अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, परंतु जब इस मुद्दे पअंतरराष्ट्रीय महिला दिवसर एकांत में विचार किया जाए, तो मन में एक सवाल जन्म लेता है कि आखिर ऐसी क्या दिक्कत थी, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को सम्मान देने के लिए एक दिन की घोषणा करनी पड़ी?? क्या इसका उद्देश्य शुरुआत से ही केवल महिलाओं को सम्मान देना था, या उन्होने अपनी परेशानियों से तंग आकार आक्रोश में इस दिन को मनाना शुरू किया? क्या भारत की ही तरह संपूर्ण विश्व में भी महिलाओं को अपने अधिकार अपने सम्मान को पाने के लिए चुनोतियों का सामना करना पड़ा ?? आज हम अपने इस आर्टिकल से आपके इन सवालों का जवाब देने और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के संबंध में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे है, उम्मीद करते है कि यह आपके लिए उपयोगी होगा।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में न्यूयॉर्क से हुई थी, उस समय वहाँ मौजूद महिलाओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी जॉब में समय को कम करने की मांग को लेकर मार्च निकाला था. इसी के साथ उन महिलाओं ने अपने वेतन बढ़ाने और वोट डालने के अधिकार की भी मांग की थी. इसके एक वर्ष पश्चात अमेरिका में इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया. इसके बाद साल 1910 में क्लारा जेटकिन ने कामकाजी महिलाओं के एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान इस दिन को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सुझाव दिया. इस सम्मेलन में 17 देशों के करीब 100 कामकाजी महिलाएं उपस्थित थी, इन सभी महिलाओं ने क्लेरा जेटकिन के सुझाव का समर्थन किया. इसके बाद साल 1911 में सर्वप्रथम 19 मार्च के दिन कई देशो में यह दिन एक साथ मनाया गया. इस तरह से यह प्रथम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था. परंतु अब तक इसे मनाने के लिए कोई दिन निश्चित नहीं था. इसके बाद 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने तंग आकर खाना और शांति (ब्रेड एंड पीस) के लिए विरोध प्रदर्शन किया. यह विरोध इतना संगठित था कि सम्राट निकोस को अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पढ़ा और इसके बाद यहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी मिला. रूसी महिलाओं ने जिस दिन इस हड़ताल कि शुरुआत की थी, वह दिन 28 फरवरी था और ग्रेगेरियन केलेण्डर में यह दिन 8 मार्च था, तब ही से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा. इस सब के बावजूद इसे आधिकारिक मान्यता कई वर्षों बाद 1975 में मिली, इसी वर्ष से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे एक थीम के साथ मनाने का निर्णय लिया गया था. इसकी सबसे पहली थीम “सेलीब्रेटिंग द पास्ट एंड प्लानिंग फॉर द फ्युचर” थी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य एवं महत्व
समाज को विकास की नई राह दिखाने के लिए किसी भी समाज में महिलाओं और पुरुषों का योगदान समान रूप से महत्वपूर्ण होता है। हालांकि काफी लंबे समय से हमारे समाज में महिलाओं को उतनी मान्यता नहीं दी जाती जितना कि पुरुष वर्ग को दिया जाता है लेकिन आजकल ऐसा कुछ नहीं है। हमारे समाज में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रही हैं और समाज के कल्याण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही हैं। इन्हीं महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु और इन्हें जागृत करने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। शुरू से ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ने महिलाओं को जागरूक करने के लिए और उन्हें सशक्त बनाने के लिए अपना बहुत विशेष योगदान दिया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने के उद्देश्य समय के साथ और महिलाओं की समाज में स्थिति बदलने के साथ परिवर्तित होते आ रहे है. शुरुआत में जब 19 वीं शताब्दी में इसकी शुरुआत की गई थी, तब महिलाओं ने मतदान का अधिकार प्राप्त किया था, परंतु अब समय परिवर्तन के साथ इसके उद्देश्य कुछ इस प्रकार है.
