भिलाई। ऑल इंडिया सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स ऐक्टू की भिलाई कमेटी की बैठक हुई। बैठक में ऐक्टू के केन्द्रीय कार्यकारिणी के सर्कुलर का पाठ कर चर्चा किया गया। बैठक में मोदी सरकार द्वारा मजदूर वर्ग पर किए जा रहे हमलों को चुनौती देने के लिए मजदूरों के आंदोलन को और अधिक मजबूती से खड़ा करने की ज़रूरत को रेखांकित किया गया। बैठक में कहा गया कि किसान आंदोलन ने निजीकरण के मुद्दे को सामने लाने और मोदी सरकार के कारपोरेट-परस्त चरित्र और इसके द्वारा देश में कंपनी राज-स्थापित करने के षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करने में अहम भूमिका अदा की है। देश का मजदूर वर्ग आजादी के बाद अब तक का सबसे निर्मम हमला झेल रहा है।44 श्रमकानूनों को खत्म कर 4 लेबर कोड लाना और बर्बर निजीकरण दो सबसे बड़े हमले हैं जो ट्रेड यूनियन आंदोलन की रूपरेखा को बदलेंगे और साथ ही पहले से ही डूब रही अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डालेंगे।12 घंटे के कार्य दिवस को कानूनी जामा पहनाना, “हायर एंड फायर” को संस्थाबध्द करना, मनमर्जी से छंटनी करना, नौकरी से निकालना और फैक्ट्री बंद करना, भारी संख्या में बेरोजगारी, सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी को मजदूरों के कंधों पर डालना, संगठित होने और हड़ताल के अधिकार को सीमित करना, देश की संपदा को भाजपा के मित्र कारपोरेट घरानों को सौंप देना जैसे घटनाक्रम बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और एक विकराल आयाम लेते जा रहे हैं। बैठक में 23 मार्च को शहीदे आज़म भगत सिंह के शहादत दिवस के मौके पर संयुक्त ट्रेड यूनियन द्वारा सेल कर्मियों के लिए सम्मानजनक वेतन समझौता के मुद्दे पर बोरिया गेट में आयोजित प्रदर्शन को सफल बनाने का फैसला लिया गया है। प्रबंधन व केन्द्र सरकार के मजदूर विरोधी रवैये पर तीव्र आक्रोश जाहिर किया गया। मोदी सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी व देश व जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ 24–25 मार्च को धरना और 26 मार्च को भारत बंद को सफल बनाने की अपील की गई। बैठक में बृजेन्द्र तिवारी, ए. शेखर राव, आर. पी.गजन्द, देवानन्द चौहान, दीनानाथ प्रसाद, रूपेश कोसरे, श्याम लाल साहू, आदि लोग शामिल थे।
सेल कर्मियों के वेतन समझौता के लिए 23 मार्च को धरना प्रदर्शन,,,, देश का मजदूर वर्ग आजादी के बाद से अब तक का सबसे निर्मम हमला झेल रहा है : एकटु
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