भिलाई। 25 अप्रैल 2022 (सीजी संदेश) : दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव व छ.ग.राज्य प्रभारी बी.एच. गायकवाड़ गुरूजी मुंबई के मुख्य आतिथ्य एवं केन्द्रीय शिक्षक अशोक केदारे मुंबई के प्रमुख आतिथ्य तथा छ.ग.राज्य शाखा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल मेश्राम भिलाई की अध्यक्षता तथा प्रदेश महासचिव विनोद बंसोड चरोदा, भारती खांडेकर प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ भिलाई, मुन्ना लाल नंदेश्वर अध्यक्ष नागसेन बुद्ध विहार डोंगरगढ़, विनोद खांडेकर पूर्व विधायक व अध्यक्ष प्रज्ञा गिरि ट्रस्ट समिति डोंगरगढ़, भीमराव वाहने प्रदेश उपाध्यक्ष भिलाई, एसजी मेश्राम प्रदेश सचिव डोंगरगढ़, मोहन रामटेके जिला अध्यक्ष दुर्ग, प्रीति वासनिक अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ दुर्ग शहर के विशेष आतिथ्य मे एक दिवसीय अंध श्रृद्धा निर्मूलन शिविर नागसेन बुद्ध विहार डोंगरगढ़ मे संपन्न हुआ। मानसिक शुद्धीकरण, सामाजिक चेतना व वैज्ञानिक वैचारिक जागरूकता हेतु आयोजित इस कार्यक्रम की उपस्थित सभी उपासक उपासिकाओ द्वारा ह्रदय से प्रशंसा व सराहना की गई।
शिविर के शुभारंभ मे भंते आनंद बोधि द्वारा उपस्थित सभी बौद्ध उपासक उपासिकाओ को त्रिशरण पंचशील ग्रहण कराई गई, अतिथियो द्वारा तथागत गौतम बुद्ध और डा.बाबासाहेब आम्बेडकर की प्रतिमाओ पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किये गये। अंध श्रृद्धा निर्मूलन विषय पर जागरूक प्रबोधन करते हुए गायकवाड़ गुरूजी ने कहा कि जादू टोना, चमत्कार और ज्योतिष जैसी कोई चीज है ही नही, सिर्फ मनुष्य के मन के डर का फायदा ढोंगी तांत्रिक और तथाकथित बाबा लोग उठाते है, यदि नीबू मिर्च और सिंदूर से तथा तंत्र मंत्र से समस्याओ का निराकरण होता हो तो देश की सरकार को पाकिस्तान सहित अन्य देशो की सरहदो से मिलिट्री फोर्स, सेना और आर्मी को हटाकर इन तांत्रिको को सीमा पर तैनात कर देना चाहिए ताकि देश की रक्षा हो सके। हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख इसाई, जैन, फारसी या बौद्ध कोई भी हो सब पर प्रकृति और विज्ञान का यह नैसर्गिक सिद्धांत लागू होता है कि कर्म के बिना कोई फल नही मिल सकता इसलिए हमे चमत्कार और आडम्बर का त्याग कर वैज्ञानिक सत्य पर आधारित तथ्य कथ्य का पालन करना चाहिए। उन्होंने मानसिक शुद्धीकरण हेतु ढोंगी बाबाओ द्वारा किये जाने वाले अनेक कारनामो को प्रत्यक्ष दर्शाते हुए उसका वैज्ञानिक आधार भी बताया तो लोगो ने दातो तले ऊंगलिया दबा ली। अशोक केदारे ने कहा कि अंध श्रृद्धा देश मे एक सामाजिक समस्या के तौर पर विद्यमान है, रूढ़िवादी दकियानूसी मानसिकता का त्याग जरूरी है तभी भारत का समुचित विकास हो पायेगा, उन्होंने बताया कि 18 वी सदी मे सती प्रथा चलन मे थी जिसमे पति के मरने पर युवा पत्नि को भी पति की चिता मे परंपरा के नाम पर जिंदा जला दिया जाता था, राजा राम मोहन राय ने 1829 मे सती प्रथा के विरूद्ध आवाज उठाई और डा.बाबासाहेब आम्बेडकर ने 1950 मे संविधान का निर्माण कर नारी वर्ग को शोषण से मुक्त कराकर उन्हे अनेक संवैधानिक अधिकार दिलाये जिसके कारण घूंघट के पीछे रहने वाली भारत की नारी आज विश्व पटल पर विकास की गाथाऐ लिख रही है। शिक्षा ही हमारे विकास की सीढ़ी है इसलिए हर परिवार अपने बच्चो को शिक्षित कर स्वयं के और देश के विकास मे भागीदारी निभाये। शिविर मे सिद्धार्थ नागदेवे, अनिल सहारे, शैलेन्द्र डोंगरे, धीरज मेश्राम, योगेश बोरकर, शीला डोंगरे, डा.संगीता रंगारी, नलिनी मेश्राम, सीमा सहारे, वर्षा मेश्राम, गौतम रामटेके, प्रभुलाल बोदलकर, राजकुमार नंदेश्वर, ममता सहारे, किरण, पदमा मेश्राम, संजना गजभिऐ, मनोरमा बंसोड, मैना बोरकर, संगीता शेंडे, उर्मिला हुमने, लता शेंडे, छाया लांजेवार, माया भास्कर, मुन्नी लाऊतरे, सारिका बडोले, अनिता डोंगरे, आशा रामटेके, दीक्षा ऊके, रेखा राऊत, माया सोमकुवर, अस्मिता, सुलोचना सहारे, भाविका कठाने, पल्लवी मेश्राम, संतोष सहारे, मनीष बडगे, मुकेश काण्डे, शैलेन्द्र मेश्राम, योगेश सहारे सहित अनेक लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी योगेश बोरकर ने तथा आभार प्रदर्शन सिद्धार्थ नागदेवे ट्रस्टी नागसेन बुद्ध विहार डोंगरगढ़ ने किया।