अगर आप अपने दिलो-दिमाग की पहले जैसी चुस्ती-फुर्ती और ताक़त को वापस पाने की जद्दोजेहद में हैं, या इसे हमेशा वैसा ही चाक-चौबंद बनाए रखना चाहते हैं, जैसा कि यह है, तो अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना न केवल आसान है, बल्कि अब यह बढ़ती उम्र को ज़्यादा सम्माननीय और कम भुलक्कड़ बनाने के तरीकों का अंग माना जाने लगा है। तो आइये, अपने जेहन में अलसाए बैठे ग्रे-मैटर को ज़रा झटके दीजिये और शुरू हो जाइए!
हमारा ब्रेन हर समय एक्टिव रहता है और इसकी फंक्शनिंग को बेहतर रखने के लिए हमें अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने की जरूरत होगी. ब्रेन से ही यह तय होता है कि हम कैसा महसूस करते हैं. हमारा मिजाज, फोकस और बैलेंस सब तंत्रिका तंत्र से कंट्रोल होता है. एक स्ट्रॉन्ग ब्रेन और मेमोरी के लिए हमें अपनी मानसिक स्थिति का ख्याल रखना जरूरी है. अपनी लाइफस्टाइ में कुछ आदतों को शामिल करके अपनी ब्रेन फंक्शनिंग को बढ़ावा दिया जा सकता है. कई ऐसे आसान तरीके हैं जिनकी मदद से ब्रेन फंक्शनिंग को बूस्ट किया जा सकता है. एक स्ट्रॉन्ग ब्रेन के लिए हमें मानसिक स्थिति का ख्याल रखना जरूरी है। ब्रेन से ही यह तय होता है कि हम कैसा महसूस करते हैं। एक स्ट्रॉन्ग ब्रेन के लिए हमें अपनी मानसिक स्थिति का ख्याल रखना भी जरूरी है। यहां हम आपको ब्रेन बूस्टिंग एक्टिविटीज के बारे में जानकारी दे रहे है जो मेमोरी बढ़ाने में भी मदद करती हैं और पूरी कॉग्नेटिव हेल्थ का ख्याल रखती हैं।
कैसे ब्रेन एक्सरसाइज़ करें
सोच और शब्द-ज्ञान बढ़ाने में जुटे रहिये
जितना ज़्यादा हो सके पढ़ें : पढ़ना बेहद बुनियादी क़िस्म की एक शानदार मानसिक एक्सरसाइज़ है। आप अखबार, मैगज़ीन या किताबें पढ़ सकते हैं, लेकिन याद रखें, पाठ जितना कठिन और चुनौतीपूर्ण होगा, आपके दिमाग की कसरत उतनी ही तगड़ी होगी। किसी भी एक्सरसाइज़ की तरह, कम मात्रा से शुरुआत करें और धीरे-धीरे ज़्यादा से ज़्यादा के लिए संघर्ष करें।
शब्द-ज्ञान बढ़ाइए : हर दिन नया शब्द याद दिलाने वाले किसी कैलेंडर या डिक्शनरी से शब्द सीखें। यह आपके मस्तिष्क में भाषा वाले क्षेत्र की मशक्कत कराते हुए उसे ऊर्जावान बनाए रखता है।
रोज़ कुछ लिखें : लेखन काफ़ी सोच-विचार की माँग करता है! आप कहानियाँ गढ़ सकते हैं, अपने साथ गुजरी हुई घटनाओं को लिख सकते हैं, या जिन चीजों को आप जानते और पसंद करते हैं, उनके बारे में लिख सकते हैं।
नई भाषा सीखें : कोई नई भाषा सीखना मस्तिष्क के लिए तमाम नए रास्तों को खोलते हुए घुड़सवारी करने जैसा है। मस्तिष्क के जिस हिस्से में भाषा संबंधी जानकारियाँ एकत्र होती हैं, यह उस क्षेत्र की पूरी एक्सरसाइज़ करा देता है, और आपको अपनी मातृभाषा को बोलने में भी बेहतर बना देता है।