* महिला दिवस मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिला और पुरुषो में समानता बनाए रखना है. आज भी दुनिया में कई हिस्से ऐसे है, जहां महिलाओं को समानता का अधिकार उपलब्ध नहीं है. नौकरी में जहां महिलाओं को पदोन्नति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, वहीं स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाए आज भी पिछड़ी हुई है.
* कई देशों में अब भी महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ी हुई है. इसके अलावा महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी अब भी देखे जा सकते है. महिला दिवस मनाने के एक उद्देश्य लोगों को इस संबंध में जागरूक करना भी है.
* राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अब भी महिलाओं की संख्या पुरुषो से कई पीछे है और महिलाओं का आर्थिक स्तर भी पिछड़ा हुआ है. महिला दिवस मनाने का एक उद्देश्य महिलाओं को इस दिशा में जागरूक कर उन्हे भविष्य में प्रगति के लिए तैयार करना भी है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022
अगर हम 1911 में जब इसे कई देशों में एक साथ मनाया गया था, तब से लेकर इस वर्ष तक गिनती लगाए, तो साल 2022 में यह 111 वां महिला दिवस होगा, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा. यह दिन पूरे विश्व में एक साथ 8 मार्च 2022 को अपने-अपने तरीके से सेलिब्रेट किया जायेगा.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस थीम
साल 1996 से लगातार महिला दिवस किसी निश्चित थीम के साथ ही मनाया जाता आ रहा है, सर्वप्रथम 1996 में इसकी थीम अतीत का जश्न और भविष्य के लिए योजना है. इसके बाद लगातार हर साथ एक नई थीम और नए उद्देश्य के साथ इसे कई देश एक साथ मनाते आ रहें है. पिछले बीते 10 सालों में महिला दिवस की थीम्स इस प्रकार थी –
साल थीम
* 2009 इस वर्ष की महिला दिवस की थीम महिला व लड़कियों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों के विरूध्द महिला व पुरुष एक साथ मिलकर प्रयत्न करें, इस मुद्दे पर विचार किया गया था.
* 2010 इस वर्ष महिलाओं को पुरुषो के समान अधिकार और समान अवसर प्रदान कर उनकी तरक्की की और ध्यान केन्द्रित किया गया था.
* 2011 इस वर्ष शिक्षा, प्रशिक्षण एवं विज्ञान और प्रोद्योगिकी आदि क्षेत्रों में महिलाओं को समान अधिकार देकर इन क्षेत्रों में इनकी तरक्की का मार्ग खोला गया था.
* 2012 इस वर्ष गाँव की महिलाओं को समान अवसर देकर उन्हे सशक्त बनाने का प्रयास किया गया था, साथ ही गरीबी और भुखमरी जैसी समस्या पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया था.
* 2013 इस वर्ष महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कार्यवाही के समय को निश्चित करने की मांग की गई थी.
* 2014 इस वर्ष नारी के लिए समानता और उनकी तरक्की ही इस दिन का विषय था.
* 2015 इस वर्ष महिलाओं की तरक्की से समस्त मानव जाती की तरक्की को जोड़ा गया था.
* 2016 इस वर्ष आने वाले आगामी 12 सालों में महिला व पुरुष का अनुपात बराबर करने का निर्णय लिया गया था.
* 2017 इस वर्ष बदलती दुनिया में महिलाओं की स्थिति के साथ आगामी सालों में लिंग अनुपात को बराबर करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया था.
* 2018 इस वर्ष की थीम का उद्देश्य महिलाओं को उनके विकास के लिए प्रोत्साहित करना था.
* 2019 थिंक इक्वल, बिल्ड स्मार्ट, इनोवेट फॉर चेंज.
* 2020 ईच फॉर इक्वल (Each For Equal).
* 2021 महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना.
