
मुंबई. पूर्व क्रिकेटर माधव आप्टे का सोमवार को मुंबई में 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने भारत के लिए सिर्फ 7 टेस्ट मैच खेले थे। हालांकि, उनके द्वारा किया एक काम भारतीय क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया। कहा जाता है कि माधव आप्टे के प्रयास से सचिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट में बेहद कम उम्र में एंट्री पा सके। इसके लिए उन्होंने क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के नियमों में बदलाव किया।
ऐसे देश के सबसे बड़े क्लब में करवाई सचिन की एंट्री
1989 में आप्टे देश के सबसे पुराने क्रिकेट क्लब, क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया (सीसीआई) के अध्यक्ष थे। इस क्लब में 19 साल से ज्यादा उम्र के क्रिकेटरों की एंट्री हो सकती थी। लेकिन उन्होंने सचिन तेंदुलकर के खेल को देखा और इसके बाद क्लब में एंट्री के नियमों में बदलाव किया। उनके इस प्रयास से 14 साल की उम्र में सचिन इस क्लब का हिस्सा बन सके थे।
सचिन ने दी श्रद्धांजलि
सचिन तेंदुलकर ने माधव आप्टे को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा है,”जब मैं 14 साल का था तब मुझे शिवाजी पार्क में उनके खिलाफ खेलने का मौका मिला। उन्होंने और डूंगरपुर सर ने मुझे सिर्फ 15 साल की उम्र में सीसीआई के लिए खेलने दिया। उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया और एक अच्छे शुभचिंतक थे।”
50 के औसत से रन बनाए, फिर भी नहीं हुआ था चयन
डीबी देवधर, विजय मर्चेंट, वीनू मांकड और पाली उमरीगर जैसे जिग्गजों के साथ खेलने वाले माधव आप्टे के टीम से बाहर होने की कहानी खासी रहस्यमयी है। वेस्ट इंडीज दौरे पर गए माधव आप्टे खुद अपने जीवन के इस रहस्य को कभी नहीं सुलझा पाए। वह वेस्ट इंडीज दौरे पर टीम के सदस्य थे। वहां उन्होंने करीब 50 की औसत से रन बनाए।
लेकिन इस दौरे के बाद उन्हें कभी टीम में शामिल नहीं किया गया। क्यों? इस सवाल का जवाब नहीं मिला। एक इंटरव्यू में आप्टे ने कहा था, ‘भारतीय क्रिकेट का अनसुलझा रहस्य है मेरा टीम में न चुना जाना। उस दौर के क्रिकेटर भी नहीं जान पाए कि मुझे टीम में क्यों नहीं चुना गया।’
गेंदबाज के तौर पर शुरू किया था करियर
केवल 7 टेस्ट मैच खेलने वाले माधव आप्टे ने 49.27 की औसत से 542 रन बनाए। इनमें तीन अर्धशतक और एक शतक शामिल है। माधव आप्टे ने लेग स्पिन गुगली गेंदबाज के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। जाइल्स एंड शील्ड टूर्नामेंट के एक मैच में उन्होंने 10 रन देकर 10 विकेट लिए थे।
डेब्यू मैच में शतक
1951 के रणजी सीजन में मुंबई के ओपनर विजय मर्चेंट सौराष्ट्र के खिलाफ पहले मैच से पूर्व ही चोटिल हो गए थे। माधव आप्टे को उनकी जगह ओपनर के रूप में खिलाया गया। आप्टे ने पहले ही मैच में शतक जमाया।
सचिन के खिलाफ भी खेले
माधव आप्टे अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्हें डीबी देवधर और सचिन तेंदुलकर दोनों के साथ खेलने का मौका मिला। 1987-88 के घरेलू सीजन में 55 साल के आप्टे शिवाजी पार्क जिमखाना क्लब में सीसीआई की तरफ से खेल रहे थे। उनके साथ 14 साल के सचिन तेंदुलकर भी थे।
लाला अमरनाथ और विवाद
वेस्टइंडीज दौरे में 460 रन बनाने के बाद भी जब माधव आप्टे का टीम में चयन नहीं हुआ तो उस समय लाला अमरनाथ मुख्य चयनकर्ता थे। बहुत साल बाद आप्टे ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि वेस्टइंडीज दौरे के बाद लाला अमरनाथ उनके घर आए थे। वे हमारे पारिवारिक बिजनेस कोहिनूर मिल्स की दिल्ली में फ्रेंचाइजी चाहते थे। लेकिन मेरे पिता बाउसाबेह आप्टे ने इसके लिए मना कर दिया। इसके बाद माधव आप्टे का चयन कभी भारतीय टीम में नहीं हुआ।