे नैपियर घास। खारून नदी के बिल्कुल बगल में ही लगे इस गाँव में दल को वहीं उगाई गई सब्जी से भोजन कराया गया और दल को काफी भाया।
*सिकोला में मिनी राइस मिल-* सिकोला में स्वसहायता समूहों को डीएमएफ के माध्यम से मिनी राइस मिल उपलब्ध कराई गई है। इससे ग्रामीण अपने जरूरत के मुताबिक धान से चावल निकाल लेते हैं। यह नवाचार सुकमा के दल को बहुत अच्छा लगा।
आस्ट्रेलियन प्रजाति के केंचुए को जाना,,, इलाहाबादी अमरूद की फ्रूटिंग देखी और मिनी राइस मिल से चावल निकलता भी,,,सुकमा के गौठान समिति के सदस्यों का दल पहुँचा जिले में नवाचार देखने,,,,एक-दूसरे के अनुभवों को साझा किया, बताया ये बहुत रोचक अध्ययन यात्रा
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