समस्याओं पर पुनर्विचार : रोज़मर्रा के वाकयों में कोई घटना दूसरे किन-किन रूपों में हो सकती थी, उन संभावनाओं को ढूँढ़िए और उनके नतीज़ों का पता लगाइए। यह आपकी सृजनशीलता को बढ़ाएगा और समस्याओं को हल करने में और भी दक्ष बना देगा।
टेलीविजन बंद कर दीजिये : टेलीविजन आपको बताता है कि क्या सोचना है और कैसे सोचना है। मतलब यह कि जिन्दगी की रेस में ड्राइवर की सीट पर बैठे आपके दिलो-दिमाग को यह वहाँ से हटा देता है। इसीलिए तो यह इतना आरामदेह लगता है! अगर अपने दिमाग को ठहर कर जड़ हो जाने से रोकना चाहते हैं, तो जो पहला काम करना होगा, वह है, टीवी को बंद कर देना। फिर भी अगर इसे देखना ही चाहते हैं, तो देखते वक्त सोच-विचार करते रहने की कोशिश कीजिये। शैक्षिक कार्यक्रमों को देखिये या पॉपुलर प्रोग्राम अगर देखना ही है, तो जटिल प्लॉट और चरित्रों की खूब जद्दोजेहद वाले प्रोग्राम चुनिए। इन्हें देखते वक्त इनके बारे में सोचें, विश्लेषण करें, और आगे क्या होने वाला है उसे भांपने की कोशिश कीजिये।
बेहतर दिमाग पाने के लिए गेम खेलना
वर्ग पहेली और पज़ल्स रोज़ सुलझाएँ : क्रॉसवर्ड्स जैसी सरल पहेलियाँ दिमाग से कुछ बुनियादी किस्म का काम कराने में मदद कर सकती हैं। भाग-दौड़ भरी दिनचर्या में इन्हें आसानी से फिट किया जा सकता है। इनमें से कुछ तो आप मुफ्त ऑनलाइन भी पा सकते हैं।
ज़्यादा सिरखपाऊ पज़ल्स की ओर बढ़ें : लम्बे और जटिल पज़ल्स मस्तिष्क की तगड़ी मशक्कत कराते हैं। कभी-कभी तो ये कई दिन या हफ़्ते भी ले सकते हैं, लेकिन ये वाकई आज़माने लायक हैं। यहाँ तात्पर्य सिर्फ पारंपरिक अर्थों में कही जाने वाली पहेलियों से नहीं है। अगर आप महज़ टाइम-पास कर रहे हैं, तो दिमाग में गहराई तक खलबली मचा देने के लिए ज़रा जापानी पॉकेट पज़ल्स को हाथ लगाकर देखिये।
शतरंज खेलने की सोचिये : शतरंज अविश्वसनीय रूप से जहाँ स्ट्रेटेजिक गेम है, वहीं कौशल का भी खेल है। आपके दिमाग की कड़ी मशक्कत कराने में इसके कुछ पज़ल्स तो शतरंज से पार चली जाती हैं। सीखने और खेलने में शतरंज बेहद आसान है।
वीडियो गेम खेलिए : क्या आप जानते हैं, वीडियो गेम हकीक़त में आपको स्मार्ट बनाता है? मारियो, ज़ेलड, स्क्रीब्लेनौट्स, और मिस्ट जैसे गेम दिमाग के लिए अच्छे कार्डियो वर्कआउट की तरह हैं, जो आपको एक बेहतर समस्यायें हल करने वाला, अधिक रचनात्मक और तेज़ थिंकर हो पाने में मदद करते हैं।
खुद को चैलेन्ज करना
अपने सबसे सक्रिय हाथ की अदला-बदली कीजिये : मस्तिष्क का वह भाग जो मांसपेशियों को नियंत्रित करता है, उसे उत्तेजित करने के लिए हाथों को अदल-बदल कर इस्तेमाल कीजिये। अगर दायें हाथ का उपयोग करते है, तो बाएं हाथ का प्रयोग करें, और फिर इसके उलट करें।
