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ऐसा ही एक प्रकरण धरसींवा ब्लॉक के ग्राम डोमा में सामने आया है। पंचायत सचिव बीपीएल कार्डधारियों से जबरिया संपत्ति कर शुक्रवार को वसूल रहे थे। लेकिन ये अभी विभाग भी नहीं बता पाया कि 100 रुपये किस मद में लिये जा रहे हैं। जो रकम को नहीं दे रहा था, उन ग्रामीणों को बिना राशन कार्ड दिए उल्टे पांव लौटा दिया जा रहा था।

इस दौरान कुछ महिलाओं ने हंगामा भी मचाया। इस घटना को ग्राम के एक युवक ने अपने कैमरे में रिकार्ड कर लिया और मीडिया में वायरल कर दिया। पड़ताल करने पर पता चला कि यहां फार्म बांटने के नाम पर भी 20-20 रुपये की वसूली की गई। ये आरोप गांव के बीपीएल कार्डधारी महेंद्र बंजारे से लगाया।

अभी राशन कार्ड देने के पहले जो 100 रुपये लिये जा रहे हैं, उसकी रसीद पर धारा 77 फार्म क्रमांक तीन लिखा है। इसमें पंचायत सचिव के हस्ताक्षर और सील मोहर भी है। प्रकरण आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है। इसमें कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन ब्यूरोक्रेट्स के मनमाने रवैये के आगे सरकारें भी बेबस नजर आती हैं।

बौखलाए जिला पंचायत सीईओ बोले, सचिव हीरो बनने के चक्कर में ऐसा कर रहा

सूचना दिए जाने पर जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि ये सरासर गलत है। क्योंकि राशन कार्ड के शिविर में किसी भी कर की वसूली नहीं हो सकती। ये नियम विरुद्ध है। उन्होंने सफाई दी कि हमने कोई ऐसा आदेश नहीं दिया है कि शिविर में कर लेने के बाद बीपीएल कार्ड दिया जाए। जानकारी मिली है कि पंचायत सचिव हीरो बनने के चक्कर में यह कृत्य कर रहा है। अब वह कौन सा कर ले रहा है, इसकी जांच के बाद ही पुष्टि होगी।

खाद्य विभाग ने झाड़ा पल्ला, हमारी जिम्मेदारी कार्ड जनपद पंचायत को सौंपने तक थी

गरीबी रेखा से नीचे वाले बीपीएल कार्डधारियों से शिविर में कर वसूली की हमारे विभाग की कोई गाइड लाइन नहीं है। सहायक खाद्य अधिकारी एसएन खान ने कहा कि विभाग ने जनपद पंचायतों को राशन कार्ड बनाकर सौंप दिया गया है। अब वे किसके आदेश पर कर वसूली कर रहे हैं, वह समझ से परे है। जबकि ऐसा नगरीय निकायों में नहीं है। वहां किसी भी तरह के कर की वसूली नहीं हो रही है।