
बिलासपुर। शासकीय और निजी संस्थानों में यौन उत्पीड़न रोकने के लिए बनी विशाखा कमेटी की सिफारिशें अब कानून बन चुकी हैं। इसे अब महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (प्रतिशेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम-2013 के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही अब सभी ऐसे संस्थानों में आंतरिक शिकायत जांच समिति का बनाया जाना अनिवार्य होगा।
शासकीय और निजी संस्थाओं के अलावा बैंकों तथा दूसरी वित्तीय संस्थानों में बढ़ती यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर कार्यवाही के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सन 1997 में विशाखा कमेटी का गठन करने के आदेश केंद्र को दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि जिस तरह की यौन उत्पीड़न की घटनाएं विभिन्न रूप में सामने आ रही हैं इस पर रोक के लिए ऐसे सुझाव या व्यवस्था बनाएं जिससे इस तरह की प्रवृत्ति पर रोकथाम के लिए ठोस उपाय सुनिश्चित हों। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विशाखा कमेटी का गठन किया गया था। जिसने ऐसी घटनाओं की प्रकृति की पहचान की थी जिससे कार्यस्थल पर महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थी।
1997 में विशाखा कमेटी की 15 सिफारिशों को महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न(प्रतिशेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम-2013 के नाम से जाना जाएगा याने सिफारिश अब कानून का रूप ले चुकी है। इसलिए 15 सिफारिशें अब कानून के रूप में जानी जाएगी और कानून के रूप में लागू भी किया जाएगा।
शासकीय और निजी संस्थानों में अनिवार्य
महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (प्रतिशेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम-2013 के अनुसार यह राज्य के हर ऐसे शासकीय और निजी संस्थानों में समान रूप से प्रभावी होगा जहां नियमित रूप से कम से कम 10 महिलाओं की उपस्थिति या आवाजाही नियमित होती है।
एक्ट में यह अनिवार्य
महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (प्रतिशेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम-2013 के अनुसार ऐसी सभी संस्थानों और शासकीय कार्यालयों में आंतरिक शिकायत जांच समिति का गठन अनिवार्य रूप से करना होगा। इस कमेटी में सभी पदाधिकारी महिलाएं ही होंगी। शिकायत और जांच के बाद यह समिति अपनी रिपोर्ट संबंधित विभाग के अधिकारी को सौंपेगी और शिकायतों की प्रकृति के अनुसार सजा की अनुशंसा करेगी।