एक संगीत वाद्य बजाएं या रूबिक्स क्यूब खेलें : आदिम युग में औजार बनाने और इसका उपयोग करने के एक लाख वर्षों के संघर्ष में इंसानी मस्तिष्क ने अपने भीतर तालमेल विकसित किया था। औजारों के उपयोग से मेल खाने वाले कामों को करते हुए आप सूक्ष्म तालमेल और संतुलन बनाने में अपने दिमाग की मदद कर सकते हैं। मिसाल के लिए, वायलिन बजाने या फिर रुबिक क्यूब खेलने और औजार बनाने और उनका इस्तेमाल करने में कुछ समानता है। ये सभी सामान्य मोटर स्किल, सूक्ष्म मोटर स्किल, वस्तुओं को पहचानने और उनके संचालन के क्रमिक तालमेल के इस्तेमाल की माँग करते हैं। इसलिए रोज़ाना या दिन में दो बार ऐसी गतिविधियाँ करना दिमाग को बिल्कुल सही आकार में रखेगा।
ज़्यादा सामाजिक बनिए
लोगों से बातचीत कीजिये : लोगों से उन चीज़ों के बारे में बात कीजिये जिन्हें आप या वे जानते हैं। राजनीति, मज़हब, और दूसरे चुनौती भरे मुद्दों पर बातचीत (सचमुच की चर्चा-बहस, सिर्फ तर्क-कुतर्क नहीं) बुनियादी किस्म की शानदार दिमागी कसरत हो सकती है।
अपनी दिलचस्पी के किसी ग्रुप से जुड़ जाइए : अपनी ही तरह की दिलचस्पी वाले लोगों के एक ग्रुप या क्लब को ज्वाइन कीजिये। यह कोई शौकिया क्लब, राजनीति ग्रुप, धर्म-ग्रन्थ चर्चा की मंडली या इसी तरह का कुछ भी हो सकता है। अपनी ही दिलचस्पी वाले दूसरे लोगों से बातचीत आपसे अपने दिमाग और कौशल का इस्तेमाल कराएगी।
जीवन पर्यंत ज्ञानार्जन
स्कूल की ओर लौट जाइए : स्कूल जाना दिमाग को दोबारा काम में लगाने का एक शानदार तरीका भी है, और ज़्यादा शिक्षा के फ़ायदे तो सरेआम ही हैं। बकायदा एक पूरी डिग्री लेने की जरूरत नहीं है। हो सकता है, आपका एम्प्लायर उन कक्षाओं का खर्च उठाना चाहता हो जो आपकी पेशेवर दक्षता को बढ़ाती हैं, वरना अपनी दिलचस्पी के किसी सब्जेक्ट में केवल एक क्लास भी ले सकते हैं।
मुफ़्त क्लास कीजिये : अगर आपके पास पैसा या वक्त नहीं है, यो ऑनलाइन फ्री क्लास भी मौजूद हैं। कई तो हार्वर्ड जैसी टॉप युनिवर्सिटियों से भी हैं। बिना कोई पैसा खर्च किये यूनिवर्सिटी के तज़ुर्बे के लिए कोर्सेरा, खान एकेडमी, या टेड टॉक्स को ज्वाइन कर लीजिये।
सीखे हुए कौशल को बार-बार इस्तेमाल करें : मांसपेशियों की तरह ही दिमाग के लिए भी “इस्तेमाल करो वरना खो दो” वाली कहावत लागू होती है। अपनी जानकारियों और कौशल का जितने ज़्यादा दिन उपयोग नहीं करेंगे, उतनी ही उनमें मोटी जंग लगेगी। अपने स्किल को तरोताज़ा और उपयोग के लिए तैयारशुदा रखने के लिए गणित हल करने जैसे बुनियादी कौशल अक्सर दोहराते रहिये।
एक नया शौक चुन लें : एक नया कौशल सीखना दिमागी कसरत का शानदार तरीका है। म्यूजिक, डांस, विजुअल आर्ट जैसे रचनात्मक कौशल दिमाग के अलग-अलग भागों की एक्सरसाइज़ करायेंगे और आपको अविश्वसनीय रूप से फायदा पहुँचायेंगे।
चीज़ें बनाएँ : चाहे एक रोबोट बनाएं या एक नयी बेंच, कोई चीज कैसे बनायी जाए (ख़ास करके बिना औजारों के शून्य सी दशा में) अपने दिमाग से इसका रास्ता निकालना एक ज़बरदस्त व्यायाम भी है। कुछ शुरुआती निर्माण कौशल जान लीजिये और फिर जेहन को व्यावहारिक रचनात्मक काम में झोंक दीजिये।