* 2022 इस वर्ष वुमेन की थीम gender equality today for a sustainable tomorrow रखी गई जोकि एक निश्चित और स्थिर कल के मध्यनजर आज लैंगिक समानता पर जोर देना है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैसे मनाया जाता है
अफगानिस्तान, चीन, कंबोडिया, नेपाल और जार्जिया जैसे कई देशों में इस दिन अवकाश घोषित किया गया है, कुछ देशों में पूरे दिन का अवकाश ना देकर हाफ डे दिया जाता है. वहीं कुछ देशों में इस दिन बच्चे अपनी माँ को गिफ्ट देते है और यह दिन माँ को समर्पित होता है, तो कई देशों में इस दिन पुरुष अपनी पत्नी, फ़्रेंड्स, माँ बहनों आदि को उपहार स्वरूप फूल प्रदान करते है. भारत में इस दिन कई संस्थानों द्वारा नारी को सम्मान देकर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम किए जाते है. भले ही हर देश में इस दिन को मनाने का तरीका अलग हो सकता है परंतु सब जगह इसका उद्देश्य एक ही है, हर जगह हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए समानता.
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस अनमोल वचन
* अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता हैं तब एक आदमी ही शिक्षित होता हैं लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता हैं तब एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं. – ब्रिघैम यंग
* औरत ही समाज की वास्तविक शिल्पकार हैं- चेर
* नारि प्रेम करने के लिए हैं समझने की वस्तु नहीं. – आस्कर वाइल्ड
* जब एक आदमी औरत से प्यार करता हैं उसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा देता हैं लेकिन एक औरत जब प्यार करती हैं तब अपना सब कुछ दे देती हैं – आस्कर वाइल्ड
* किसी भी सभ्यता का आंकलन औरतो के व्यवहार से किया जा सकता हैं. – राल्फ वाल्डो एमर्सन
* आदमी अपनी नियति को सम्भाल नहीं सकते हैं उनके लिए यह कार्य उनके जीवन से जुड़ी औरत करती हैं. – ग्रुशो मार्क्स
* किसी भी समाज की उन्नति उस समाज की औरतों की उन्नति से मापी जा सकती हैं. – बी. आर. अम्बेडकर
यह अनमोल वचन महिलाओं के लिए कई महानतम लोगो ने कहे हैं .दुनियाँ के महान लोग भी नारि शक्ति को मानते आये हैं उनका सम्मान करते आये. इतिहास गवाह जो भी देशभक्त हुए हैं वे सभी नारी का सम्मान करते आये हैं तब ही उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ हैं और जिन्होंने नारियों पर कुदृष्टि रखी हैं उन्होंने कितना भी अच्छा काम क्यूँ ना किया हो उन्हें वो सम्मान नहीं मिला जो मिलना था. इस नारी शक्ति को वही नहीं समझ सकते, जो खुद मानसिक रोग से पीढित हैं.
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस स्लोगन नारे
* नारियाँ नहीं कभी बैचारी
नारियों में निहित हैं शक्ति सारी
* जहाँ होता स्त्रियों का अपमान
हैं वो जगह नरक समान
* देवियों का स्थान प्राप्त हैं नारियों को, क्या ये समाज दे सकेगा यह मान उसको ?
* जिस औरत को नहीं देता समाज स्थान, वही औरत हैं इस समाज का आधार
* नारी सम्मान हैं, स्वर्ग का द्वार
उसका अपमान हैं, नरक समान
आने वाले साल में भी इस दिन को हर देश मनाएगा, परंतु इसका उद्देश्य तब ही पूरा होगा, जब महिलाओं के खिलाफ होने वाले शोषण कम होंगे, जब महिलाओं के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामले शून्य होंगे, जब महिला पुरुष को समान दर्जा मिलेगा. काश हम वो दिन जल्द ही देख पाएंगे जब महिलाओं की लैंगिक समानता के साथ उसे हर क्षेत्र में समान दर्जा उपलब्ध होगा।