भरपूर खाएं और तगड़ी एक्सरसाइज करें : खान-पान और एक्सरसाइज वास्तव में मस्तिष्क के स्वास्थ्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं। अपने मस्तिष्क को इसकी सर्वोच्च क्षमता में बनाए रखना चाहते हैं, तो इसे पूरा आहार देने के लिए प्रोटीन और ओमेगा थ्री वाले फैटी एसिड से भरपूर स्वस्थ खाना खाएं। स्ट्रोक की संभावना घटाकर और ऑक्सीजन के सैचुरेशन स्तर को बढ़ाकर शारीरिक एक्सरसाइज़ आपके शरीर को स्वस्थ रख सकता है।
खेल-कूद करें : हाथ-आँख और देह के सामंजस्य को कैसे बढ़ाया जाए इसकी एक्सरसाइज या नये गेम खेलना सीखें। ताई-साईं और पिनबॉल दोनों ही इसके उदाहरण हैं।
अच्छी नींद लीजिये : वात्सव में वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं कि दिमाग को स्वस्थ रखने में नींद बेहद अहम रोल अदा करती है। जब आप सोते हैं, तो आपका शरीर दिमाग से टोक्सिन की सफाई कर देता है (मरम्मत के साथ-साथ)। अगर अपने मस्तिष्क की हिफाज़त करना चाहते हैं, तो यह फ़ौरन निश्चित कीजिये कि जहां तक मुमकिन हो सके, आपको पूरी रात की नींद मिले।
रूटीन बदल डालिए : एक ही तरह की दिनचर्या में मस्तिष्क को अत्यधिक उपेक्षित महसूस करने से रोकने के लिए विविधता भरी रूटीन को आजमायें। काम के बीच एक्सरसाइज बॉल या दूसरे तरह के उपायों से अपने काम करने के तरीके में भी बदलाव ला सकते हैं।
सलाह
* व्यायाम करते वक्त, मस्तिष्क के गोलार्धों को उत्तेजित करने के लिए पीछे चलने की कोशिश कीजिये (सामान्य रूप से चलने की उल्टी दिशा में)।
* अपनी देह को मेहनत करवाना याद रखें – एक स्वस्थ दिमाग स्वस्थ शरीर का परिणाम होता है। पर्याप्त मात्रा में शारीरिक व्यायाम करें।
* कुछ चीज़ें नियमित रूप से करने की कोशिश कीजिये, जैसे हर दिन कुछ याद करना, हर रोज 15 मिनट रुबिक क्यूब का इस्तेमाल करना।
* ढेर सारे प्रोग्राम हैं, जो याददाश्त बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे। “ब्रेन एज” या “बिग ब्रेन एकेडेमी” की सिफ़ारिश की जाती है। ये गेम ख़ास तौर से याददाश्त बढ़ाने के लिए बनाए गए हैं।
* शरीर के हर अंग की तरह, दिमाग को भी आराम की जरूरत होती है। हकीकत में तो यह कभी बंद नहीं होता, लेकिन एक बिंदु पर फोकस करना, एकाग्रचित होना या मेडिटेशन करना आपके जेहन को सचमुच आराम दे सकता है, इससे दिमाग कुछ धीमा हो जाता है जो बाद में इसे और बेहतर ढंग से कार्य करने में मदद कर सकता है। हर दिन 10-15 मिनट ऑंखें बंद करके कोमल इंस्ट्रुमेंटल म्युज़िक सुनना बहुत राहत देता है।
* हम जो बोलते हैं वह हमारी दिमागी विशेषताओं की झलक देता है, इसलिए बोलने से पहले सोचिये कि क्या बोलना चाहिए। यह बोलने में संतुलन रखने में मस्तिष्क की सहयता करेगा।
* पर्याप्त मात्रा में पानी पियें।
* कुछ भी करने में, बने-बनाए नियमों को न अपनाकर पहले इन्हें खुद हल करने की कोशिश कीजये, अपने नये खुद के नियम गढ़ने की कोशिश कीजिये।